Principles of Co-operative Movement |
सहकारिता आन्दोलन के सिद्धान्त [Principles of Co-operative Movement]
सहकारिता आन्दोलन व्यक्ति आधारित न होकर समूह आधारित होता है। सहकारिता आशय होता है : स्वेच्छा से चलाया गया एक आन्दोलन जो सहकारी प्रयासों से अपने हितों का संवर्द्धन करना चाहते हैं।
सहकारिता आन्दोलन के प्रमुख सिद्धान्त निम्नांकित हैं
(1) सामूहिक हितों पर आधारित (Based on collective interests)-
सहकारी आन्दोलन किसी एक व्यक्ति या वर्ग के हित पर नहीं वरन् सामूहिक हित पर आधारित होता है। इसमें विभिन्न इकाइयाँ मिलकर एक सामूहिक इकाई का निर्माण करती हैं और सामूहिक उद्देश्य की बात के लिए सामूहिक प्रयास करती हैं। यह आन्दोलन लाभ के स्थान पर उपयोगी समष्टिगत हितों की प्राप्ति को अधिक महत्व देता है।(2) सम्पत्ति का औचित्यपूर्ण वितरण (Justired distribution of property)-
सहकारी व्यवस्था में सदस्यों का व्यक्तिगत कुछ नहीं होता। सामाजिक सम्पत्ति का बंटवारा इस प्रणाली में औचित्यपूर्ण तरीके से सामूहिक आधार पर जाता किया है। इसलिये यह प्रणाली न्यायसंगत मानी जाती है। इस प्रणाली में असमानता की न्यूनतम संभावना होती है।
(3) सेवा पर आधारित (Based on service)-
सहकारी संगठन/सहकारी आंदोलन का उद्देश्य कभी भी लाभ अर्जित करना नहीं होता। इसका उद्देश्य समाज की सेवा करना होता है। यही कारण है कि सहकारी संगठन लाभ अर्जित करने पर कम और सेवा भाव को अधिक महत्व देते हैं।(4) आर्थिक संवृद्धि तथा समाज कल्याण पर आधारित (Based on economic growth and social welfare)-सहकारिता पर आधारित प्रणाली
सहकारिता पर आधरित प्रणाली पूंजीवादी और समाजवादी व्यवस्था का सम्मिश्रण प्रस्तुत करती है। इसमें वैयक्तिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए आर्थिक समृद्धि तथा सार्वजनिक कल्याण के लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हैं। सहकारिता, समाजवाद तथा सामाजिक कल्याण में गहरा सम्बन्ध है। समाजवाद में आर्थिक क्रियाओं को सार्वजनिक बनाया जाता है जो सहकारिता से ही संभव है।
राजनीति विज्ञान- सहकारिता आन्दोलन के सिद्धान्त [Principles of Co-operative Movement]
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8:26 PM
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