राजनीति विज्ञान |
राजनीति विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्व
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि राजनीति के अध्ययन की क्या आवश्यकता एवं महत्व है? तमाम ऐसे विचारक है जिन्होंने इसे "स्वार्थ निरर्थक, निष्फल, अनावश्यक और हानिप्रद" बताया है। बर्फीले के शब्दों में "राजनीतिक तत्व-चिंतन करने वाले दार्शनिक उन व्यक्तियों के समान है जो पहले तो पैरों से धूल उड़ाते है और बाद में यह कहते है कि उन्हें कुछ नही दिखाई देता।" लेजली स्टीफेन ने लिखा है "वे देश सौभाग्यशाली है जिनके पास कोई राजनीतिक दर्शन नही है क्योंकि ऐसा तत्व-चिंतन प्रायः निकट भविष्य में होने वाली क्रांति का सूचक होता है।" इसीप्रकार एकबार फिर एडमंड बर्क ने कहां , "जब लोगों में राजनीतिक सिद्धांत बनाने की प्रवत्ति उत्पन्न हो तो यह समझ लेना चाहिए कि राज्य का संचालन ठीक प्रकार से नही हो रहा है।"
आलोचकों का मानना है कि राजनीति विज्ञान एक सैद्धान्तिक विषय है जिसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसका सम्बन्ध कानूनी कल्पनाओं तथा निरपेक्ष धारणाओं से है ; यह विवादास्पद प्रश्नों का सही उत्तर दे सकने में असमर्थ है। यह कहा जाता है कि राजनीति सिद्धान्तों की विवेचन और शासनकार्य का संचालन दो भिन्न-भिन्न कार्य हैं। यह देखा गया है कि अच्छे शासक अच्छे विचारक नहीं होते और अच्छे विचारक अच्छे शासन नहीं होते।
परन्तु यह सिक्के का मात्र एक पहलू है। अन्य सामाजिक विज्ञानों की भाँति राजनीति विज्ञान की भी अपनी निश्चित उपयोगिता है। आशीर्वादम के शब्दों में, "यह राजनीतिक पर शब्दावली के अर्थ को सटीक और निश्चित बताता है। इतिहास के साथ एकीकरण में मात्रा में यह सहायक उपकरण हो सकता है। वर्तमान राजनीति तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को समझने के लिए राजनीतिक विचारों का ज्ञान, अमूल्य सहायता प्रदान करता है। यदि मानवीय कौशल से सरकार का निर्माण और सुधार हो सकता है तो राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन से बढ़कर कोई अन्य अध्ययन मूल्यवान नहीं हो सकता।"
राजनीति विज्ञान मूलतसंगठित मानव समाज और इसमें मनुष्य की भूमिका के अध्ययन विज्ञान से सम्बन्धित है। चूंकि संगठित मानव समाज की स्थापना के लिए एक व्यवस्था निर्माणकारी का होना आवश्यक है अतएव इसके अन्तर्गत राज्य और सरकार का अध्ययन स्वत: समाहित हो जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें तमाम राजनीतिक संस्थाओं संविधान, शासन के प्रकारों आदि का अध्ययन स्वत: समाहित हो जाता है। हाल के वर्षों में व्यवहारवादी क्रान्ति के चलते इसमें राजनीतिक गतिविधियों तथा राजनीतिक प्रक्रिया का अध्ययन भी सम्मिलित हो गया है। इन सबके अध्ययन का उद्देश्य मनुष्य को सभ्य और सुसंस्कृत बनाना है। प्रसिद्ध यूनानी चिन्तक अरस्तू का मानना है कि राज्य ही मनुष्य को सद्गुणी बना सकता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य के लिए राजनीति विज्ञान का अध्ययन अपरिहार्य है और इस रूप में इसकी उपयोगिता स्वयं सिद्ध है।
राजनीति विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता और महत्व की विवेचना निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत की जा सकती है :
1. राज्य के विकास और उपयोगिता की ज्ञान (Knowledge of Development and Utility of state)-
राज्य और सरकार हमारे सामाजिक जीवन की अति महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं। इनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव है। हमारे अधिकांश कार्य राजकीय नियमों द्वारा नियन्त्रित होते हैं राजनीति विज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति राज्य और सरकार के भूत और वर्तमान स्वरूप से परिचित होता है। अपने इसी ज्ञान के परिप्रेक्ष्य में वह सरकार के कार्यों में न केवल सहभागी बन सकता है वरन् सरकार के कार्यों का बेहतर मूल्यांकन भी कर सकता है। उच्चतर राजनीतिक जिनका चेतना राज्य के बेहतर संचालन में मददगार होती है।
2. सामान्य राजनीतिक अवधारणाओं से परिचय (Acuaintance the Political Concepts)-
राजनीति विज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति तमाम ऐसी राजनीतिक अवधारणाओं से भली-भांति परिचित हो जाता है जिनका नाम तो वह दैनिक जीवन में सुनती है । परन्तु उन्हें भली-भाँति समझता नहींजैसे-लोकतन्त्रसम्प्रभुता, एकता और अन्य और हित समूह, जनमत आदि। इसका एक बड़ा लाभ यह भी है कि व्यक्ति जोशीले नेताओं के हाथों बेवकूफ नहीं बनता। राजनीति विज्ञान के अध्ययन से एक जागरूक इन्सान का जन्म होता है जो लोकतन्त्र या किसी भी शासन की सफलता की पहली शर्त है।
3. आदर्श नागरिक का निर्माण-
राजनीति विज्ञान के अध्ययन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता एक आदर्श नागरिक के निर्माण की। नागरिक की शिक्षा राजनीति, कानून,
नागरिक सेवा आदि की अनिवार्य जानकारी का आग्रह करती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानना चाहिए। उसे सरकार के स्वरूप कार्यप्रणाली तथा उद्देश्यों के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए। यह जानकारी उसे राजनीति विज्ञान से मिलती है।
4. सहयोग और समायोजन की शिक्षा (Education of Co-operation and Adjusment)-
राजनीति विज्ञान सहयोग, समायोजन और सामंजस्य की शिक्षा देता है। राजनीति को शक्ति के लिए संघर्ष माना जाता है। परन्तु संघर्ष के इस वातावरण में येनकेन प्रकारेण सामंजस्य की स्थापना भी की जाती है। राजनीति विज्ञान का अध्ययन व्यक्ति को एक दूसरे दृष्टिकोण समझाने और तदनुकूल निर्णय लेने की बेहतर क्षमता प्रदान करता है। यथार्थ में, राजनीति विज्ञान संघर्ष के साथ-साथ सामंजस्य और सहिष्णुता का भी अध्ययन करता है।
5. राजनीतिक चेतना के विकास में सहायक (Helpful in the Growth political Consciousness)-
राजनीति विज्ञान के अध्ययन की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है यह मनुष्य को राजनीतिक दृष्टि से चैतन्य बनाता है। व्यक्ति एक राजनीतिक प्राणी है, अर्थात व्यक्ति की कुछ आवश्यकताएं ऐसी हैं जिनकी पूर्ति सिर्फ राज्य द्वारा ही की जा सकती है। परन्तु इसी से समानान्तर व्यक्ति में यह एहसास होना भी आवश्यक है कि राजनीतिक व्यवस्था के प्रति उसके कुछ दायित्व है जिनकी पूर्ति पर व्यवस्था का सम्यक परिचालन निर्भर है। राजनीतिक जागरूकता इस वर्ष में भी महत्वपूर्ण है कि इसके द्वारा राजनेताओं पर नियंत्रण का कार्य तो सम्पन्न होता ही है। इसके कारण ही निर्वाचन के दौरान जनमानस सही प्रत्याशी के चयन में समर्थ होता है।
कुल मिलाकर राजनीति विज्ञान का अध्ययन और भी महत्वपूर्ण बन जाता है क्योंकि राजनीति से व्यक्ति का साबका (संपर्क) प्रारम्भ से अंत तक पड़ता है। रोबर्ट एण्डल ने लिखा है, "एक नागरिक का सरकार, कस्बे, स्कूल, चर्च, ट्रेड यूनियन, क्लब, राजनीतिक दल, नागरिक समुदाय तथा इसी प्रकार के अन्य के समुदायों स्तर पर राजनीति से सामना होता है। राजनीति मानव-अस्तित्व का अपरिहार्य तत्व है। हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में राजनीति में रत है।" राजनीति विज्ञान का ज्ञान संविधान निर्माताओ, विधायकों, कार्यपालकों तथा न्यायधीशों को अवश्य होना चाहिए, क्योंकि इन्हें स्थिति विशेष के संदर्भ में नियमों का निर्माण और पालन करवाना होता है। वैसे राजनीति विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता और उपयोगिता सभी के लिए है, जैसा कि हरिदत्त वेदालंकार ने लिखा है, ".......इसके अध्ययन से हमे अतीत का ज्ञान, वर्तमान का परिचय और उज्ज्वल भविष्य के निर्माण का सामर्थ्य मिलता है, राजनीति प्रश्नों को समझने और समाधान करने की दिव्य दृष्टि मिलती है, प्रसिद्ध विचारकों के विचारों के अनुशीलन से अपूर्व बौद्धिक आनंद उपलब्ध होता है।"
राजनीति विज्ञान- आवश्यकता एवं महत्व
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2:15 PM
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2 comments:
Thank you sir
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