शैवाल (Algae /एल्गी/एल्जी; एकवचन:एल्गै) जनन

एक शैवाल

शैवालों में जनन कई प्रकार से होता है। कुछ तो स्वयं विभाजित होते रहते हैं और बढ़ते चले जाते हैं। यह क्रिया अधिकतर कोशिका विभाजन की रीति से होती है। एककोशिक शैवाल इसी रीति से जनन करते हैं। बड़े कोटि के शैवालों में अलैंगिक तथा लैंगिक दोनों प्रकार के जनन होते हैं। अलैंगिक जनन कई ढंग से हो सकता है। कुछ शैवालों में चलबीजाणुओं (Zoospores) की उत्पत्ति होती है। चलबीजाणु नंगे जीवद्रव्य (Protoplasm) का पिंड होता है, जो कशाभिका के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकता है। चलबीजाणु पानी के शैवालों में पैदा होते हैं। ये स्वत: अंकुरित होकर नया शैवाल बनाते हैं। जब पानी की मात्रा कम होने लगती है, अथवा विपरीत वातावरण आ पड़ता है, तो अचलबीजाणु (aplanospores) बनते हैं, जो मोटे आवरण से चारों ओर घिरे रहते हैं। इनमें कशाभिका नहीं होती। कुछ शैवालों में अलैंगिक जनन निश्चेष्ट बीजाणुओं (akinetes) द्वारा होता है। इनके बनने की रीति यह है कि शैवाल की कोई भी कोशिका गोलाकर होकर मोटी तह के आवरण रूप में चारों ओर से आच्छादित हो जाती है। ऐसी दशा तो केवल असंगत परिस्थिति में ही देखी जाती है, विशेषकर जब शुष्क और गर्म वातावरण हो जाता है। जब अनुकूल वातावरण प्राप्त हो जाता है तब इनका अंकुरण होने लगता है और ऊपरी, मोटी तह की दीवार धीरे से टूट जाती है और नवजात शैवाल का निर्माण होने लगता है। कुछ शैवाल पानी के किनारे पड़े रहते हैं। जब विपरीत वातावरण होता है, तब इनकी कोशिकाओं में विभाजन तो होता ही रहता है, परंतु ये विलग नहीं हो पातीं, अपितु कोशिका की दीवार मोटी होती जाती है और उसके अंदर कई कोशिकाएँ भरी पड़ी रहती हैं। जब अनुकूल वातावरण आता है, तब ये अंकुरित होकर नया शैवाल बनाती हैं। ऐसी दशा को पैलमेला अवस्था (Palmella stage) कहते हैं।
लैंगिक जनन (sexual reproduction) दो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं के संयोग से होता है। इन कोशिकाओं को युग्मक (gametes) कहते हैं। ये युग्मक युग्मकधानियों (gametangia) में पैदा होते हैं। दोनों प्रकार के युग्मकों के संयोजन (fusion) से युग्मज (zygote) बनता है। युग्मकों के जोड़े, जिसमें से एक पितृपक्ष का तथा दूसरा मातृपक्ष का होता है, तीन प्रकार के होते हैं :
(१) समयुग्मक (isogametes) में दोनों प्रकार के युग्मकों की रचना तथा आकार समान होता है। इनके द्वारा होनेवाले जनन को समयुग्मकी (isogamous) जनन की संज्ञा देते हैं।
(२) दो संयोजित युग्मक (fusing gametes) देखने में एक ढंग के होते हैं तथा कशाभिका द्वारा भ्रमणशील होते हैं, परंतु एक छोटा तथा दूसरा बड़ा होता है। छोटे युग्मक को लघुयुग्मक (Microgamete) तथा बड़े का गुरुयुग्मक (Macrogamete) कहते हैं। ये युग्मक विषम होते हैं तथा ऐसे जनन को असययुग्मकी (anisogamous) जनन कहते हैं।
(३) दोनों प्रकार के युग्मक भिन्न आकार के होते हैं। एक छोटा और भ्रमणशील तथा दूसरा बड़ा और स्थिर होता है। प्रथम कोटिवाले को पुंयुग्मकश् (Male gamete) तथा दूसरे को स्त्री युग्मक (Female gamete) या अंडा कहते हैं। इस प्रकार के जनन को विषमयुग्मक (oogamoos) जनन कहते हैं। इस प्रकार का जनन बहुधा बड़े शैवालों में होता है और इसे विषमयुग्मकता (Oogamy) कहते हैं।
संयोजन (fusion) की क्रिया के फलस्वरूप युग्मज और युग्माणु (zygospore) बनते हैं। ये अंकुरित होते हैं। अंकुरण के समय इनमें चलबीजाणु बनते हैं जो बाहर आने पर अंकुरित होकर नए शैवाल को जन्म देते हैं। समयुग्मकी साधारण कोटि का तथा विषमयुग्मकी उच्च कोटि का जनन समझा गया है।















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