| 1 |
ढेर करना – (मार
डालना) – बलराम ने अपने विरोधियों को ढेर कर दिया । |
| 2 |
तह -पर-तह देना – (खूब खाना) – कुंभकर्ण
को खूब तह पर तह दिया जाता था क्योंकि वह बहुत विशाल था । |
| 3 |
ढाक के तीन पात
– (हमेशा एक जैसा रहना) – मैंने जब भी उसे देखा है ढाक के तीन पात ही पाया
है । |
| 4 |
त्राहि-त्राहि करना – (बचाव के लिए गुहार
करना) – जब से जमींदार किसानों पर अत्याचार करने लगे हैं तब से किसान
त्राहि-त्राहि करने लगे हैं । |
| 5 |
डूब मरना – (शर्म
से झुकना) – तुमने ऐसा काम किया है की तुम्हे डूब मरना चाहिए । |
| 6 |
तिनके का सहारा
– (थोडा सहारा) – हम जैसे गरीबों के लिए तो तिनके का सहारा ही बहुत होता है
। |
| 7 |
डंका बजाना
– (घोषणा करना) – उसने नए नियमों का डंका बजा दिया । |
| 8 |
तारे गिनना
– (इंतजार करना) – मैं उनके आने तक रात भर तारे गिनता रहा । |
| 9 |
डींग हाँकना
– (बढ़ चढ़ कर कहना) – तुम डींगें हाँकना बंद करो हमें पता है तुम कैसे हो । |
| 10 |
ताक में रहना
– (मौका देखना) – मैं बहुत दिनों से तुम्हारी ताक देख रहा हूँ । |
| 11 |
डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग
पकाना – (अलग होना) – अगर हम डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाएंगे तो लोग हमें
अलग कर देंगे । |
| 12 |
तलवार के घाट उतारना
– (मार देना) – श्रवण ने बहुत से द्रोहियों को अपनी तलवार के घाट उतार दिया
। |
| 13 |
डंके की चोट पर कहना
– (खुल्लम खुल्ला कहना) – वो बात जरूर सच होगी तभी तो डंके की चोट पर कही
गई है । |
| 14 |
तख्ता उलटना
– (बना हुआ काम बिगड़ना) – इस काम में मैने इतना कमाया था लेकिन तुमने दूसरा
सौदा करके मेरा तख्ता उलट दिया । |
| 15 |
ठिकाने आना
– (होश में आना) – जब उसे अपनी सचाई पता चली तो उसके होश ठिकाने आ गये । |
| 16 |
तूती बोलना
– (प्रभाव जमाना) – आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है । |
| 17 |
ठठेरे-ठठेरे
बदला – (समान बुद्धि वाले से काम करना) – मुझे यह काम सुभाष से करवाना था
पर ठठेरे-ठठेरे बदला कैसे किया जाये । |
| 18 |
ढपोरशंख होना –
(झूठा व्यक्ति) – तुम किशन से कुछ मत कहा करो वह तो ढपोरशंख व्यक्ति है । |
| 19 |
ठोकर खाना
– (हानि सहना) – उसने रामू पर भरोसा किया और उसे ठोकर खानी पड़ी । |
| 20 |
ढील देना – (अपने
वश में न रखना) – तुमने उसे बहुत ढील दे रखी है उसे अपने काबू में रखा करो । |
| 21 |
ठकुर सुहाती
करना – (चापलूसी करना) – अफसरों की ठकुर सुहाती करके सेठजी ने बहुत धन
कमाया है । |
| 22 |
ढिंढोरा पीटना
– (सबको बताना) – उसने हमारी बातें सुन ली हैं वह तो सारे गाँव में ढिंढोरा
पीत देगा । |
| 23 |
ठंढा करना
– (शांत करना) – पिता जी गुस्से से उबल रहे थे बड़ी मुश्किल से उन्हें ठंडा
किया है । |
| 24 |
ढाई दिन की बादशाहत
– (कम समय का सुख) – यह ढाई दिन की बादशाहत है कभ भी खत्म हो जएगी । |
| 25 |
टुकड़ों पर पलना
– (दूसरों के पैसों पर जीना) – लक्ष्मी तो बेचारी दूसरों के टुकड़ों पर पलती
है । |
| 26 |
डोरे डालना
– (प्यार में फसाना) – सपना बहुत दीनों से रमेश पर डोरे दाल रही है । |
| 27 |
टाट उलटना – (आप
को गरीब कहना) – उसने सारा लाभ कम कर टाट उलट दिया । |
| 28 |
डोरी ढीली करना
– (बिना संभाले काम करना) – तुमसे बिना डोरी ढीली किये कोई काम नहीं होता
क्या । |
| 29 |
टेढ़ी खीर होना
– (मुश्किल काम) – कुत्ते की दुम को सीधा करना टेढ़ी खीर के समान है । |
| 30 |
डकार जाना – (हडप
जाना) – सीताराम अपने भाई की सारी सम्पत्ति डकार गया । |
| 31 |
टांग अडाना –
(दखल देना) – तुम लोगों को टांग अड़ाने के सिवा और कोई काम नहीं है । |
| 32 |
डुबते को तिनके का
सहारा होना – (असहाय का कोई भी सहारा होना) – किसी कठिनाई में पड़ते हुए को
तिनके का सहारा बहुत होता है । |
| 33 |
टाल – मटोल
करना – (बहाने बनाना) – अगर तुम्हे मेरे पैसे नहीं देने तो मुझे कह दो टाल
– मटोल करके मुझे परेशान मत करो । |
| 34 |
डंक मारना
– (असहनीय बातें कहना) – तुम संध्या से बातें मत किया करो ह बातें नहीं
कहती वह तो डंक मरती है । |
| 35 |
टस से मस न
होना – (बिलकुल न हिलना) – मैंने उससे काम के लिए कहा था पर वह टस से मस
नहीं हुआ । |
| 36 |
ठीकरा फोड़ना –
(दोष लगाना) – जब उसे उसके बारे में सबकुछ पता चल गया तो वह उसका ठीकरा फोड़ने
लगा । |
| 37 |
टका सा मुंह लेकर रह
जाना – (शर्मिंदा होना) – जब समय काम करने से नाट गया तो उसके पिता जी टकसा
मुंह लेकर रह गये । |
| 38 |
ठगा सा
– (भौंचक्का सा) – जब उसे अपनी हानि के बारे में पता चला तो वह ठगा सा रह
गया । |
| 39 |
टक्कर लेना – (मुकाबला करना) – भारतीय
खिलाडियों का पाकिस्तानी खिलाडियों से टक्कर लेना आसन नहीं था । |
| 40 |
ठनठन गोपाल होना
– (गरीब होना) – तुम उससे पैसे पाने की आशा क्र रहे हो पर इस समय तो वह खुद
ही ठनठन गोपाल हुआ बैठा है । |
| 41 |
झोली भरना
– (इच्छा से अधिक देना) – उसके पिता ने कन्यादान करते समय उसकी झोली भर दी
। |
| 42 |
ठंडा होना
– (शांत होना) – विदेशी सैनिक लक्ष्मीबाई की तलवार से वार खाकर ठंडे पद गये
। |
| 43 |
झाड़ मारना
– (डाँटना) – माँ ने थोड़ी सी बात पर उसे झाड़ मार दी । |
| 44 |
टेक निभाना
– (वादा पूरा करना) – तुम्हे अपना टेक निभाना होगा तुम अब पीछे नहीं हट
सकते । |
| 45 |
झाँसा देना
– (धोखा देना) – लक्की ने मुझे झाँसा देकर मेरी किताब हथिया ली । |
| 46 |
टें-टें-पों-पों
– (व्यर्थ शोर मचाना) – झगड़ा उन दोनों के बीच है तुम क्यूँ टें-टें-पों-पों
मत करो । |
| 47 |
जिसकी लाठी उसकी भैंस
– (बलशाली की जीत होती है) – आज हमे यहाँ पर सब कुछ पता लग जायेगा जिसकी
लाठी उसकी भैंस होगी । |
| 48 |
टोपी उछालना
– (अपमान करना) – सुखदेव ने सरे आम जयसिंह की टोपी उछाल दी । |
| 49 |
जूतियों में दाल
बाँटना – (लड़ाई झगड़ा हो जाना) – यहाँ पर आने का कोई फायदा नहीं यहाँ पर तो
जूतियों में दाल बंट रही है । |
| 50 |
टेढ़ी ऊँगली से घी
निकालना – (आसानी से काम न होना) – जब कोई काम सीधे तरीके से न हो तो ऊँगली
टेढ़ी करने में ही समझदारी है । |
| 51 |
जूतियाँ चटकाना
– (मारे-मारे फिरना) – तुम्हे तो जूतियाँ चटकाना है लेकिन हमें तो बहुत काम
करना होता है । |
| 52 |
टूट पड़ना – (हमला
करना) – शिवाजी की सेना मुगल सेना पर टूट पड़ी । |
| 53 |
जी भर जाना – (ऊक
जाना) – अब तुम्हारा इस खिलौने से जी भर चूका है । |
| 54 |
टाऍ- टाऍ फिस
होना – (असफल होना) – उसकी योजना तो अच्छी थी पर वो टाएँ टाएँ फिस हो गई । |
| 55 |
जी चुराना – (काम
से भागना) – तुम उससे काम करने के लिए मत कहा करो वह तो काम से जी चुराता है । |
| 56 |
टट्टी क ओट में शिकार
करना – (छिपकर गलत काम करना) – आजकल के नेता टट्टी की ओट में शिकार खेलना
अच्छी तरह से जानते हैं । |
| 57 |
जान पर खेलना –
(मुसीबत का काम करना) – सर्कस में एक बच्चे ने अपनी जान पर खेल कर करतब दिखाए । |
| 58 |
टका सा जवाब देना
– (मना करना) – मैंने अपने रिश्तेदारों से बहुत उमीद की थी पर उन्होंने
मुझे टका सा जवाब दे दिया । |
| 59 |
जहर उगलना
– (कडवी बातें करना) – सूरज बातें नहीं कर्ता वह तो जहर उगलता है । |
| 60 |
झगड़ा मोल लेना
– (जानकर झगड़े में पड़ना) – तुम्क्युन झगड़ा मोल लेते हो उनकी तो आदत बन गई
है झगड़ा की । |
| 61 |
जमीन आसमान का फर्क
– (बहुत बड़ा अंतर) – सुजाता और सरोज में जमीन आसमान का अंतर है । |
| 62 |
झाड़ू फिराना –
(सब बर्बाद करना) – मैंने बड़ी मुश्किल से वो काम किया था पर उसने मेरे बने बनाए
काम पर झाड़ू फेर दिया । |
| 63 |
जबान पर चढना
– (याद आना) – अचानक से उसकी जुबान पर करीना का नाम आ गया । |
| 64 |
झाड़ फेरना – (मान
खत्म करना) – एक नीच व्यक्त ने तुमसे रिश्ता बनाकर तुम्हारी इज्जत पर झाड़ फेर
दिया । |
| 65 |
जंगल में मंगल करना
– (उजाड़ में चहल-पहल होना) – तुम उनकी चिंता मत करो उन्हें जंगल में मंगल
करना आता है । |
| 66 |
झक मारना – (विवश
होना) – तुम लोगों के पास झक मरने के शिवा कोई काम नहीं है पर हमें तो काम करना
पड़ता है । |
| 67 |
जूतियाँ सीधी करना
– (खुशामद करना) – अगर तुम्हे उन से अपना काम करवाना है तो उनकी जूतियाँ
सीधी किया करो । |
| 68 |
जोड़-तोड़ करना
– (उपाय सुझाना) – हम कोई न कोई जोड़ तोड़ करके इस मुसीबत का हल निकाल ही
लेंगे । |
| 69 |
जीती मक्खी निगलना
– (बिलकुल बेईमान होना) – वह तो जीती मक्खी को भी निगल जाता है और किसी को
पता भी नहीं लगने देता । |
| 70 |
जूतियाँ चाटना –
(चापलूसी करना) – राकेश तो तुम्हारी जूतियाँ चाटता फिरता है । |
| 71 |
जी नहीं भरना
– (संतोष न होना) – तुम्हे इतना कुछ मिला है तब भी तुम्हारा जी नहीं भर रहा
है । |
| 72 |
जी पर आ बनना
– (मुसीबत में फँसना) – मैं तुम्हे कैसे बचाऊ यहाँ तो अपने ही जी पर आ बनी
है । |
| 73 |
जहर का घूंट पीना
– (क्रोध को रोकना) – उसने अपने भाई को बहुत जली कटी सुनाई पर वह जहर का
घूंट पीकर रह गया । |
| 74 |
जी का जंजाल
– (व्यर्थ का झंझट)- अब सोहन से क्या कहें वह तो हमारे जी का जंजाल बन चूका
है । |
| 75 |
जलती आग में घी डालना
– (झगड़ा बढ़ाना) – उनके बीच पहले से ही झगड़ा हो रहा था तुमने और जलती आग में
घी दाल दिया । |
| 76 |
जान हथेली पर रखना
– (जिनगी की पपरवाह न करना) – भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर लेकर घूमते
हैं । |
| 77 |
जमीन पर नाक रगड़ना
– (माफ़ी माँगना) – मुकेश ने सुमेश के समने अपनी नाक जमीन पर रगड़ी । |
| 78 |
जान के लाले पड़ना
– (संकट में पड़ना) – तुम उनसे क्या कहते हो उन्ही के जान के लाले पड़े हुए
हैं । |
| 79 |
जबानी जमा खर्च
करना – (काम करने की जगह बातें करना) – बस जबानी जमा खर्च मत करो कुछ काम
भी कर लिया करो । |
| 80 |
जलती आग में तेल डालना
– (झगड़ा बढ़ाना) – कुसुम से कोई बात मत किया करो उसे तो जलती आग में घी
डालने की आदत है । |
| 81 |
जले पर नमक छिडकना
– (दुखी को और दुखी करना) – ये गरीब लोग पहले से ही दुखी हैं अब उनके जले
पर नमक मत छिडको । |
| 82 |
जबान में लगाम न
होना – (बिना वजह बोलते जाना) – तुम उससे बात मत किया करो उसकी जबान में
लगाम नहीं है । |
| 83 |
छाती ठोकना
– (उत्साहित होना) – जब उसे नई साईकल मिली तो वह खुशी से छाती पीटने लगा । |
| 84 |
जलती आग में कूदना
– (खतरे में पड़ना) – उनका क्या है उन्हें तो जलती आग में कूदने की आदत है । |
| 85 |
छोटे मुंह बड़ी बात
करना – (अपनी औकात से ज्यादा कहना) – उस लडके ने तो छोटा मुंह बड़ी बात कर
दी । |
| 86 |
जोर लगाना – (बल
लगाना) – रावण ने बहुत जोर लगाया पर शिव धनुष को हिला न सका । |
| 87 |
छप्पर फाड़ कर देना
– (बहुत लाभ होना) – जब भी भगवन देता है छप्पर फाड़ के देता है । |
| 88 |
जीवन दान बनना
– (जीवनरक्षा करना) – डॉक्टरों की दवा रोगियों के लिए जीवनदान बन गई है । |
| 89 |
छीछालेदर करना
– (बुरा हाल करना) – आज मोदी जी ने नेताओं की खूब छीछालेदर की । |
| 90 |
जी भर आना – (दया
आना) – दुखियों को देखकर जिसका जी भर आये वही सच्चा इन्सान है । |
| 91 |
छाती पर साँप लोटना
– (जलन होना) – दूसरे की तरक्की देखकर तुम्हारी छाती पर साँप लोटते हैं । |
| 92 |
जी की जी में रहना
– (इच्छा पूरी न होना) – मैंने चाहा था की मै अपने सपनों को पूरा करूंगी पर
मेरी जी की जी में रह गई । |
| 93 |
छठी का दूध याद
आना – (बहुत कष्ट होना) – चार किलोमीटर तक पैदल चलने में दीनानाथ को छठी का
दूध याद आ गया । |
| 94 |
जली कटी सुनाना
– (बेयिजती करना) – सुमेश ने अपने छोटे भाई को बहुत जली कटी सुनाई । |
| 95 |
चम्पत होना
– (गायब होना) – लोकेश ने मुझसे पैसे लिए थे पर जब उसे मैं दिख गया तो वह
चम्पत हो गया । |
| 96 |
जमीन पर पैर न रखना
– (घमंड करना) – वह इतना अमीर हो गया है कि जमीन पर पैर ही नहीं रखता । |
| 97 |
चमड़ी जाये पर दमड़ी न
जाये – (बहुत कंजूस होना) – महेंद्र अपने बेटे को कपड़े भी नहीं देते वह तो
यह मानता है की चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये । |
| 98 |
जमीन आसमान एक करना
– (बहुत परिश्रम करना) – फसल अच्छी उगने के लिए सानों ने जमीन आसमान एक कर
दिया । |
| 99 |
चंपत होना
– (भागना) – चोर पुलिस को देखते ही न जाने कहाँ चंपत हो गया । |
| 100 |
जड़ उखाड़ना
– (पूर्ण रूप से नष्ट कर देना) – भारतियों ने विदेशी लोगों की भारत से जड़
उखाड़ दी । |
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