1 |
इज्जत बेचना – (पैसे
लेकर इज्जत लुटाना) – आप लोग क्या समझते हैं कि शहर की लडकियाँ अपनी इज्जत
बेचती फिरती हैं । |
2 |
अक्ल चकराना – (कुछ
समझ में न आना) – दो देशों के बीच बिना बात की लढाई देखकर मेरी तो अक्ल ही
चक्र गई । |
3 |
इधर की उधर करना –
(चुगली करना) – अनीता को कुछ भी बताना बेकार है वह तो इधर की उधर करती रहती
है । |
4 |
अँधेरे घर का उजाला –
(अकेली संतान होना) – राकेश तो अपने अँधेरे घर का उजाला है । |
5 |
इधर-उधर करना –
(टालमटोल करना) – अब इधर – उधर मत करो मुझे मेरी पुस्तक दे दो । |
6 |
अँगूठे पर मारना –
(परवाह न करना) – वह छोटे – बड़ों को तो अपने अंगूठे पर मरता है । |
7 |
ईंट का जवाब पत्थर से
देना – (किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना) – भारतीय सेना ने शत्रु का
समना करते समय ईंट का जवाब पत्थर से दिया । |
8 |
अंकुश रखना –
(नियंत्रण रखना) – वह किसी भी बात को ऐसे ही नहीं कहते हैं वे अपने आप पर
अंकुश रखना जानते हैं । |
9 |
अंडा फूट जाना – (राज
खुल जाना) – जब लोकेश की साडी बातें लोगों के सामने आ गई तो उसका अंडा फूट
गया । |
10 |
आम के आम गुठलियों के
दाम – (दोगुना लाभ होना) – एक वस्तु खरीदने पर दूसरी मुफ्त यह तो आम के आम
गुठलियों के दाम वाली बात हुई । |
11 |
अंगूठा चुसना – (खुशामद करना) –
स्वाभिमानी लोग कभी किसी का अंगूठा नहीं चूसा करते । |
12 |
औंधे मुंह गिरना –
(बुरी तरह धोखा खाना) – खरीददारी करने की वजह से किसान औंधे मुंह आ कर गिरा
है । |
13 |
आड़े हाथों लेना-
(बुरा-भला कहना) – कविता अपने से बड़ों से गलत तरह से बात क्र रही थी इसलिए
उसके अध्यापक ने उसे आड़े हाथों ले लिया । |
14 |
ओखल में सिर देना –
(जानकर समस्या में पड़ना) – जब ओखल में सिर दे दिया है तो अब डरते क्यूँ हो
। |
15 |
आसमान दिखाना- (पराजित
करना) – आयुर्वेद ने सभी विदेशी कम्पनियों को आसमान दिखा दिया । |
16 |
अथाह मेँ पड़ना –
(मुश्किल मेँ पड़ना) – तुम उस पागल से क्या मुश्किल का हल पुंचते हो वह तो
खुद ही अथाह में पड़ता फिरता है । |
17 |
आन की आन में- (फौरन ही) – वैसे तो वह
कुछ कर्ता नहीं लेकिन जब करने की सोच लेता है तो वह आन की आन में ही कर्ता है । |
18 |
अटकलेँ भिड़ाना – (उपाय
सोचना) – वह तो हर वक्त किसी न किसी बात पर अटकलें भिडाती रहती है । |
19 |
आग लगाकर पानी को
दौड़ाना- (पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना) – पहले तो स्कूल
में लड़ाई करवाते हो फिर उसे शांत करने की कोशिश करते हो यह तो आग लगाकर पानी को
दौड़ने वाली बात हुई । |
20 |
अक्ल का कसूर –
(बुद्धि दोष) – तुम्हे कोई बात समझ नहीं आती यह तुम्हारा नहीं तुम्हारी
अक्ल का कसूर है । |
21 |
आग बोना- (झगड़ा
लगाना)-सब लोग लड़ाई में झगड़ा कम करने की वजह और आग बोने का काम करते हैं
। |
22 |
अँधेरे मुँह – (पौ
फटते) – गाँव में सब लोग अँधेरे मुंह ही उठने लगते हैं । |
23 |
आग पर आग डालना- (जले
को जलाना) – लक्ष्मी लड़ाई को मिटाने की जगह और आग पर आग डालने का काम करती
है । |
24 |
अंधे को चिराग दिखाना
– (मूर्ख को उपदेश देना) – विकाश को कुछ भी समझाना अंधे को चिराग दिखाने के
समान है । |
25 |
अरण्य-चन्द्रिका-
(व्यर्थ का पदार्थ होना) – अरुण अपना समय अरण्य चन्द्रिका पर बर्बाद कर्ता
रहता है । |
26 |
अंग लगाना – (गले
लगाना) – जब उसे अपनी माँ के आने का पता लगा तब उसने अपनी माँ को अंग से
लगा लिया । |
27 |
अपना घर समझना- (बिना
संकोच व्यवहार करना) – सुखी ने रिश्तेदारों से बात करने के लिए बुलाया
लेकिन वो तो उसे अपना ही घर समझने लगे । |
28 |
अंगड़ाना – (अंगड़ाई
लेना) – जब श्याम सुबह उठता है तो उठने के बाद अंगड़ाता है । |
29 |
अँधेरे मुँह- (प्रातः
काल) – वो तो अँधेरे मुंह उठकर ही काम करने लगता है । |
30 |
अंगूर खट्टे होना – (न
मिलने पर वस्तु को खराब कहना) – जब लोमड़ी के हाथ अंगूर न लगे तो उसे लगा कि
अंगूर खट्टे हैं । |
31 |
अंडे का शाहजादा-
(अनुभवहीन) – काम करना क्या होता है वह अंडे का शाहजादा क्या जाने । |
32 |
अंगारे उगलना – (कडवी
बातें करना) – सरोज तो बातें नहीं करती वह तो अंगारे उगलती है । |
33 |
अंग-अंग फूले न समाना-
(बहुत खुश होना) – अपनों से मिलकर उसका अंग-अंग फूले न समाया । |
34 |
आड़े आना- (नुकसानदेह
होना) – आजकल की वस्तुएं आड़ी आने लगी हैं । |
35 |
अंकुश देना – (जोर
देना) – भारतीय खिलाडियों पर खेल जीतने के लिए बहुत अंकुश दिया गया । |
36 |
आग रखना- (मान
रखना) – मेहमान भगवान का रूप होता है इसलिए सब लोग उनका आग रखते हैं । |
37 |
अपनी डफली आप बजाना –
(अपने मन अनुसार करना) – राधा किसी की बात नहीं सुनती , वो हमेशा अपनी ढपली
बजाती रहती है । |
38 |
आग से पानी होना-
(क्रोध करने के बाद शांत हो जाना) – हमें तो श्याम का स्वभाव समझ नहीं आता
वो तो आग से पानी हो जाता है । |
39 |
अंतर के पेट खोलना –
(समझदारी से काम लेना) – हर परेशानी में हमे अंतर के पेट खोलना चाहिए । |
40 |
आग लगाकर तमाशा देखना-
(झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना) – सुनीता हमारे घर में आग लगाकर तमाशा देखती
है । |
41 |
अक्ल का पुतला – (बहुत
बुद्धिमान होना) – विदुर जी को अक्ल का पुतला माना जाता था । |
42 |
आग पानी का बैर- (सहज
वैर) – लता और चारू को समझाना तो बहुत मुस्किल है उनमें तो आग पानी का बैर
है । |
43 |
अक्ल का अजीर्ण होना –
(जरूरत से ज्यादा अक्ल होना) – मोहन किसी विषय में किसी और को महत्व नहीं
देता उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है । |
44 |
आग का पुतला-
(क्रोधी) – सुरजन तो आग का पुतला है छोटी -छोटी बात पर बुरा मान लेता है । |
45 |
अगिया बैताल –
(क्रोधी) – रोहन छोटी-छोटी बात पर अगिया बैताल हो जाता है । |
46 |
अड़चन डालना- (बाधा
उत्त्पन करना) – सपना हर शुभ काम में अडचन डालती है । |
47 |
आसन डोलना – (विचलित
होना) – धन देखते ही ईमान का भी आसन डोल जाता है । |
48 |
अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक
कर काम करना) – तुम्हे काम करना नहीं आता तुम अड़ियल टट्टू की तरह काम करता
है । |
49 |
अब तब होना – (परेशान
करना) – दवाई देने से कोई फायदा नहीं वह तो अब तब हो रहा है । |
50 |
अठखेलियाँ सूझना-
(दिल्लगी करना) – आजकल के बच्चों को अठखेलियाँ सूझती हैं । |
51 |
अपना किया पाना –
(कर्म का फल भोगना ) – जब बेकार लोगों से नाता रखोगे तो अपना किया ही पाओगे
। |
52 |
अंगार बनना- (क्रोधित
होना) – राजेश की बात सुनकर रमेश अंगार बन गया । |
53 |
अन्न जल करना – (जलपान
करना) – बहुत दिनों बाद आये हो कुछ अन्न जल तो कर लेते । |
54 |
अंग में अंग चुराना-
(शरमाना) – वह मुझसे अंग से अंग चुराने लगा । |
55 |
अढाई दिन की हुकुमत (
कुछ ही दिन की शानोशौकत) – जरा होशियार रहें ये अढाई दिन की हुकुमत है जल्दी चली
जाएगी । |
56 |
अंधों में काना राजा –
(अनपढ़ों में पढ़े लिखे का सम्मान होना) – रावन तो अंधों में काना राजा के
समान है । |
57 |
अक्ल की दुम – (खुद को
होशियार समझनेवाला) – तुम्हे दस का पहाडा तो आता है नहीं और खुद को साइंस
का टॉपर कहते हो । |
58 |
अक्ल के घोड़े दौड़ना
-(कल्पनाएँ करना) – जय तो हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ता रहता है । |
59 |
अंधेर नगरी – (जहाँ
कपट का बोलबाला हो) – पहले चाय इकन्नी में मिलती थी और अब दस पैसे की मिलती
है ये बाजार नहीं अंधेर नगरी है । |
60 |
अंत पाना – (भेद
पाना) – किसी का भी अंत पाना कठिन है । |
61 |
अँधा होना –
(विवेकभ्रष्ट होना) – तुम अंधे हो गये हो क्या यह भी नहीं देखते कि कोई खड़ा
है या नहीं । |
62 |
अक्ल दंग होना –
(हैरान होना) – सोहन ज्यादा पढाई नहीं कर्ता लेकिन जब रिजल्ट आया तो सब की
अक्ल दंग रह गयी । |
63 |
अन्धा बनना –
(आगे-पीछे कुछ नहीं देखना) – धर्म के पीछे अँधा नहीं बनना चाहिए । |
64 |
अंगारों पर पैर रखना –
(खुद को संकट में डालना) – भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर भारत की सेवा
करती है । |
65 |
अण्ड-बण्ड कहना –
(भला-बुरा कहना) – तुम क्या अण्ड-बण्ड ख रहे हो कोई सुन लेगा तो बहुत पिटेगा । |
66 |
आसमान टूट पड़ना –
(बहुत कष्ट आना) – उसने इतने दुखों का समना किया की मानो उस पर तो दुखों का
पहाड़ टूट पड़ा । |
67 |
अंचरा पसारना –
(माँगना) – माँ ने अपने बेटे की तरक्की के लिए भगवान के सामने अंचरा पसार लिया । |
68 |
आठ आठ आँसू रोना –
(बहुत पछताना) – अगर अभी नहीं पढोगे तो बाद में आठ आठ आँसू रोना पड़ेगा । |
69 |
अंग टूटना –
(बहुत थक जाना) – ज्यादा काम करने से मेरे तो अंग टूटने लगे हैं । |
70 |
अब तब करना – (बहाना
बनाना) – मैने उससे कुछ माँगा तो उसने अब तब करना शुरू क्र दिया । |
71 |
आँखों में बसना –
(दिल में समाना) – वह इतना बुद्धिमान है कि वह मेरी आँखों में बस गया । |
72 |
अन्न लगना – (स्वस्थ
रहना) – उसे तो अपने गाँव का ही अन्न लगता है । |
73 |
आसमान सिर पर
उठाना – (शोर मचाना) – स्कूल के बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया । |
74 |
अन्न जल उठाना –
(मरना) – मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा यहाँ से अन्न जल उठ गया है । |
75 |
आबरू पर पानी
फिरना – (प्रतिष्ठा बर्बाद होना) – तुम्हारी नादानी के कारण ही हमारी आबरू
पर पानी फिर गया । |
76 |
अगले जमाने का आदमी –
(ईमानदार व्यक्ति) – आज की दुनिया में अगले जमाने का आदमी बुद्ध माना जाता
है । |
77 |
आटा गीला करना
– (घाटा आना) – कम कीमत में फसल बेचोगे तो आटा तो गीला होगा ही । |
78 |
अकेला दम – (अकेला
होना) – मैं तो अकेला हूँ जिधर सींग समायेगा , चल दूंगा । |
79 |
आग में कूदना –
(जानबूझकर मुसीबत में पड़ना) – वीर पुरुष किसी खतरे से नहीं डरते वे तो आग में भी
कूद पड़ते हैं । |
80 |
अंधेरखाता – (अन्याय
होना) – मुंहमांगा देने पर भी लोग अन्याय करते हैं यह कैसा अन्धेरखाता है । |
81 |
आँसू पीकर रह जाना –
(दुःख और अपमान को सहन करना) – सबके समने बुरा भला सुनकर भी वह आँसू पीकर
रह गया । |
82 |
अन्धा बनाना – (धोखा
देना) – लोगों ने ही लोगों को अँधा बना रखा है । |
83 |
आँच न आने देना –
(थोड़ी सी भी चोट न लगने देना) – मेरा दोस्त मुझ पर जरा भी आँच नहीं आने देगा । |
84 |
अन्धाधुन्ध
लुटाना – (बिना सोचे खर्च करना) – अपनी कमाई को कोई भी अन्धाधुन्ध लुटाया
नहीं करते । |
85 |
आँखें लाल करना –
(गुस्से से देखना) – सुंदर की बातों का बुरा मान क्र उसने आँखें लाल कर लीं । |
86 |
अण्टी मारना –
(चाल चलना) – ऐसी अण्टीमारो कि सब चारों खाने चित हो जाए । |
87 |
आँखों में गड़ना –
(बुरा लगना) – मेरी बातें उसकी आँखों में गड़ गई । |
88 |
अंगारों पर
लेटना – (दुःख सहना) – वह दूसरे की तरक्की देखकर अंगारों पर लोटने लगा । |
89 |
आँखों में पानी न
होना – (बेशर्म होना) – बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता । |
90 |
अंक भरना –
(प्यार से गले लगा लेना) – माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया । |
91 |
आँख का काजल
चुराना – (सफाई के साथ काम करना) – बहुत सारे लोगों के बीच से घडी का चोरी
होना ऐसा लगता है जैसे चोर ने आँखों से काजल चुरा लिया । |
92 |
आँख भर आना –
(आँसू आना) – बेटी की बिदाई से माँ बाप की आँख भर आई । |
93 |
आँख उठाकर न
देखना – (ध्यान न देना) – श्याम किसी को आंख उठाकर नहीं देखता है । |
94 |
आवाज उठाना –
(विरोध करना ) – गुंडों के खिलाफ आवाज उठाना आम बात नहीं है । |
95 |
अरमान निकालना –
(इच्छा पूरी करना) – बेटे की शादी में बाबु साहब ने अपने दिल के अरमान निकाले । |
96 |
आधा तीतर आधा
बटेर – (बेढंगा)–पश्चिमी संस्क्रती ने भारतीय संस्क्रती को आधा तीतर आधा
बटेर बना दिया । |
97 |
ढाई चावल की खिचड़ी अलग
पकाना – (अलग-अलग रहना) – कुछ सैलून पहले पाकिस्तानी सेना ढाई चावल की
खिचड़ी अलग पका रही थी । |
98 |
आग लगने पर कुआँ
खोदना – (मुसीबत आने पर मुसीबत का हल ढूँढना) – अंतिम घडी में शहर से
डॉक्टर बुलाना आग लगने पर कुआँ खोदने के समान है । |
99 |
आँखें खुलना –
(होश आना) – एक बार ठोकर लगने के बाद व्यक्ति की आँखें खुल जाती हैं । |
100 |
आग पर पानी
डालना – ( शांत करना) – ओ भाइयों में ज्यादा गरमा-गर्मी हो गई थी
लेकिन दीदी की बातों ने आग पर पानी डाल दिया । |
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