राजनीति विज्ञान- मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग

मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग
मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग

मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग [M. P. Backward Class Commission]

इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के वाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 16 नवम्बर1992 को दिये गये निर्णय के परिप्रेक्ष्य में मार्च1993 में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया
गया। 29 जून, 1995 में इसे अधिनियम के माध्यम से वैधानिक रूप प्रदान किया गया।
संगठन (Composition)- मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम1955 की धारा (2) के अनुसार आयोग में 3 शासकीय सदस्य होंगे। ये सभी ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित मामलों में विशेष ज्ञान और अनुभव प्राप्त हो। इन्हीं में से एक आयोग का सदस्य होगा। सदस्यों में से कम-सेकम एक सदस्य पिछड़े वर्ग का होना चाहिए। इसके अतिरिक्त संचालक, पिछड़ा वर्ग कल्याणआयोग के शासकीय सदस्य होंगे।
अधिनियम की धारा 5 (1) के तहत् आयोग में एक सचिव तथा उसके अधीन अन्य अधिकारी और कर्मचारी होते हैं।
कार्य और शक्तियाँ (Punctions and Powers)-अधिनियम के अनुसार आयोग के कार्य और शक्तियाँ निम्नांकित हैं ;
(1) संविधान अथवा सामान्य विधि द्वारा पिछड़े वर्ग के लोगों को दिये गये संरक्षण को दिशा में प्रयास करना;
(2) पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए बने कार्यक्रमों के समुचित तथा यथासमय कार्यान्वयन की निगरानी करना एवं ऐसे कार्यक्रमों को अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु सुझाव देना;
(3) लोक सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के सम्बन्ध में सुझाव देना;
(4) सूची किसी वर्ग को शामिल करने के प्रार्थना-पत्र पर विचार करना। आयोग इस बारे में भी परामर्श देगा कि कौन-से वर्ग पिछड़े वर्गों की सूची से निकाल दिये जायें;
(5) पिछड़े वर्गों में शामिल वर्गों में से इस बात की पहचान करना जो सम्पन्न वर्ग (Creamy Layer) में आते हों; तथा
(6) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना जो राज्य सरकार द्वारा इसे सौंपे जायें।
उल्लेखनीय है कि सन् 2011 की जनगणना मध्य प्रदेश की कुल के अनुसार जनसंख्या 7,25,97,565 है। इसमें से अनुमानत: आधी जनसंख्या पिछड़े वर्ग में आती है। मध्य प्रदेश के 27 ऐसे जिले हैं जिनकी आधी से अधिक जनसंख्या पिछड़े वर्ग की है।
आयोग द्वारा पिछड़े वर्गों की शिकायतों की सुनवाई भी की जाती है।
पिछड़े वर्ग की सूची में किसी जाति का नाम सम्मिलित करने हेतु निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन करना होता है।
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