हिन्दी - मुहावरे [ HINDI - IDIOMS ]

HINDI - IDIOMS
हिन्दी  मुहावरे 

मुहावरे 

मुहावरे का शाब्दिक अर्थ होता है – अभ्यास। विशेष अर्थ को प्रकट करने वाले वाक्यांश को कहते हैं।
पूर्ण वाक्य नहीं होता इसलिए इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे वाक्यांश जो सामान्य
 अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण
अर्थ की प्रतीति कराये उसे कहते हैं ।ये विशेष अर्थ को ही कहते हैं।
हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली ,संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है।
 ये वाक्यांश होते हैं। इसका प्रयोग करते समय इनका शब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ को ले लिया जाता है।
 इनके विशेष अर्थों में कभी बदलाव नहीं होता। ये हमेशा एक जैसे रहते हैं।

अन्त भले का भला।
(1) अच्छे का परिणाम अच्छा ही होता है।
(2) भला करने वाले का हमेशा भला होता है।

आस्तीन का साँप।
(1) दगा करने वाला।
(2) शुभचिन्तक बनकर धोखा देना।
(3) विश्वास तोड़ने वाला।
प्रयोग – अशोक ने अपने मालिक के व्यवसाय के सारे राज किसी दूसरे व्यवसायी को बताकर यह साबित कर
 दिया कि वह आस्तीन का साप था।

उन्नीस बीस का अंतर होना –
(बहुत कम अंतर होना) –
राम और श्याम की पहचान कर पाना बहुत कठिन है ,क्योंकि दोनों में उन्नीस बीस का ही अंतर है ।

उलटी गंगा बहाना –
(अनहोनी हो जाना) –
राम किसी से प्रेम से बात कर ले ,तो उलटी गंगा बह जाए ।

घर करना-
(बस जाना) –
मधुमक्खियां एकबार जहाँ घर करते हैं उस जगह को वे कभी नहीं भूलते।

अन्धे की लाठी
(1) किसी का एक अकेला ही सहारा होना।
(2) किसी का एक मात्र रोजगार होना।
प्रयोग – श्रवण कुमार अपने अन्धे मातापिता के लिए अन्धे की लाठी था।

घर का भेदी लंका ढावे
(1) भेद जानने वाला नाश का कारण बन सकता है।
प्रयोग – विकास ने अपने मालिक के व्यापार के भेद पड़ौसी व्यापारी को बता दियेउसने विकास के मालिक
 का धन्धा चौपट कर  दिया। इसे कहते हैं घर का भेदी लंका ढावे।

जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे।
(1) रखवाला ही नुकसान करने लगे।

जलेबी की रखवाली कुतिया।
(1) चोर को चौकीदारी सौंपना।
(2) गलत आदमी के हाथों में काम सौंप देना।

कच्चा चिट्ठा खोलना
(1) किसी की कमी को उजागर कर देना।
विवाद होने पर महिलाएँ एक-दूसरी का कच्चा चिट्ठा खोल देती हैं।

कलई खुलना।
(1) किसी को कमी ज्ञात हो जाना।
प्रयोग – हमारी नगरपालिका ने नाले की सफाई के बड़ेबड़े दावे किये मगर पहली ही बरसात से हुए
जलभराव ने उनके
दावों की कलई खोल दी।

खाक छानना।
(1) व्यर्थ समय बर्बाद करना
(2) कुछ युवकों का यह शगुल हो गया है कि वे व्यर्थ ही गलियों में खाक छानते फिरते हैं

अन्धा गावेबहरा बजावे, गूगा ताल लगाई।
(1) सबको अपनीअपनी करना।
(2) एक-दूसरे की बात न मानना।

घास न डालना।
(1) ठीक स बात न करना
प्रयोग – महेश ने अपना काम निकल जाने पर श्याम को घास डालनी भी बन्द कर दी।

घोड़े पर सवार रहना।
(1) चैन से न बैठना।
(2) हर काम में जल्दी करना।
प्रयोग – सुरेश की आदत में यह शामिल हो चुका है कि वह हर समय घोड़े पर सवार रहता है।

अन्धा बाँटे रेवड़ी अपने-अपने को दे।
(1) अपनों का हित साधना।
(2) असमानता का व्यवहार करना ।

अन्धों में काना सरदार।
(1) बेवकूफों के बीच थोड़ा अक्लमंद।
(2) अकेला दुकानदार होना।

अन्धे के हाथ बटेर लगना।
(1) अचानक इच्छित कार्य का पूर्ण हो जाना।
(2) भाग्य से मनचाहा फल प्राप्त हो जाना।

अक्ल पर पत्थर पड़ना।
सोचसमझकर किसी कार्य को न करना।
प्रयोग – अरूण की अक्ल पर पत्थर पड़ गये थे जो उसने अपने साझीदार को अलग कर दिया, जिससे
उसका व्यापार चौपट हो गया।

अमानत में खयानत।
(1) किसी का दिया माल वापस न करना।
(2) रखा सामान हड़प लेना।
प्रयोग – अशोक व्यापार के सम्बन्ध में बाहर गया तो अपना व्यवसाय नरेन्द्र को सौंप गया तो उसने उसके
 व्यवसाय पर कब्जा जमाकर अमानत में खयानत कर दी।

अन्धा क्या चाहे, दो आँखअर्थ –
(1) किसी का कार्य पूर्ण हो जाना ।
(2) किसी की इच्छा पूर्ति हो जाना ।।
प्रयोग – कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वे किसी के झगड़े को इधर उधर की बातें करके, आग में
घी डालने का काम करते हुए, बढ़ा देते हैं।

आसमान सिर पर उठाना-
बिना बात हंगामा करना ।
प्रयोग – कुछ लोग मामूली बात को तूल देकर आसमान सिर पर उठा लेते

आंखों का तारा-
बहुत प्रिय होना।
प्रयोग – भगवान् श्रीराम प्रजा की आँखों के तारे थे ।

कमर कसना
(तैयार करना) –
कमर कस लो, पता नहीं, कब शत्रुओं से लोहा लेना पड़े।

अंग- अंग ढीला होना
( बहतु थक जाना ) :
दिन भर की दौड़-धपू से मेरा सारा अगं -अगं ढीला हो रहा है।

कोहलू का बैल दिन रात काम में जुटा रहने वाला 
संतोष देवी की बहू तो कोहलू के बैल की तरह काम में लगी रहती है।

आँखों में धूल झोंकना।
धोखा दे जाना।
प्रयोग – कई साधु वेशधारी लोग महिलाओं को सोना दोगुना करने का है। उनकी आंखों में धल झोंककर
 माल हड़पकर रफू चक्कर हो जाते है.  

अगूठा दिखाना।
(1) वक्त पर मुकर जाना।
(2) वादा करके उसे पूरा न करना।
प्रयोग – मुनीश हमेशा अनिल के बुरे वक्त में मददगार बना रहा परन्तु जब
मुनीश को मदद की जरूरत पड़ी तो अनिल ने इन्कार करके उसे अंगूठा दिखा दिया।

अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता।
(1) स्वयं करे बिना कार्य पूर्ण नहीं होता।
(2) दूसरों के ऊपर काम छोड़ने से वह बिगड़ जाता है।

अब पछताये क्या होतजब चिड़िया चुग गयी खेत।
(1) नुकसान होने पर पछताने का कोई लाभ नहीं।
(2) लापरवाही करने से काम बिगड़ जाने पर पछताने से क्या होता

अपनी इज्जत अपने हाथ।
(1) अपना सम्मान कराना अपने हाथ में होता है।
(2) समझदार व्यक्ति कभी अपमानित नहीं हो सकता।

अपना करना अपना खाना।
(1) अपने काम से काम रखना।
(2) दूसरों से ज्यादा सम्पर्क न रखना।
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