सामान्य परिचय (General Introduction)
प्रकृति में लाखों प्रकार के जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे पाये जाते हैं। इनके आकार एवं प्रकार तथा संरचना में अत्यधिक विविधता पायी जाती है । बायोडायवर्सिटी (Biodiversity) अर्थात् जैवविविधता शब्द पारिस्थितिकी (Ecolog) के अन्तर्गत उपयोग किये जाने वाले शब्द बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (Biological diversity) का नवीन एवं संक्षिप्त स्वरूप है। बायोडायवर्सिटी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वाल्टर जी. रोसेन ने सन् 1986 में पौधों (Pants), जन्तुओं
(Animals) और सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) के विविध प्रकारों (Varieties) और उनमें विविधताओं (variablities) के लिए किया था।
दूसरे शब्दों , "जैव-विविधता समस्त जीवों (Living organisms), जैसे—पादों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों की जातियों की विपुलता (Richness) है जो कि किसी निश्चित आवास (Habitat ) में पारस्परिक अंतक्रियात्मक तन्त्र की भाँति उत्पन्न होती है।"
विश्व की जैव-विविधता (Biodiversity of the world)-
वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये विभिन्न अध्ययनों के आधार पर अनुमान लगाया गया कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीव-जन्तुओं एवं पौधों को लगभग 5 से 10 मिलियन प्रजातियाँ उपस्थित हैंपरन्तु इनमें से लगभग 2 मिलियन प्रजातियों की ही पहचान की जा सकी है तथा उनका अध्ययन किया गया है। इनकी समूहवार संख्या इस प्रकार हैं-
(I) हरे पौधों एवं कवकों (Fungi) की प्रजातियों की संख्या 3,00000
(ii) कीटों की प्रजातियों की संख्या 8,00000
(iii) उभयचर जीवों की प्रजातियों की संख्या 23,000
(iv) रेप्टाइल्स की प्रजातियों की संख्या 6,300
(v) पक्षी वर्ग के जीवों की प्रजातियों की संख्या 8,700
(vi) स्तनधारी जीवों की प्रजातियों की संख्या 4,100
(vii) सूक्ष्मजीवों की संख्या 2,000 से अधिक।
भारतवर्ष की जैवविविधता (Biodiversity of India)-
भारतवर्ष पादपजात (Flora) एवं प्राणिजात (Fauna) से भरपूर है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जीवधारियों की संख्या इस प्रकार है
पादप जैवविविधता (Pant Biodiversity)
कवक 23,000 प्रजातियाँ
आवृतबीजी। 15,000 प्रजातियाँ
ब्रायोफाइट्स 2,564 प्रजातियाँ
टेरिडोफाइट्स। 1,022 प्रजातियाँ
जीवाणु 850 प्रजातियाँ
अनावृतबीजी 64 प्रजातियाँ
जन्तु जैव-विविधता (Animal Biodiversity)
आर्थोपोड़। 57,525 प्रजातियाँ
निम्न श्रेणी के जन्तु 9,214 प्रजातियाँ
मोलस्क जीव 5,042 प्रजातियाँ
मछलियां 2,546 प्रजातियाँ
पक्षी 1,228 प्रजातियाँ
इकाइनोडर्मेट्स 765 प्रजातियाँ
सरीसृप जीव 428 प्रजातियाँ
जलस्थली जीव 204 प्रजातियाँ
स्तनधारी 372 प्रजातियाँ
प्रोटोकार्डेटा 116 प्रजातियाँ
हेमीकार्डेटा 12 प्रजातियाँ
उपरोक्त डाटा से स्पष्ट है कि भारत में कवक तथा कीट समुदाय के जीव प्रभावी हैं।
यहाँ पर पौधों एवं जन्तुओं की सैकड़ों प्रजातियां ऐसी भी हैं, जिनकी खोज सम्भावित हैं।
जैव-विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity)
जैव-विविधता के प्रकार निम्न हैं
(1) आनुवांशिक विविधता (Genetic diversity)- एक ही प्रजाति के जीवों के जीनों में होने वाली विविधताओं को आनुवंशिक विविधता या एक ही प्रजाति के अन्दर होने वाली विविधता (Diversity within species) कहते हैं। ऐसी विविधताओं के उनका कारण एक ही प्रजाति की कई समष्टियाँ (Distinct population) बन जाती हैं। इस प्रकार आनुवंशिक विविधता के कारण ही प्रजाति की जातियों की समष्टियों में विविधता आ जाती है।
(2) प्रजाति विविधता (Species diversity)- इस प्रकार की विविधता दो प्रजातियों के मध्य होती है। इसके अन्तर्गत एक विशेष प्रक्षेत्र (Region) के अन्दर उपस्थित प्रजातियों (Species) के मध्य उपस्थित विविधताएँ आती हैं। ऐसी विविधताओं का समापन उस क्षेत्र में उपस्थित विभिन्न प्रजातियों की संख्या के आधार पर किया जाता है।
(3) पारिस्थितिक तंत्रीय विविधता (Ecosysterm diversity)- एक पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) में कई भूरूप (Land forms) हो सकते हैं तथा प्रत्येक भू-भाग में विभिन्न एवं विशेष प्रकार की वनस्पतियाँ एवं जीव-जन्तु पाये जाते हैं। इस प्रकार किसी पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातियों की विविधता को ही पारिस्थितिक तंत्रीय विविधता कहते हैंइस विविधता का मापन अपेक्षाकृत कठिन होता है क्योंकि इसके विभिन्न भू-रूपों या उप-परिस्थितियों की सीमाएँ स्पष्ट नहीं होती हैं। अत: पारिस्थितिक तंत्रीय विविधताओं के अध्ययन के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि एक पारिस्थितिक तंत्रों के विभिन्न पारिस्थितिक निकों (Ecological niches) को भांति-भाँति समझा जाये क्योंकि यहाँ पर उपस्थित समुदाय एक विशिष्ट प्रकार की प्रजाति जटिलता (Species complexes) युक्त होता है। ये जटिल जैव-विविधता की संरचना एवं उसके संगठन से सम्बन्धित होते हैं।
पारिस्थितिक विविधता के प्रकार (Type of Ecosystem Diversity)
पारिस्थितिक विविधता तीन प्रकार की होती है—अल्फा विविधता, बीटा विविधता एवं गामा विविधता।
(1) अल्फा विविधता (Alpha diversity)- इसे समुदाय की आन्तरिक विविधता भी कहते हैं। यह विविधता एक समान आवास में पाये जाने वाले एक समुदाय के जीवों में पाई जाने वाली स्थानीय विविधता होती है।
(2) बीटा विविधता (Beta diversity)- ऐसी विविधता आवास में परिवर्तनों या समुदाय में पारिस्थितिक प्रवणताओं, जैसे- ऊचाई, अक्षांश, आर्द्रता प्रवणताओं में अन्तर आने के कारण उत्पन्न होती है। जातियों के आवास में बदलाव का जितना अधिक होता है बीटा विविधता उतनी ही अधिक होती है।
(3) गामा विविधता (Gamma diversity)- इसे क्षेत्रीय विविधता भी कहते है। इस प्रकार की विविधता एक भू-भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी प्रकार के आवास स्थानों में जातियों की प्रचुरता प्रदर्शित करती है।
जीव विज्ञान- जैव-विविधता एवं उसके प्रकार [Biodiversity and it's Types]
Reviewed by rajyashikshasewa.blogspot.com
on
7:40 PM
Rating:
No comments:
Post a Comment