जब किसी शुष्क गैस को नियत दाब पर रखा जाता है तो केल्विन तापमान और आयतन एक दूसरे के अनुक्रमानुपाती होते हैं।चार्ल्स का नियम (इसे आयतन नियम के नाम से भी जाना जाता है) प्रायोगिक गैस नियम है जिसके अनुसार गैस को गर्म करने पर उसमें विस्तार होता है। चार्ल्स के नियम का आधुनिक कथन निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है:
यह अनुक्रमानुपाती सम्बन्ध निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
अथवा
जहाँ:
- V गैस का आयतन है
- T गैस का (कैल्विन पैमाने पर) तापमान है
- k नियतांक है।
तापमान
तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म।उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है।एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था।गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है।तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है।
चार्ल्स का नियम
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