01 युग-युग – (दिनों
तक) – महाभारत का युद्ध युग युग तक चला था । |
02 रीढ़ टूटना –
(आधार खत्म होना) – बेटे के मरने से उसका तो मानो रीढ़ ही टूट गया हो । |
03 यश गाना – (तारीफ
करना) – गुरु द्रोणाचार्य जी अर्जुन का यश गाते रहते है । |
04 रोम रोम खिलना –
(बहुत खुश होना) – अपने परिवार से फिर मिलकर उसका तो रोम रोम खिल उठा । |
05 यश कमाना – (नाम
कमाना) – लोगों को यश कमाने में बहुत साल लग जाते हैं लेकिन गवाने में एक पल
नहीं लगता । |
06 रौनक जाना – (चमक
खत्म होना) – बच्चों के चले जाने से घर की रौनक भी चली जाती है । |
07 मोटा आसामी –
(अमीर आदमी) – सुनार तो आज के समय में मोटे आसामी हो गये हैं क्योंकि आजकल सब
सोना बहुत खरीदते हैं । |
08 रोटी के लाले
पड़ना – (खाने को तरसना) – अन्न जल उठने से उसको रोटी के लाले पड़ गये हैं । |
09 मन फट जाना –
(फीका पड़ना) – लोगों को साथ देखकर कुछ लोगों के मन फट जाते हैं । |
10 रात दिन एक करना
– (मेहनत करना) – लडकी का विवाह करने के लिए उसने रात दिन एक कर दिया । |
11 मांस नोचना –
(परेशान करना) – उसने पीछे डोल डोल क्र मेरा तो मास ही नोच लिया है । |
12 रोंगटे खड़े
होना – (डरना) – रात को आवाजें सुनकर उसके रोंगटे खड़े हो गये । |
13 मोहर लगा देना –
(पुष्टि करना) – आजकल सब लोग बातों पर मोहर लगा दिया करते हैं । |
14 रंग लाना – (असर
दिखाना) – कुछ ही वर्षों में लोगों के बीच महात्मा गाँधी ने रंग ला दिया था । |
15 मुंह उतरना –
(दुखी होना) – शादी के टूटने की खबर से उसका मुंह उतर गया । |
16 रंग जमना –
(तारीफ बढ़ाना) – मेरी शादी में मेरे दोस्त ने रंग जमा दिया । |
17 मुंह रखना – (मान
रखना) – रिश्तेदारों ने अपने लोगों की बात का मान रख लिया । |
18 रंग उखड़ना – (मजा
बिगड़ना) – दुर्घटना की वजह से सारे रंग उखड़ गये हैं । |
19 मुंह खून लगना
– (घूस लेने की आदत पड़ना) – अगर शेर के मुंह खून लग जाये तो वह खतरनाक हो
जाता है । |
20 युग धर्म – (समय
से चलना) – युग धर्म ही इस प्रकृति की पहचान मानी जाती है । |
21 मिटटी का माधो
– (बिलकुल मूर्ख) – वह दुनिया को बिलकुल नहीं जानता वह तो मिटटी का माधो है
। |
22 यश मानना –
(कृतज्ञ होना) – पंचाल ने यज्ञ करते समय यश मानने की गलती की थी । |
23 मेढकी को जुकाम
होना – (अनहोनी होना) – पर्वत को उठाना मेंढकी को जुकाम होने के बराबर समझा
जाता है । |
24 यश मिलना –
(सम्मान मिलना) – युधिष्ठिर को उनकी बुद्धि की वजह से यश मिली थी । |
25 मैदान मारना –
(जीत जाना) – उसने प्र्त्योगिता में सभी राज्यों से मैदान मार लिया । |
26 मुठभेड़ होना –
(मुकाबला होना) – जब लुट्टन की शेर खां से मुठभेड़ हुई थी तो शेर खां को मुंह की
खानी पड़ी । |
27 मुठ्ठी गरम करना
– (घूस देना) – आजकल के ओफिसर बस अपनी मुठ्ठी गरम करने में लगे रहते हैं । |
28 मीन मेख करना –
(बेकार तर्क) – तुम लोग मीन मेख करना बंद करो और जल्द से जल्द काम को पूरा करो । |
29 मुंह में लगाम न होना
– (ज्यादा बोलना) – बबिता के मुंह मेलागम नहीं है वह बहुत ज्यादा बोलती है
और फिर रूकती भी नहीं है । |
30 मोम हो जाना
– (नर्म बनना) -लोगों को आजकल कोई नहीं समझ सकता कभी बहुत गुस्सा करते हैं
और कभी मोम बन जाते हैं । |
31 मुंहमांगी मुराद पाना
– (मन चाहा मिलना) – मुंहमांगी मुराद पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है
। |
32 मर मिटना – (नष्ट
होना) – पहले लोग एक दूसरे के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे लेकिन आज एक दूसरे
से बोलते भी नहीं हैं । |
33 मुंहतोड़ जवाब देना
– (सबक सिखाना) – युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया
था । |
34 मुंह ताकना –
(दूसरों पर निर्भर) – हमे कभी भी किसी का मुंह नहीं ताकना चाहए हमें स्वंय के
पैरों पर खड़ा होना चाहिए । |
35 मुंह की खाना
– (लज्जित होना) – दुर्योधन जब हार गया तो उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी
थी । |
36 मुंह पर कालिख
पोतना – (कलंक लगना) – झूठी बातों की वजह से निर्दोष लोगों के मुंह पर
कालिख पुत गई । |
37 मिटटी के मोल बिकना
– (सस्ता होना) – सदर बाजार में वस्तुएं मिटटी के मोल बिकती हैं । |
38 मुंह छिपाना
– (बेइज्जत होना) – कुकर्म करने की वजह से उसे अपना मुंह छिपाना पद रहा है
। |
39 माथे पर बल पड़ना
– (चहरे पर गुस्सा होना) – कोई भी गलत बात को सुनकर माथे पर बल ले ही आएगा
। |
40 मिटटी खराब करना
– (बुरी हालत करना) – पहलवानी में लुट्टन ने शेर कहाँ की मिटटी खराब क्र दी
। |
41 मन मैला करना
– (अप्रसन्न होना) – जब भी कोई शुभ काम होता है तो न जाने क्यूँ कमल का मन
मैला हो जाता है । |
42 मक्खन लगाना – (चापलूसी करना) – मुन्सी मक्खन लगाकर मालिक
सी अपनाकाम निकलवा लेता है । |
43 मन की मन में रहना –
(इच्छा अधूरी रहना) – उसके बेटे की शादी पर उसकी मन में मन रह गई। |
44 मौत का सिर पर
खेलना – (मरने वाला) – रमेश के सिर पर मौत खेल रही है पता नहीं अगले दो पल
में क्या हो जाये । |
45 मुँह में पानी भर आना
– (जी ललचाना)- आइसक्रीम देखकर नीता के मुंह में पानी भर आया। |
46 मैदान साफ होना –
(बाधा न होना) – मैदान साफ होने की वजह से वे खेल आसानी से जीत गये । |
47 मगज खाना
– (परेशान करना) – उसने सवाल पूंछ पूंछ क्र मेरा तो मगज ही खा लिया । |
48 मुंह मोड़ना– (विमुख होना– लोगों की बातों पर विश्वास करके उसने अपने सच्चे दोस्त से
मुंह मोड़ लिया । |
49 मक्खी की तरह निकाल
देना – (किसी को काम से अलग कर देना) – जब लोगों को लगा की अब व्यक्तियों की जरूरत नहीं है तो उसने उसे
मक्खी की तरह निकाल क्र फेंक दिया । |
50 मुंह में पानी भर आना
– (लालच आना) – जब लोग मरीज के सामने मसालेदार खाने की बात क्र रहे थे तो
मरीज के मुंह में पानी भर आया । |
51 भरी लगना – (असहय
होना) – कमजोर व्यक्ति को जरा सा भर भी ज्यादा लगता है । |
52 मुंहदेखी कहना
– (तारीफ करना) – वह किसी की सच्चाई नहीं जनता बस मुंहदेखी कहता रहता है । |
53 भैंस के आगे बिन बजाना – (मूर्ख आदमी को उपदेश देना) –
अनपढ़ों को पढ़ाना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है । |
54 मुंह काला करना
– (बदनामी होना) – दुष्कर्मों की वजह से समाज ने लक्ष्मी का मुंह काला कर
दिया । |
55 भाड़े का टट्टू
– (पैसे लेकर काम करने वाला) – पैसों से कितने भी भाड़े के टट्टू खरीदे जा
सकते हैं । |
56 मिटटी पलीद करना
– (बुरी धस करना) – मेरे बने बनाए काम की तुमने मिटटी पलीद कर दी । |
57 भौंह चढ़ाना
– (गुस्सा आना) – जब उसने विरोधी की बातें सुनी तो उसकी भौंह चढने लगीं । |
58 मारा मारा फिरना
– (बुरी तरह घूमना) – जब अर्जुन की नौकरी चली गई तो वह मारा मारा फिरने लगा
। |
59 भार उतारना – (ऋण
से मुक्त होना) – उसने ऋण चूका के अपना भर उतार लिया । |
60 मशाल लेकर ढूँढना
– (अच्छे से ढूँढना) – विराट कोहली जैसा खिलाडी हमें मशाल लेकर ढूंढने पर
भी नहीं मिलेगा । |
61 भानुमती का पिटारा
– (अलग अलग चीजों का पात्र) – संग्रहालय को भानुमती का पिटारा माना जाता
हैक्योंकि वहाँ पर सभी प्रकार की वस्तुएं मिल जाती हैं । |
62 मन में लड्डू खाना
– (व्यर्थ खुश होना) – जब उसे अपनी शादी का पता चला तो उसके मन में लड्डू
फूटने लगे। |
63 बहती गंगा में हाथ
धोना – (दूसरे के काम से लाभ उठाना) -जब वह अपना काम करवाने गया था तो
मैंने भी उसका काम बनता देख अपना भी काम बना लिया यह तो बहती गंगा में हाथ धोने
वाली बात है । |
64 मजा किरकिरा होना – (रंग में भंग डलना) – जब पुलिस शराब
खाने में आ गई तो शराबियों का मजा किरकिरा हो गया। |
65 बेपेंदी का लोटा
– (पक्ष बदलने वाला) – अनीता तो दोनों तरफ अपनी बातें सुनती है वह तो
बेपेंदी के लोटे की तरह है । |
66 मुट्ठी गर्म करना
– रिश्वत देना -आजकल कोई भी काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं होता । |
67 बात का धनी होना
– (वादे का पक्का होना) – कार्तिक तो बात का धनी है जो ख देता है पूरा करता
है । |
68 मक्खी मारना
– (निकम्मा होना) -वह तो बस मक्खी मरता फिरता है उसे कोई और काम आता ही
नहीं । |
69 बाँछे खिल जाना –
(बहुत खुश होना) – पवन को देखते ही उसके तो बाँछे खिल गये । |
70 भनक पड़ना – (खबर
लगना) – अगर लूं को हमारे बुरे कामों के बारे में भनक भी पड़ गई तो बहुत बुरा
होगा । |
71 बल्लियों उछलना –
(बहुत खुश होना) – क्रिकट में जितने पर भारत के खिलाडियों ने बल्लियाँ उछाल दी । |
72 भेड़ियाधसान होना
– (देखा -देखी करना) – तुम लोग क्यूँ लोगों के घर जा जाकर भेड़ियाधसान हो
रहे हो होना वही है जो किस्मत में लिखा है । |
73 बछिया का ताऊ –
(मूर्ख) – वह तो बछिया का ताऊ है जिस टहनी पर बैठा है उसी को काट रहा है । |
74 भीगी बिल्ली बनना
– (सहमना) – वह तो दूसरे के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है । |
75 बन्दर घुड़की
– (बेकार धमकी देना) – तुम बन्दर घुड़की मत दिया करो तुम से कुछ नहीं होगा । |
76 भाड़ झोंकना
– (समय बर्बाद करना) – उस पर भाड झोंकने के अलावा और कोई काम नहीं है । |
77 बोलती बंद करना
– (बोलने नहीं देना) – मैंने गलत काम करने के लिए मना किया लेकिन वह नहीं
माना तो मैंने उसकी बोलती बंद कर दी । |
78 भूत सवार होना
– (बहुत क्रोध आना) – वह किसी की भी बात नहीं सुन रहा है उसके सिर पर तो
बहुत सवार है । |
79 बे सिर पैर की बात करना – (बिन मतलब की बात करना) – तुम
लोग बेसिर पैर की बातें करना छोड़ो और अपना अपना काम करो । |
80 भार उठाना
– (उत्तरदायित्व लेना) – वह अपनी बहन का भर उठाकर आजतक उसे पूरा कर रहा है
। |
81 बुखार उतारना
– (गुस्सा करना) – सोहन के पिता ने खा की मैं दो मिनट में तेरा बुखार उतार
दूंगा । |
82 भंडा फूटना
– (राज खुलना) -सब लोगों के सामने ही उसका भंडा फूट गया । |
83 बासी कढ़ी में उबाल
आना – (बुढ़ापे में जवानी की आशा करना) – आजकल लोगों में बासी कढ़ी में उबाल
आने की बातें होती हैं । |
84 बगुला भगत
– (छलने वाला) – भरत की मत पूछो वह उपर से सीधा है लेकिन अंदर से बगुला भगत
है । |
85 बाल बाँका न होना
– (हानि न होना) – संजना के प्रेमी ने उससे कहा की वह उसका बाल भी बाँका
नहीं होगा । |
86 बिल्ली के गले में
घंटी बंधना – (खुद को परेशानी में डालना) – जब लोग बिल्ली के गले में घंटी
बाँधते रहते हैं । |
87 बात काटना -( बीच में बोलना) – छोटों को बड़ों की बात
काटना उचित नहीं है । |
88 बाजार गर्म
होना – (धंधा अच्छा चलना) – आजकल तो बाजार बहुत गर्म हो रहा है इसमें बहुत
लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है । |
89 बाजी ले जाना
– (आगे निकलना) – मिल्खा सिंह ने दौड़ में बाजी ले ली । |
90 बाएँ हाथ का खेल
– (आसान काम) – तुम लोग इसे बाएँ हाथ का खेल मत समझो यह बहुत मुश्किल काम
है । |
91 बरस पड़ना
– (क्रोध से बातें सुनाना) – शिवानी मुझ पर बिना किसी बात के बरस पड़ी । |
92 बड़े घर की हवा खाना
– (जेल जाना) – सतवीर ने शराब का काम किया और फस गया तो उसे बड़े घर की हवा
खानी पड़ी । |
93 बगलें झाँकना –
(बेइज्जत होकर चारों तरफ देखना ) – जब कर्जा न चुकाने की वजह से वह सब जगह बगलें
झाँकने लगा । |
94 बखिया उधेड़ना
– (राज खोलना) – में महात्मा गाँधी
ने अंग्रेजों की बखिया उधेड़ दी । |
95 फब्तियां कसना –
(ताना मारना) – जब सिक्षा कक्षा में फेल हो गई तब उसके पिता ने उस पर खूब
फब्तियां कसीं । |
96 बौछार करना –
(अधिक देना) – कन्यादान करते समय लडकी के पिता ने पैसे की बौछार कर दी । |
97 फूलना-फलना-(धन
और कुल होना) – एक माँ ने अपने बेटे से आशीर्वाद देते समय कहा की फूलो-फलो। |
98 बेवक्त की शहनाई बजाना
– (अवसर के खिलाफ काम करना) – वे लोग तो उल्टे हैं बेवक्त की शहनाई बजाते
रहते हैं । |
99 फट पड़ना – (एकदम
से गुस्सा आना) – जगमोहन एकदम से गुस्से से फट पड़ा । |
100 बेडा पार लगाना
– (मुसीबत से निकालना) – अब तो भगवान ही हमारा बेडा पर लगा सकते हैं । |
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