1 |
कढ़ी का सा उबाल –
(मामूली जोश) – तुम्हारा क्रोध ऐसा है जैसे कढ़ी में उबाल होता है । |
2 |
खून की नदी बहाना –
(मार-काट होना) – जब भी युद्ध होता तब तब खून की नदियाँ भ जाती हैं । |
3 |
कठपुतली होना –
(इशारों पर चलना) – तुम तो अजीत के हाथ की कठपुतली हो वह जैसा कहेगा तुम
वैसा करोगे । |
4 |
खिलखिला पड़ना – (खुश
हो जाना) – खिलोने देने से सभी बच्चे खिलखिला उठते हैं । |
5 |
कच्ची गोली खेलना –
(कम अनुभवी होना) – अभी तुम ज्यादा समझदार नहीं हो ये कच्ची गोली खेलना बंद
कर दो । |
6 |
खाक उड़ाते फिरना –
(भटकना) – अपनी सारी सम्पत्ति बर्बाद करने के बाद अब वह खाक छानते फिरता है
। |
7 |
कंधे से कंधा मिलाना –
(साथ देना) – युद्ध में जवान कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं । |
8 |
खाक छानना – (मारा – मारा फिरना) –
बेरोजगारी होने के कारण पढ़े-लिखे भी खाक छानते फिरते हैं । |
9 |
कंठ का हार होना –
(बहुत प्रिय होना) – सुनीता अपने माँ-बाप के लिए कंठ का हार है । |
10 |
कलम तोडना – (सुंदर
लिखना) – जयशंकर प्रसाद ने कामयनी लिखने में कलम तोड़ दी थी । |
11 |
कुहराम मचाना – (बहुत
रोना) – विश्वनाथ की मौत की खबर आते ही उनके घर में कुहराम मच गया । |
12 |
कंचन बरसना – (जगह से
धन मिलना) – शादी में तो एक बार कंचन जरुर बरसता है । |
13 |
कुत्ते की मौत मरना –
(बुरी तरह मरना) – अगर तुम इसी तरह व्यवहार करोगे तो कुत्ते की मौत मरोगे । |
14 |
कालिख पोतना – (बदनाम
करना) – बिना बात के किसी पर कालिख मत पोता करो । |
15 |
कील काँटे से दुरुस्त
होना – (अच्छी तरह तैयार होना) – आज में अपना काम पूरा करके रहूँगा क्योकि
आज में कील काँटे से दुरुस्त होकर आया हूँ । |
16 |
कान मेँ फूँक मारना –
(प्रभावित करना) – हमने उनके कान में फुक मारा तो वे हमारी बात को समझ गये
। |
17 |
काम तमाम करना – (मार
देना) – शिवाजी ने अपनी तलवार से अफजल खां का काम तमाम क्र दिया । |
18 |
कसौटी पर कसना –
(परखना) – मोहन परीक्षा देकर आया था पर आते ही उसके बड़े भाई ने उसे कसौटी
पर कस दिया । |
19 |
कान में तेल डालकर
बैठना – (अनसुनी करना) – मैं तुम्हे इतनी देर से बुला रहा हूँ पर तुम कान
में तेल डाल क्र बैठे हो । |
20 |
कड़वे घूँट पीना –
(असहनीय बात को सहना) – उसके भाई ने उसे बहुत बुरा भला कहा लेकिन वह कडवे
घूंट पीकर रह गया । |
21 |
कान पर जूं न रेंगना –
(ध्यान न देना) – मैं तुम्हें इतनी देर से समझा रहा हूँ लेकिन तुम्हारे कान
पर तो जूं ही नहीं रेंग रही है । |
22 |
कब्र में पैर लटकना –
(मौत के करीब होना) – यहाँ पर पैर कब्र में लटक रहे हैं और तुम घुमने जाने
की बात करते हो । |
23 |
काठ की हांड़ी –
(अस्थायी चीज) – इस बार तुम्हारी योजना सफल हो गई लेकिन काठ की हांड़ी
बार-बार चूल्हे पर नहीं चढती । |
24 |
कटी पतंग होना –
(निराश्रित होना) – उसकी तो कटी पतंग है जिधर राह दिखेगी उधर चल देगा । |
25 |
कलेजा निकलकर रख देना
– (सच ख देना) – कलेजा निकलकर रखने पर भी कोई विश्वास नहीं करता । |
26 |
कच्चा-चिटठा खोलना –
(रहस्य खोलना) – सुरेश ने कान्हा का सारा कच्चा – चिटठा खोल दिया । |
27 |
कलेजा टूक-टूक होना –
(दुःख होना) – कैकयी की बात सुनकर महाराज दशरथ का कलेजा टूक-टूक हो गया । |
28 |
कंगाली में आटा गीला
होना – (गरीबी में हानि होना) – एक तो हम पहले से ही गरीब हैं अब और फसल के
दाम नहीं मिले यह तो कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हो गई है । |
29 |
कमर टूटना – (कमजोर
होना) – युद्ध में हार होते देख पाकिस्तानी सेना की कमर ही टूट गयी । |
30 |
कौड़ी का तीन होना –
(कम दाम का होना) – तुम्हारे जैसे आवारा के साथ रहकर वह भी कौड़ी का तीन हो
गया । |
31 |
कफन सिर से बंधना –
(खतरे की परवाह न करना) – भरतीय सेना अपने सिर पर कफन बांध कर देश की रक्षा
करती है । |
32 |
कुम्हड़े की बतिया –
(कमजोर आदमी) – सुरेश ने रमेश को कुम्हड़े की बतिया समझा है जो उसे धमकाता
रहता है । |
33 |
कटक बनना – (बाधक
होना) – तुम मेरे हर काम में कटक क्यूँ बन गये हो । |
34 |
कुएँ में भाँग पड़ना –
(सबकी बुद्धि मारी जाना) – हम लोग किस-किस को समझाएं यहाँ पर यहाँ तो कुएं
में ही भाँग पड़ी है । |
35 |
कोल्हू का बैल – (बहुत परिश्रमी)– जब से राहुल
के उपर गृहस्थी का भर पड़ा है , तब से वह कोल्हू का बैल बन गया है । |
36 |
कीचड़ उछालना – (बदनाम
करना) – अच्छे आदमियों पर कीचड़ उछालना अच्छी बात नहीं है । |
37 |
किस्मत ठोकना –
(पछताना) – नालायक संतान होने पर माता पिता को सदैव अपनी किस्मत ठोकनी पडती
है । |
38 |
काम आना – (वीरगति
प्राप्त होना) – नेप्फा की लड़ाई में चीनी सैनिक बहुत काम आये । |
39 |
कलेजे का टुकड़ा –
(बहुत प्रिय) – करीना अपनी माता जी के कलेजे का टुकड़ा है । |
40 |
कान भरना – (चुगली
करना) – तुम्हे क्या हुआ है तुम सब के कान भरते फिरते हो । |
41 |
कलाई खुलना – (कमजोरी
का पता लगना) – मनोज कक्षा में नकल करता पकड़ा गया , उससे उसके चरित्र की
कलई खुल गई । |
42 |
कान एंठना – (सुधरने
की शपथ लेना) – मैं अपने कान ऐंठता हूँ की अब से ऐसे काम नहीं करूंगा । |
43 |
कलेजा मुँह को आना –
(बहुत दुःख होना) – उस वृद्ध की खानी सुनकर मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया । |
44 |
कलेजे पर साँप लोटना –
(ईर्षा होना) – मेरी तरक्की देखकर तुम्हारे कलेजे पर साँप लोट रहे हैं । |
45 |
एक ही नौका मेँ सवार
होना – (एक जैसी स्थिति में होना) – रमेश और सुरेश तो एक ही नौका में सवार
दो आदमी हैं । |
46 |
कलेजा थामकर रहना –
(मन में भरोसा होना) – लक्ष्मण को परशुराम पर बहुत क्रोध आया था पर राम के
समझाने पर वे कलेजा थामकर रह गये । |
47 |
एक घाट पानी पीना –
(एकता होना) – सनम और शबनम दोनों ही एक घाट का पानी पीती हैं । |
48 |
कलेजा चीरकर दिखाना –
(भरोसा देना) – मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ यह मैं कलेजा चीरकर दिखा
सकता हूँ । |
49 |
एक हाथ से ताली न बजना
– (दूसरे के बिना काम न होना) – कभी भी एक हाथ से ताली नहीं बजती गलती तुम
दोनों की है । |
50 |
कमर कसना – (तैयार
होना) – अगर खेल में जितना है तो अपनी कमर कस लो । |
51 |
एक टांग पर खड़ा होना-
(काम के लिए तैयार रहना) – जब तक बहन की शादी नहीं हुई वह एक टांग पर खड़ा
रहा । |
52 |
ककड़ी खीरा समझना –
(महत्वहीन समझना) – वे गरीब हैं पर आदमी हैं उन्हें तुम ककड़ी खीरा मत समझा
करो । |
53 |
एक आँख न भाना –
(अच्छा न लगना) – बेटे के साथ तुम्हारा व्यवहार मुझे एक आँख नहीं भाता । |
54 |
काठ का उल्लू – (मूर्ख
होना) – दिनेश से बात करना बिलकुल बेकार है वह तो निरा काठ का उल्लू है । |
55 |
ए , ऐ से शुरू होने वाले मुहावरे : |
56 |
काँटे बिछाना –
(मुसीबत पैदा करना) – पंकज के विरोध ने उसके रास्ते में पग-पग पर काँटे
बिछाए , परन्तु वह अपने उद्देश्य में सफल हो गए । |
57 |
उसका कोई सानी न होना
– (बहुत होशियार होना) – उसको काम करने में महारथ हांसिल है उसका दिनेश
अपने की कोई सानी नहीं है । |
58 |
कटे पर नमक छिडकना –
(दुखी को और दुखी करना) – परेशान व्यक्ति को अपमानजनक शब्द कहना कटे पर नमक
छिडकना है । |
59 |
उड़द पर सफेदी के बराबर
भी शर्म नहीं – (बेहया होना) – रमेश की आँखों में तो उड़द पर सफेदी के बराबर
भी शर्म नहीं है । |
60 |
कान भरना – (चुगली
करना) – पापा के कान भरकर रोहन ने पप्पू को पिटवा दिया । |
61 |
उल्टी पट्टी पढ़ाना –
(और का और कहकर बहकाना) – त्तुम हमारे बच्चों से बात मत किया करो तुम
इन्हें उल्टी पट्टी पढ़ते हो । |
62 |
कलेजा ठंडा होना –
(संतोष होना)– सत्य प्रकाश के चुनाव हारने से विरोधियों का कलेजा ठंडा हो गया । |
63 |
उल्टी माला फेरना –
(बुरा सोचना) – हमारी दादी जी तो हमेशा ही उल्टी माला फेरती रहती हैं । |
64 |
क से शुरू होने वाले मुहावरे : |
65 |
ऊँगली पकडकर पहुँचा
पकड़ना – (थोड़े की जगह पूरा लेने की इच्छा रखना) – मोहन से सावधान रहो वह तो
ऊँगली पकडकर पहुँचा पकड़ने वाला आदमी है । |
66 |
एक ही थैली के
चट्टे–बट्टे – ( सब एक सेबुरे व्यक्ति) – राम और श्याम से क्या कहते हो वे
तो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं । |
67 |
उधेड़ बुन में पड़ना –
(सोच में पद जाना) – जब अचानक कोई मुश्किल आ जाती है तो कोई भी व्यक्ति
उधेड़ बुन में पद जाएगा । |
68 |
ऐसी तैसी करना –
(बेईज्जती करना) – सब के समने उसने अपने ही बड़े भाई की ऐसी तैसी कर दी । |
69 |
उल्लू का पट्ठा –
(बेवकूफ होना) – वह तो उल्लू का पट्ठा है वह अक्ल से काम कैसे लेगा । |
70 |
एक लाठी से हाँकना –
(सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना) – सब लोगों को एक लाठी से हाँकना कोई
बुद्धिमानी नहीं है । |
71 |
उन्नीस – बीस का अंतर
होना – (कम अंतर होना) – राम और श्याम की शक्ल में बस उन्नीस -बीस का अंतर
ही है । |
72 |
एक-एक ग्यारह होना –
(एकता होना) – पहले वो अलग अलग रहते थे तो लोग उन्हें स्टेट थे लेकिन अब वो
एक-एक ग्यारह हो गये हैं अब लोग उनसे डरने लगे हैं । |
73 |
ऊँगली पर नचाना –
(अपने वश में कर लेना) – वह कमा कर देता है , इसलिए वह सारे घर को ऊँगली पर
नचाता है । |
74 |
एंडी चोटी का पसीना एक
करना – (बहुत मेहनत करना) – ये काम पूरा करने के लिए उसे एंडी चोटी का
पसीना एक करना पड़ेगा । |
75 |
ऊँट के मुंह में जीरा
– (आवश्यकता से कम वस्तु) – रत दिन मेहनत करने वाले मजदूर के लिए दो
रोटियां ऊँट के मुंह में जीरे के समान हैं । |
76 |
उल्टा चोर कोतवाल को
डांटे – (उल्टा दोष देना) – एक तो सुरेश ने गलती की और उपर से मुझे ही
डांटे जा रहा है।यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली बात हुई । |
77 |
इंसानियत को दागदार
करना – (इंसानियत के खिलाफ काम करना) – सुलाखान ने अपनी ही भतीजी को हवस का
शिकार बनके इंसानियत को दागदार कर दिया । |
78 |
उठा-पटक करना –
(तोड़फोड़ करना) – वह तो हर मामले में उठापटक कर्ता है । |
79 |
इस हाथ लेना उस हाथ
देना – (हिसाब-किताब करना) – हम तुम से ये सौदा क्र लेते हैं लेकिन ये काम
इस हाथ लेने और उस हाथ देने का का होगा । |
80 |
ऊँची दुकान फीका पकवान
– (उपरी दिखावा करना) – वैसे तो दुकान इतनी बड़ी है और पकवान बिलकुल फीका यह
तो वही बात हुई कि ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात हुई । |
81 |
ईमान बेचना – (बेईमानी
करना) – लोग पैसे के पीछे अपना ईमान बेचते फिरते हैं । |
82 |
उठा न रखना – (कमी न
छोड़ना) – तुम क्या चाहते हो जब बोलना शुरू करते हो तो चुप ही नहीं होते हो
तुम तो बातों को उठा ण रखने वाली बात करते हो । |
83 |
इंद्र का अखाडा – (मौज
की जगह होना) – भाइयों यह शराबखाना नहीं है यह तो इंद्र का अखाडा है । |
84 |
उँगली उठाना – (दोष
देना) – तुमने बिना कुछ सोचे मुझ पर ऊँगली क्यूँ उठाई । |
85 |
इधर की दुनिया उधर
होना – (कोई अनहोनी बात का होना) – चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाए पर में
वहाँ नहीं जाऊंगा । |
86 |
उल्टे अस्तुरे से
मूडना – (मूर्ख बनाकर ठगना) – उस ढोंगी ने आज मुझे उल्टे अस्तुरे से मूड
लिया था । |
87 |
ईंट से ईंट बजाना –
(सर्वनाश करना) – कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के
घुसपैठियों की ईंट से ईंट बजा दी । |
88 |
उल्लू बनाना – (पागल
बनाना) – सुधा को उल्लू बनाना बहुत कठिन है वह सब कुछ पहचान लेती है । |
89 |
ईद का चाँद होना –
(बहुत दीनों के बाद दिखयी देना) – तुम्हें देखने को तरस गए मित्र , तुम तो
ईद का चाँद हो गए हो । |
90 |
उडती खबर – (अफवाह
होना) – हमें किसी भी उडती खबर पर विश्वास नहीं करना चाहिए । |
91 |
आँखों में सूअर का बाल
होना – (स्वार्थी होना) – रमेश की आँखों में सूअर का बाल है ये बात सभी
जानते हैं । |
92 |
उडती चिड़िया पहचानना –
(राज की बात दूर से जान लेना) – उसे उडती चिड़िया पहचानना आता है । |
93 |
अधजल गगरी छलकत जाए –
(कमगुणी व्यक्ति दिखावा ज्यादा कर्ता है) – उस इन्सान को देखो उसका काम ऐसा
है मानो अधजल गगरी छलकत जाए । |
94 |
उल्टी गंगा बहाना –
(रीति विरुद्ध काम करना) – अरे भाई । मेरे चरण छूकर क्यों उल्टी गंगा बहाते
हो , मैं तो तुमसे छोटा हूँ । |
95 |
औंधी खोपड़ी का होना –
(मूर्ख होना) – वह कुछ नहीं समझ सकता वह तो औंधी खोपड़ी का आदमी है । |
96 |
आटे के साथ घुन पिसना
– (दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना) – श्याम और घनश्याम ने साथ में
काम किया लेकिन घनश्याम ने गलत काम किया और फस गया डॉन को हानि हुई यह तो आते के
साथ घुन पिसने वाली बात हो गई । |
97 |
इश्क का परवान न चढना
– (प्यार में असफलता मिलना) – सुखी और माया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे
लेकिन उनका प्यार परवान न चढ़ सका । |
98 |
अक्षर से भेँट न होना
– (अनपढ़ होना) – वह तो बहुत गरीब है उसकी अक्षर से भेंट नहीं हुई होगी । |
99 |
इतिश्री होना – (समाप्त होना) – वह
इन्सान का काम तो इतिश्री हो चूका है । |
100 |
अक्ल के तोते उड़ना –
(होश उड़ जाना) – जब उससे खा गया की जल्दी काम करे तो उसके अक्ल के तोते उड़
गए । |
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