1 |
अक्ल का चरने जाना
– (समझ का आभाव होना) – इतना भी समझ नहीं सके , क्या अक्ल चरने गई है । |
2 |
आटे दाल का भाव मालूम
होना – (कठिन समय की समझ होना) – जब जिम्मेदारियाँ निभाने लगोगे तब तुम्हे
आटे दाल का भाव पता लगेगा । |
3 |
आँखें फेर लेना –
(विरुद्ध हो जाना) – मुसीबत में सभी आँखें फेर लेते हैं । |
4 |
आँखें सेकना –
(दूसरों की लड़ाई से आनन्द लेना)-हमारी लड़ाई को देखकर सभी लोग अपनी आँखें सेकते
हैं । |
5 |
आँखें बिछाना –
(स्वागत करना) – जनता ने आँखें बिछाकर अपने वीर सैनिकों का सम्मान किया । |
6 |
आँखों में चर्बी छाना
– (घमंड होना) – जिसके पास दौलत होती है उसकी आँखों में चर्बी छा जाती है । |
7 |
आँखों में धूल
झोंकना – (धोखा देना) – डाकू पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गए । |
8 |
आँखों में खून
उतरना – (अत्यधिक क्रोधित होना) – विजय को देखते ही धर्मराज की आँखों में
खून उतर आया । |
9 |
आस्तीन का साँप –
(धोखा देने वाला मित्र) – रोहित को पता नहीं था की अंकुर आस्तीन का साँप निकलेगा
। |
10 |
आँखों पर चढना
– (कुछ पसंद आ जाना) – तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गई इसलिए उसने चुरा
ली । |
11 |
आकाश-पाताल एक
करना – (बहुत मेहनत करना) – सुजाता ने प्रथम श्रेणी प्राप्त करने के लिए
आकाश-पाताल एक कर दिया । |
12 |
आँख का कांटा
होना – (शत्रु होना) – बुरा काम करने की वजह से वह आस-पडोस वालों की आँख का
कांटा हो गया है । |
13 |
आग में घी
डालना – (क्रोध को बढ़ावा देना) – लड़ाई के समय अविनाश ने पदम् की पिछली
बातें उखाडकर आग में घी डालने का काम किया । |
14 |
अरमान रहना –
(इच्छा पूरी न होना) – पुत्र के मर जाने से गरीब के सारे अरमान रह गये । |
15 |
आटे में नमक – (बहुत कम) – सुलतान को
उसके शरीर के अनुसार खुराक चाहिए , आधा लीटर दूध तो उसके लिए आटे में नमक के
बराबर है । |
16 |
अपना सा मुंह लेकर रह
जाना – (असफलता प्राप्त होना) – जब वह अपना काम पूरा ना कर सका तो मालिक के
समने वह अपना सा मुंह लेकर रह गया । |
17 |
अँधेरे घर का
उजियारा – (इकलौता पुत्र) – राहुल इसलिए अधिक लाडला पुत्र है क्योंकि वही
इस अँधेरे घर का उजियारा है । |
18 |
अपना उल्लू सीधा करना
– (अपना स्वार्थ पूरा करना) – अरुण को तो अपना उल्लू सीधा करना था , अब वह
तुषार से बात भी नहीं करता । |
19 |
आसमान से बातें
करना – (बहुत ऊँचाई पर होना) – आजकल लोग आसमान से बातें करते हैं । |
20 |
अंधे की लकड़ी –
(एकमात्र सहारा) – मानव अपने माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है । |
21 |
अक्ल का अँधा
– (मूर्ख) – राजेश अक्ल का अँधा है , वह किसी के समझाने से मानता ही नहीं
है । |
22 |
अपने पैरों पर खड़ा
होना – (आत्मनिर्भर होना) – व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़े होकर काम करना
चाहिए । |
23 |
अपने मुंह मियाँ
मिट्ठू बनना – (स्वं अपनी प्रशंसा करना) – अच्छे आदमियों को अपने मुंह
मियाँ मिट्ठू बनाना शोभा नहीं देता । |
24 |
आँखें चुराना –
(लज्जित होना) -रुपए उधर लेने के बाद उमेश मुझसे आँखें चुराने लगा । |
25 |
आँखें दिखाना –
(गुस्सा करना) – पिता जी ने आँखें दिखाकर नरेंद्र जी को चुप कर दिया । |
26 |
आँखों का तारा
– (बहुत प्यारा होना) – अकेली सन्तान माँ – बाप की आँखों का तारा होती है । |
27 |
आनन -फानन में –
(बिना किसी देर के) -उमेश ने आनन-फानन में दो किलोमीटर दौड़ लगा दी । |
28 |
आग बबूला होना –
(क्रोधित होना)- मेरे फेल होने पर माता जी आग बबूला हो गईं । |
29 |
आपे से बाहर
होना – (क्रोधित होना) – आपे से बाहर होकर कंडक्टर ने यात्री को पीट डाला । |
30 |
आकाश के तारे
तोडना – (असंभव कम करना) – शादी से पहले जो पुत्र अपने माता-पिता के लिए
आकाश के तारे तोड़ने को तैयार था , परन्तु अब उन्हें काटने को दोड़ता है । |
31 |
अपना राग
अलापना – (अपनी ही बातें करते रहना) – मैं उससे मदद मांगने गया था , परन्तु
वह अपना ही राग अलापता रहा । |
32 |
अंगूठा दिखाना
– (समय पर धोका देना) – मैंने राधिका से कुछ पैसे मांगे तो उसने मुझे
अंगूठा दिखा दिया । |
33 |
अक्ल पर पत्थर पड़ना
– (बुद्धि नष्ट होना) – मुसीबत आने पर मनुष्य की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं
। |
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