राजनीति विज्ञान- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

राष्ट्रीय पिछड़े वर्ग आयोग
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग [National Commission for Backward Classes]

भारत सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों की पहचान और इनके निमित्त कल्याणकारी योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने हेतु सन् 1993 में 'राष्ट्रीयपिछड़ा वर्ग अधिनियम1993' के तहत् एक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का निर्णय लिया गया उल्लेखनीय है कि इन्दिरा साहनी बनाम अन्य के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने संघ और राज्य सरकारों से एक ऐसे आयोग के गठन को कहा था जो इस बात का परीक्षण कर सके कि किन जातियों को इन वर्गों में शामिल किया जाना चाहिए या किन जातियों को इससे बाहर कर देना चाहिए। इस निर्णय के तारतम्य में ही सरकार द्वारा उपर्युक्त अधिनियम पारित किया गया। प्रथम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन जस्टिस आरएन. प्रसाद की अध्यक्षता में किया गया।
संगठन (Composition)- आयोग में केन्द्र द्वारा निर्देशित निम्नांकित सदस्य होंगे-
(क) अध्यक्ष जो उच्चतम या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो; और (ख) आयोग के सदस्यों में एक समाज विज्ञानी, दो ऐसे सदस्य जो पिछड़े वर्ग के मामलों में विशेष अनुभव रखते हों, एक सदस्य जो भारत सरकार के सचिव स्तर का पदधारक हो या रहा हो। इस प्रकार आयोग में कुल 5 सदस्य होते हैं।
कार्यकाल (Tenure)- आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष होता है। इसके पूर्व भी कोई सदस्य केन्द्र सरकार को सम्बोधित पत्र द्वारा अपने पद से इस्तीफा दे सकता है।
आयोग के कार्य (Functions of the Commission) -आयोग के तीन प्रमुख कार्य है-
(1) किसी जाति या वर्ग विशेष के इस अनुरोध की जाँच करना कि उसे पिछड़े वर्ग में शामिल कर लिया जाये;
(2) यदि पिछड़े वर्ग की कोई जाति या वर्ग अपेक्षाकृत विकसित हो गया है तो इसे सूची से निकालने के लिए सरकार को राय देना;
(3) पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित किसी मसले पर केन्द्र सरकार को परामर्श देना।
आयोग की सिफारिशें केन्द्र के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
शक्तियाँ (Powers)- आयोग की धारा 9 (1) के अनुसार अपने में निहित दायित्वों का निर्वहन करते समय आयोग को निम्नांकित शक्तियाँ प्राप्त होंगी
(1) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को आहूत (Summon) करना;
(2) किसी दस्तावेज को अपने सामने प्रकट करवाना
(3) हलफनामे पर साक्ष्य प्राप्त करना;
(4) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी सरकारी अभिलेख की माँग करना;
(5) साक्ष्यों और दस्तावेजों का परीक्षण करना।
सचिवों का केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय परीक्षण पर (Review of list by Central Government from Time to Time)- केन्द्र द्वारा अन्य पिछड़े वर्गों की सूची का हर 10 वर्ष पर पुनरीक्षण किया जाता है। पुनरीक्षण के उपरान्त कुछ जातियों को इस सूची से निकाला जा सकता है और कुछ को जोड़ा जा सकता है।
मार्च 2017 में मोदी सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के स्थान पर एक नया आयोग बनाने का निर्णय लिया है।
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