ठोस अवस्था : विद्युतीय गुण

विद्युतीय गुण Electrical Property

solid state-1- Electron rich impurities

ठोस के विद्युत चालकता में अद्भुत विविधता पाई जाती है। विद्युत चालकता की यह विविधता 27 कोटियों में फैला होता है, जिसका परिमाणों का परास (Magnitude of orders) 10-20 Ω-1 m-1 से लेकर 10-7 Ω-1 m-1 तक होता है।
इस चालकता की विविधता में गुण के आधार पर ठोस को तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

(i) चालक (Conductors)

वैसे ठोस जिनकी चालकता का परास 104 Ω-1 m-1 से लेकर 107 Ω-1 m-1 के मध्य हो चालक कहलाते हैं।
धातुओं के चालकता की कोटि 107 Ω-1 m-1 होती है। और ये उत्तम चालक होते हैं।

(ii) विद्युतरोधी (Insulators)

वैसे ठोस जिनकी चालकता 10-20 Ω-1 m-1 से लेकर 10-10 Ω-1 m-1 के परास के मध्य होती है, विद्युतरोधी (Insulators) कहलाते हैं।

(iii) अर्धचालक (Semiconductors)

वैसे ठोस जिनकी चालकता 10-6 Ω-1 m-1 से लेकर 10-4 Ω-1 m-1 के परास के मध्य होती है, अर्धचालक (Semiconductor) कहलाते हैं।

धातुओं में विद्युत चालन (Conduction of Electricity in Metals)

एक चालक में विद्युत का चालन इलेक्ट्रॉन अथवा आयनों के मूवमेंट (Movement) के कारण होता है। धातुओं में विद्युत का चालन इलेक्ट्रॉन की गति के द्वारा तथा इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) मं` विद्युत का चालन आयनों की गति के कारण होता है।
धातु ठोस तथा गलित (Molten) दोनों अवस्थाओं में विद्युत का चालन करता है। धातु में विद्युत का चालन प्रति परमाणु संयोजी इलेक्ट्रॉन पर निर्भर करता है।
धातु के परमाणु कक्षाएं मिलकर आण्विक कक्षाएं बनाती हैं। इन कक्षाओं की उर्जा इतनी आसपास होती हैं कि ये एक बैंड बना लेते हैं। यदि बैंड आंशिक रूप से भरा हो अथवा यह यह एक उच्च उर्जा वाले रिक्त चालकता बैंड के साथ ओवरलैप (overlap) करता है तो विद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन आसानी से प्रवाहित हो सकते हैं जिसस धातु चालकता दर्शाती है।
solid state- Conduction of Electricity in Metals
यदि भरे हुए संयोजी बैंड तथा आगामी उच्च रिक्त बैंड (conduction band) के बीच दूरी अधिक होती है, तो इलेक्ट्रॉन उसे लाँघ (jump) नहीं सकते हैं। इस स्थिति में पदार्थ की चालकता काफी कम होगी तथा वह विद्युतरोधी (Insulator) की तरह व्यवहार करता है।
solid state-1- Conduction of Electricity in Metals

अर्धचालकों में विद्युत चालन (Conduction of electricity in Semiconductors)

अर्धचालकों में संयोजन बैंड एवं चालक बैंड के मध्य अंतराल कम होता है। जिसके कारण कुछ चालक इस कम अंतराल के कारण बैंड लांघ सकते हैं तथा अल्प चालकता दिखलाते हैं।
ताप बढ़ने के साथ अर्धचालकों में विद्युत चालकता बढ़ जाती है, क्योंकि अधिक संख्यां में इलेक्ट्रॉन चालक बैंड में जा सकते हैं।
सिलिकन तथा जरमेनियम जैसे पदार्थ इस प्रकार का व्यवहार दिखलाते हैं, तथा इन्हें आंतर अर्धचालक (Intrinsic semiconductors) कहते हैं।
solid state-1- Conduction of electricity in Semiconductors
सिलिकन तथा जरमेनियम जैसे आंतर अर्धचालकों की विद्युत चालकता व्यवहारिक उपयोग के लिये बहुत ही कम होती है। अत: इन आंतर आर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ाने के लिये इनमें उचित अशुद्धि मिलाई जाती है।

अपमिश्रण (Dopin)

आंतर चालकों की विद्युत चालकता बढ़ाने के लिये उचित अशुद्धि मिलाने की विधि को अपमिश्रण (DOPING) कहते हैं। अपमिश्रण उस अशुद्धि द्वारा किया जाता है जो आंतर अर्धचालक, जैसे सिलिकन अथवा जरमेनियम, की तुलना में इलेक्ट्रॉन धनी या इलेक्ट्रॉन न्यून हो। ऐसी अशुद्धियों से इन ठोसों में इलेक्ट्रॉनीय दोष (Electronic Defects) उत्पन्न हो जाता है।

(a) इलेक्ट्रॉन – धनी अशुद्धियाँ (Electron – rich impurities)

सिलिकन और जरमेनियम आवर्तसारणी के चौदहवें वर्ग में हैं और प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन है। क्रिस्टलों में इनका प्रत्येक परमाणु अपने निकटस्थ परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजक बंध बनाता है।
solid state-1- Electron rich impurities
जब पन्द्रहवें वर्ग के तत्व जैसे P अथवा As, जिनमें पाँच संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं, को अपमिश्रित किया जाता है, तो यह सिलिकन अथवा जरमेनियम के क्रिस्टल में कुछ जालक स्थलों में आ जाते हैं।
solid state- Electron rich impurities
इस तरह पाँच में से चार इलेक्ट्रॉनों का उपयोग चार सन्निकट सिलिकन परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजक बंध बनाने में होता है। पाँचवां अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन विस्थानित हो जाता है। यह विस्थानित इलेक्ट्रॉन अपमिश्रित सिलिकन (अथवा जरमेनियम) की चालकता में बृद्धि करते हैं।
यहाँ चालकता में बृद्धि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन के कारण होती है। अत: इलेक्ट्रॉन धनी अशुद्धि से अपमिश्रित सिलिकन को n– प्रकार का अर्धचालक कहा जाता है।

(b) इलेक्ट्रॉन – न्यून अशुद्धियाँ (Electron Deficient Impurities):

सिलिकन तथा जरमेनियम, जो कि आवर्त सारणी में चौदहवें वर्ग में हैं, को वर्ग तेरह (13) के तत्वों, यथा बोरॉन (B), एलुमिनियम (Al) अथवा गैलियम (Ga), जिनमें संयोजक इलेक्ट्रॉन की संख्या 3 होती है, के साथ अपमिश्रित किया जा सकता है।
इस स्थिति में वह स्थान जहाँ चौथा इलेक्ट्रॉन नहीं होता है, इलेक्ट्रॉन रिक्ति या इलेक्ट्रॉन छिद्र कहलाता है। निकटवर्ती परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकर इलेक्ट्रॉन छिद्र को भर सकता है, परंतु ऐसा करने पर वह अपने मूल स्थान पर इलेक्ट्रॉन छिद्र छोड़ जाता है।
solid state- Electron Deficient Impurities
यदि ऐसा होता हो तो यह प्रतीत होगा जैसे कि इलेक्ट्रॉन छिद्र, जिस इलेक्ट्रॉन द्वारा यह भरा गया है उसके विपरीत दिशा में चल रहा है।
विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन छिद्रों से धनावेशित प्लेट की ओर चलेंगे, परंतु ऐसा प्रतीत होगा जैसे इलेक्ट्रॉन छिद्र धनावेशित हैं और ऋणावेशित प्लेट की ओर चल रहे हैं।
इस प्रकार के अर्धचालकों को p–प्रकार के अर्धचालक कहते हैं।

n–प्रकार और p–प्रकार के अर्धचालकों के अनुप्रयोग

n–प्रकार और p–प्रकार के अर्धचालकों को विभिन्न क्रम में संयोजित कर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं बनाने में उपयोग किया जाता है।
जैसे डायोड n–प्रकार और p–प्रकार के अर्धचालकों का एक कॉम्बिनेशन (संयोजन) है, जिसका उपयोग रेक्टिफायर (परिशोधक) के रूप में किया जाता है।
ट्रांजिस्टर भी इसी तरह n–प्रकार और p–प्रकार के अर्धचालकों के विभिन्न संयोजन से तैयार किया जाता है। npn और pnp प्रकार के ट्रांजिस्टरों को रेडियो अथवा श्राव्य संकेतों के पहचान और प्रवर्धन में उपयोग किया जाता है।
सोलर फोटो सेल भी विभिन्न प्रकार के अर्धचालकों के संयोजन से तैयार किया जाता है। सोलर फोटो सेल का उपयोग सौर उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के लिये किया जाता है।


चुम्बकीय गुण (Magnetic Property)

सभी पदार्थों में कुछ चुम्बकीय गुण होता है। पदार्थों में चुम्बकीय गुण उसमें वर्तमान इलेक्ट्रॉन की घूर्णन गति के कारण होता है।
किसी एक परमाणु में प्रत्येक इलेक्ट्रॉन एक सूक्ष्म चुम्बक की तरह व्यवहार करता है। उसका चुम्बकीय आघूर्ण दो प्रकार की गतियों के कारण उत्पन्न होता है:
(i) उसकी नाभिक के चारों ओर कक्षा में गति
(ii) तथा उसका अपने अक्ष पर चारों ओर गति
solid state- magnetic property solid state- 1-Magnetic property
इलेक्ट्रॉन के इस चुम्बकीय आघूर्ण को बोर मैग्नेटॉन, μβ कहा जाता है।
मैग्नेटॉन, μβ =9.27×10-24 A m2
पदार्थों को उनमें विद्यमान चुम्बकीय गुण के आधार पर पाँच भागों में बांटा जा सकता है:
(i) अनुचुम्बकीय (ii) प्रतिचुम्बकीय (iii) लोहचुम्बकीय (iv) प्रतिलोहचुम्बकीय (v) फेरीचुम्बकीय

(i) अनुचुम्बकत्व (PARAMAGNETISM)

अनुचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं। ये चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में चुम्बकित हो जाते हैं तथा चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में अपना चुम्बकत्व खो देते हैं।
एक अथवा अधिक अनपेयर्ड (अयुगलित) इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति ही अनुचुम्बकत्व का कारण है। ये अनपेयर्ड (बिना जोड़े वाले) इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं।
उदारण: O2, Cu2+, Fe3+, Cr3+ आदि, अनुचुम्बकत्व दर्शाने वाले या अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं।

(ii) प्रतिचुम्बकत्व (DIAMAGNETISM)

प्रतिचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र से दुर्बल रूप से विकर्षित होते हैं। ऐसे पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिश में दुर्बल रूप से चुम्बकित होते हैं। प्रतिचुम्बकत्व उन पदार्थों द्वारा दर्शाया जाता है जिसमें कोई भी इलेक्ट्रॉन सिंगल अर्थात बिना जोड़े का नहीं होता है। इलेक्ट्रॉन का युगलित (जोड़े) में होना उनके चुम्बकीय आघूर्ण को आपस में निरस्त कर देता है और ये चुम्बकीय गुण नहीं दर्शाते।
उदाहरण: H2O NaCl और C6H6 आदि प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के कुछ उदारण हैं।

(iii) लोहचुम्बकत्व (FERROMAGNETISM)

कुछ पदार्थ जैसे: लोहा, कोबाल्ट, निकेल, गैडोलिनियम और CrO2 बहुत प्रबलता से चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे पदार्थ को लोहचुम्बकीय पदार्थ कहा जाता है।
प्रबल आकर्षण के अतिरिक्त ये स्थायी रूप से चुम्बकित किए जा सकते हैं। ठोस अवस्था में लोहचुम्बकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे खंडों में एक साथ समूहित हो जाते हैं इन्हें डोमेन कहा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक डोमेन एक छोटे चुम्बक की तरह व्यवहार करता है। लोहचुम्बकीय पदार्थ के अचुम्बकीय टुकड़े में डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यासित होते हैं और उनका चुम्बकीय आघूर्ण निरस्त हो जाता है। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यासित हो जाते हैं और प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है।
solid state-Magnetic property- FERROMAGNETISM
चुम्बकीय क्षेत्र हटा लेने पर भी डोमेनों का क्रम बना रहता है और लौहचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुमक बन जाते हैं।

(iv) प्रतिलोहचुम्बकत्व (ANTIFERROMAGNETISM)

प्रतिलोहचुम्बकत्व प्रदर्शित करने वाले पदार्थ जैसे MnO में डोमेन संरचना लोहचुम्बकीय पदार्थ के सदृश होती है, परंतु उनके डोमेन एक दूसरे के विपरीत अभिविन्यासित होते हैं तथा एक दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते हैं।
solid state-Magnetic property- ANTIFERROMAGNETISM

(v) फेरीचुम्बकत्व (FERRIMAGNETISM)

जब पदार्थ में डोमेन के चुम्बकीय आघूर्णों का संरेखन समानांतर एवं प्रतिसमानांतर दिशाओं में असमान होता है तब पदार्थ में फेरीचुम्बकत्व देखा जाता है।
solid state-Magnetic property-FERRIMAGNETISM
ये लौह चुम्बकत्व की तुलना में चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं।
जैसे: Fe3O4 (मैग्नेटाइट) तथा फेराइट (MgFe2O4ZnFe2O4) आदि। ये पदार्थ भी गरम करने पर फेरीचुम्बकत्व खो देते हैं और अनुचुम्बकीय बन जाते हैं।


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