जीव विज्ञान- लैंगिक जनन [Sexual Reproduction]

लैंगिक जनन [Sexual Reproduction]

लैंगिक जनन के अंतर्गत एक जीव अथवा अभिमुख (विपरीत) लिंग वलए भिन्न जीवों द्वारा नर तथा मादा युग्मक (गैमीटों) का निर्माण शामिल है। यह युग्मक आपस मे मिलकर युग्मनज (जाइगोट) का निर्माण करते है जिससे आगे चलकर नए जीव का निर्माण होता है। यह अलैंगिक जनन की तुलना में एक विस्तृत, जटिल तथा धीमी प्रक्रिया है। नर तथा मादा युग्मकों के युग्मन से जो लैंगिक जनन संपन्न होता है उसके परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह अपने जनकों के अथवा आपस में भी समरूप नहीं होती है।
पादप, जंतु अथवा फजाई जैसे वैविध्यपूर्ण जीवों के अध्ययन से पता चलता है कि यद्यपि यह आकारिकी, आंतरिक और क्रिया विज्ञान में -दूसरे बाह्य संरचनाओं शरीर एक से अलग हैं परंतु जब यह लैंगिक प्रजनन के लिए एक दूसरे के निकट आते हैं, तब वह एक जैसे पैटर्न को अपनाते हैं, यह एक आश्चर्य की बात है। आइए सबसे पहले उन सामान्य विशिष्टताओं पर चर्चा करें जो इन विविध जीवों में सामान्य हैं।
सभी जीव अपने जीवन में वृद्धि की एक निश्चित अवस्था एवं परिपक्वता तक पहुचते है। इसके पश्चात ही लैंगिक जनन कर सकते है। वृद्धि का यह काल किशोर अवस्था की प्रावस्था कहलाता है। पादपों में यह कायिक प्रावस्था कहलाती है । यह प्रावस्था विभिन्न जीवों में अलग अवधि की होती है।
किशोरावस्था/कायिक प्रावस्था की समाप्ति ही जनन प्रावस्था का आरंभ है। इस प्रावस्था को उच्च पादपों में आसानी से तब देखा जा सकता है जब उनके पुष्प आने लगते हैं। गेंदा, धान, गेहूँ, नारियल, आम आदि पेड़ों पर पुष्प लगने में कितना समय लगता है? कुछ पादपों में पुष्पीकरण एक से अधिक बार होता है। तब इस अंतरपुष्पन की अवधि क्या कहेंगे - किशोरावस्था अथवा वयस्कता?
अपने क्षेत्र में लगे कुछ वृक्षों का निरीक्षण करोक्या प्रति वर्ष इन वृक्षों पर उसी माह में पुष्प लगते हैं; जिस माह में पिछले वर्ष लगे थे? आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि आम, सेब, कटहल आदि जैसे फल ‘मौसमी ' होते हैं? क्या कुछ पादप ऐसे भी हैं; जिनमें वर्ष भर पुष्पीकरण होता रहता है तथा कुछ में मौसम के आधार पर पुष्प निकलते हैं? पादप वार्षिक तथा द्विवार्षिक किस्मों के होते हैं और यह सभी स्पष्टत: कायिक, जनन तथा जीर्यमान प्रावस्थाओं को प्रदर्शित करते हैं, परंतु बहुवर्षीय जातियों में इन प्रावस्थाओं को स्पष्ट रूप से पारिभाषित करना कठिन होता है। कुछ पादप असामान्य रूप से पुष्पीकरण की क्रियाविधि को प्रदर्शित करते हैं। इनमें से कुछ जैसे बाँस की जाति के पादप अपने पूरे जीवन काल में सामान्यत: 50-100 वर्षों के बाद केवल एक बार पुष्प पैदा करते हैं। परिणामस्वरूप एक बड़ी संख्या में फल उत्पन्न होते हैं और मर जाते हैं। एक अन्य पादप, स्ट्रोबिलैन्थस कुन्यिआना (नीलाकुरेन्जी) 12 वर्षों में एक बार पुष्प उत्पन्न करता है। आप में से अधिकांशत: यह जानते होंगे कि इस पादप ने सितंबर-अक्टूबर 2006 के दौरान इतने पुष्प पैदा किए जिसके परिणामस्वरूप केरलकर्नाटक तथा तमिलनाडू के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क के किनारे पर पुष्पों का कालीन-सा बिछा दिखाई पड़ा, जिस दृश्य से सैलानियों की एक बहुत बड़ी संख्या इनकी ओर आकर्षित होती है। अधिकतर प्राणियों की किशोरावस्था की समाप्ति प्रजनन व्यवहार उनके के पूर्व उनकी शारीरिकी एवं आकारिकी के बदलाव से प्रकट होती है। विभिन्न जीवों में जनन प्रावस्था भी विविध अवधि की होती है।
क्या आप मानव म पाए जाने वाले परिवर्तनों की सूची तैयार कर सकते हैं जिनसे जनन परिपक्वता का पता लग सके?
प्राणियों में, उदाहरणार्थ, पक्षी क्या वर्ष भर अंडे देते रहते हैं? अथवा क्या यह किसी मौसम से संबद्ध घटनाक्रम है? मेंढक और छिपकली में ये प्रक्रिया कैसे होती है? आप देखेंगे कि प्रकृति में रहने वाले पक्षी केवल विशेष मौसम के आने पर ही अंडे देते हैं। यद्यपि संरक्षण में रखे जाने वाले पक्षियों (जैसा कि कुक्कुट फ़ार्म में) में वर्ष भर अंडे देने की क्षमता उत्पन्न की जा सकती है। ऐसे मामलों में अंडे देने का कार्य जनन क्रिया से संबंधित न होकर, इसकी बड़े पैमाने पर व्यापार के लिए उत्पत्ति है जो मात्र मानव कल्याण ही कहा जा सकता है।
जनन प्रावस्था के दौरान अपरास्तनी मादा के अंडाशय की सक्रियता में चक्रिक तथा सहायक वाहिका और हार्मोन में परिवर्तन आने लगते हैं। नॉन प्राइमेट स्तनधारियों जैसे भेड़, चूहों, हिरन, कुत्ता, चीता, आदि में जनन के दौरान ऐसे चक्रिक परिवर्तन देखे गए हैं इन्हें मदचक्र (ओएस्ट्रस साइकिल) कहते हैं, जबकि प्राइमेटों (बन्दर, ऐप्स, मनुष्य) में यह ऋतुनाव चक्र कहलाता है। अधिकांश स्तनधारियों विशेषकर जो प्राकृतिक रूप से वनों में रहते हैंअपने जनन प्रावस्था के दौरान अनुकूल परिस्थितियों में ऐसे चक्रों का प्रदर्शन करते हैं। इसी कारण इन्हें ऋतुनिष्ठ अथवा मौसमी प्रजनक कहते है। अधिकांशत: स्तनधारी अपने पूर्ण जनन काल में जनन के लिए सक्रिय होते हैं। इसी कारण इन्हें सतत प्रजनक कहते हैं।
इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि हम सभी आयु में बढ़ते हैं (यदि हम लम्बी आयु तक जीवित रहें), परंतु वृद्ध होने का क्या अर्थ है? प्रजनन आयु की समाप्ति को जीर्णता या वृद्धावस्था के मापदंड के रूप में माना जा सकता है। शरीर में जीवन की अवधि के अंतिम चरण में सहवर्ती परिवर्तन (जैसे उपापचयों का मंद गति से होना) होने लगते हैं। वृद्धावस्था अंतत: मृत्यु तक ले जाती है।
पादप तथा प्राणियों दोनों ही में तीनों प्रावस्थाओं के बीच संक्रमण के लिए हार्मोन उत्तरदायी पाए गए हैं। हार्मोन तथा कुछ विशेष पर्यावरणीय कारकों के बीच परस्पर क्रियाएँ जीवों की जनन क्रियाओं तथा व्यवहारिक अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करती हैं।

लैंगिक जनन की कुछ घटनाएँ- परिपक्वता अवस्था प्राप्त करने के पश्चात् सभी लैंगिक जनन करने वाले जीव कुछ घटनाएँ एवं प्रक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण मूलभूत समानता होती है। यद्यपि लैंगिक जनन से संबद्ध संरचनाएँ जीवों में एकदम भिन्न होती हैं। यद्यपि विस्तृत एवं जटिल होने के बावजूद जीवों में लैंगिक जनन की घटनाएँ एक नियमित क्रम का अनुपालन करती हैं। लैंगिक जनन, एक प्रजाति के नर एवं मादा द्वारा उत्पन्न युग्मक के युग्मन (अथवा युग्मनज निषेचन तथा भ्रुणोंदभव द्वारा विशिष्टीकृत होता है। सुविधा के लिए क्रमबद्ध घटनाओं को तीन भिन्न-भिन्न अवस्थाओं निषेचन-पूर्व, निषेचन तथा निषेचनपश्चात् में विभक्त किया जा सकता है।
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