पदार्थ की प्रकृति
पाठ्य पुस्तक में ठोस, द्रव तथा गैस की प्रकृति के बारे में बताया गया है। यह भी बताया गया है कि ठोस, द्रव तथा गैस पदार्थ की तीन अवस्थाएं हैं। हम प्रयोग व्दारा दिखा सकते हें कि किसी पदार्थ को गर्मी या दाब से ठोस, द्रव तथा गैस में बदला जा सकता है।
अणु की अवधारणा और पदार्थ की अवस्थाएं
यहां पर हमें अणु की अवधारणा बताना चाहिये। हमें बताना होगा कि किसी भी पदार्थ को यदि हम काटकर छोटा करते जायें तो एक समय आयेगा जब उसे और अधिक काटना संभव नहीं होगा। पदार्थ का ऐसा सबसे छोटा कण अणु कहलाता है। हमें यह बताना होगा कि अणुओं में एक दूसरे के प्रति आकर्षण होता है जिससे वे एक दूसरे से चिपके रहते हैं। पदार्थ को गर्मी देने से अणुओं में ऊर्जा बढ़ती है और वे हिलने लगते हैं। दाब का असर इसका उल्टा होता है। पदार्थ को दबाने से उसके अणु एक दूसरे के साथ और अधिक चिपक जाते हैं। इसीलिये यदि किसी ठोस को गर्म किया जाये तो उसके अणु हिलने लगेंगे, और अधिक गर्म करने पर एक दूसरे से अलग होकर बहने लगेंगे। इस समय यह ठोस वस्तु, द्रव बन जायेगी। परंतु अभी अणुओं में इतनी ऊर्जा नहीं हैं कि वे पदार्थ की सतह के ऊपर उठ सकें। और अधिक गर्म करने पर वे सतह छोड़कर ऊपर उठ जायेंगे और द्रव गैस में बदल जायेगा। पदार्थ को ठंडा करने पर अणुओं में ऊर्जा कम होगी इसलिये वे एक दूसरे से वापस चिपकने लगेंगे और गैस द्रव में तथा द्रव ठोस में परिवर्तित हो जायेगा। इसी प्रकार दाब से असर को भी बताया जा सकता है। यदि गैस के अणुओं को दबाया जाये तो वे एक दूसरे के पास आकर द्रव बन जायेंगे और द्रव को और अधिक दबाने पर उसके अणु एक दूसरे के बहुत पास आकर अपनी गति बंद कर देंगे और द्रव ठोस में परिवर्तित हो जायेगा।
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन का खेल
कक्षा में बच्चों के साथ एक खेल करके इसे दिखाया जा सकता है। मान ले कि सभी बच्चे अणु हैं। जब बच्चों को एक दूसरे के पास आकर एक-दूसरे को कसकर पकड़कर खड़ा किया जाये तो वे ठोस का रूप हैं। इसके बाद हम उन्हें ऊर्जा देंगे और वे एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए कुछ दूर हटेंगे और एक-दूसरे को पकड़े हुए ही विभिन्न प्रकार की गति करेंगे। यह द्रव का रूप है। इसके बाद उन्हें और ऊर्जा दी जायेगी और वे एक-दूसरे का हाथ छोड़कर पूरी कक्षा में फैल जायेंगे और नृत्य करेंगे। यह गैस का रूप है। इसके बाद इसके उलट प्रक्रिया करके उन्हें फिर से द्रव तथा ठोस बनाया जायेगा।
- ठोस से द्रव और वापस द्रव से ठोस - एक बर्तन में मोम रखकर गरम करें। मोम पिघलकर द्रव बन जायेगा। उसे कुछ देर ठंडा होने दें। वह वापस ठोस बन जायेगा।
- द्रव से गैस और गैस से द्रव - एक बर्तन में पानी लेकर उसे गरम करें। कुछ देर में पानी भाप बनकर उड़ने लगेगा। अब एक ठंडी प्लेट उड़ती हुई भाप के ऊपर रखें। ध्यान रखें कि प्लेट को किसी संसी से दूर से पकड़ें ताकि हाथ जले नहीं। कुछ देर में भाप ठंडी प्लेट से टकराकर पानी बन जायेगी और पानी की बूंदे प्लेट पर दिखने लेंगेंगी। इन्हें किसी बर्तन में एकत्रित भी किया जा सकता है।
पदार्थ के गुण
पदार्थ के गुणों के संबंध में काफी अच्छी गतिविधियां पाठ्य पुस्तक में दी गई हैं। हमें यह सभी गतिविधियां कक्षा में बच्चों के साथ करना चाहिये। इसके साथ ही इन गुणों को समझाने में भी अणु की आवधारणा काम आयेगी।
- आकार - हम बच्चों को बता सकते हैं कि ठोस वस्तु का एक निश्चित आकार होता है परंतु द्रव और गैस उस बर्तन का आकार ले लेते हें जिसमें उन्हें रखा जाता है। इसके लिये हम पानी को विभिन्न आकार के बर्तनों में रखकर दिखा सकते हैं। इसी प्रकार गैस व्दारा बर्तन का आकार लेने को दिखाने के लिये हम किसी बर्तन में धुंआ भरकर दिखा सकते हैं।
- पदार्थ स्थान घेरते हैं - ठोस और द्रव व्दारा स्थान घेरना दिखाना सरल है। गैस स्थान घेरती है दिखाने का सरल प्रयोग पाठ्य पुस्तक में दिया है। एक चौड़े मुंह की बोतल लें। उसमें पानी भर लें और फिर उसपर कार्क लगाकर बंद कर दें। इसके बाद उसमें एक रबर की नली लगा दें। यह करने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप अपने पास के सरकारी अस्पताल से एक सैलाइन की उपयोग की हुई खाली बोतल और एक पुराना उपयोग किया हुआ ड्रिप सेट ले आयें। सैलाइन की बोतल में पानी भकर उसपर उसका रबर का ढ़क्कन लगा दें और ड्रिपसेट की सुई उस ढ़क्कन में धुसा दें। ड्रिप सेट का लंबा हिस्सा अब फूंकने के लिये उपयोग किया जा सकता है। इस बोतल को पानी के एक बड़े बर्तन में उल्टा करके रखें और रबर की नली या ड्रिप सेट से फूंकें। जैसे-जैसे हवा बोतल में जायेगी, वैसे-वैसे बोतल से पानी बाहर आता जायेगा। इससे यह पता लगता है कि हवा स्थान घेरती है इसलिये उसने पानी को बाहर निकाल दिया।
- पदार्थ में भार होता है - इसे दिखाने के लिये हमें एक तुला बनानी होगी। इसका सबसे आसान तरीका है कि एक लंबी से डंडी के बीच में एक रस्सी बांधकर उसे छत से लटका दें। इसके बाद कागज की दो प्लेटें धागों की सहायता से इस डंडी के दोनो छोर पर बांधी जा सकती हैं। हम हेंगर की सहायता से भी तुला बना सकते हैं।इस तुला के एक पलड़े में किसी ठोस वस्तु को रखकर दिखाया जा सकता है कि ठोस मे भार होता है। इसी प्रकार किसी बर्तन में द्रव को रखकर द्रव का भार भी दिखाया जा सकता है। गैस का भार दिखाने के लिये एक गुब्बारा लेकर उसे तुला के एक पलड़े में रखें और उसके बराबर का भार दूसरे पलड़े में रखकर तुला समतुल्य कर लें। उसके बाद गुब्बारा फुलाकर फिर से उसका भार मापें। तुला नीचे की ओर झुक जाती है। इससे पता लगता है कि हवा में भार है।
- विलेयता या धुलनशीलता - इसे समझाने के लिये हमे बच्चों को बताना हेागा कि पदार्थ के अणु एक दूसरे से कुछ दूरी पर होते हैं तथा अणुओं के बीच में खाली स्थान होता है। जो विलेय पदार्थ होते हें उनके अणु इस खाली स्थान में चले जाते हैं और इसलिये पूरी तरह घुल-मिल जाते हैं। जो विलेय पदार्थ नहीं होता है उसके अणु इस खाली स्थान में नहीं जा सकते क्योंकि अविलेय पदार्थों के अणुओं में आपस में विकर्षण होता है। इसलिये यह पृथक रहते हैं। इसे भी एक खेल के व्दारा दिखाया जा सकता है। कुछ बच्चों को कक्षा में खड़ा करें। यह बच्चे एक दूसरे से कुछ दूरी पर खड़े होंगे। अब कुछ अन्य बच्चों को इनके बीच में भेजें। पहले से खड़े बच्चे कुछ बच्चों को अपने बीच आने देंगे तथा कुछ बच्चों को अपने बीच आने से रोकेंगे। इस प्रकार कुछ बच्चे तो आपस में घुलमिल जायेंगे। यह विलेय हैं। कुछ बच्चे जिन्हें पहले बाले बच्चों ने अपने बीच नहीं आने दिया उन्हें अलग खड़ा होना पड़ेगा। यह अविलेय हैं। इस खेल से हम यह भी बता सकते हैं कि विलेय पदार्थ को घोलने से आयतन नहीं बढ़ता क्योंकि विलेय पदार्थ के अणु खाली स्थान में समा जाते हैं।धुलनशीलता दिखाने के लिये हम विभिन्न प्रकार के पदार्थों को पानी मे घोलकर दिखा सकते हैं कि कुछ पदार्थ पानी मे पूरी तरह घुल जाते हैं, जैसे नमक, शक्कर आदि और कुछ पदार्थ नहीं घुलते जैसे लोहे की कीलें, आदि। हम यह भी दिखा सकते हें कि शक्कर पानी में धुल जाती है परंतु मिट्टी के तेल में नहीं घुलती है।
- चुम्बक के प्रति आकर्षण - सबसे पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि यदि हमारे पास चुम्बक नहीं हो तो उसे हम कहां से प्राप्त कर सकते हैं। वैसे तो बाज़ार से चुम्बक खरीद कर लाना आसान है और यह कोई महंगा भी नहीं है, परंतु यदि हम बाज़ार से चुम्बक नहीं ला सकते तो गांव में ही किसी पुराने स्पीकर से या मोबाइल आदि के इयरफोन से या फिर खराब हो गई बिजली की मोटर से चुम्बक निकाला जा सकता है। चुम्बक से आलपिन आदि लोहे की हल्की वस्तुएं चिपकाकर दिखाई जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त चुम्बक का यह गुण भी दिखाया जा सकता है कि यह चुम्बकीय पदार्थों को भी चुम्बक बना देता है। इसे दिखाने के लिये हम किसी चुम्बक से एक सेफ्टीपिन चिपकाने के बाद उस सेफ्टीपिन में और सेफ्टी पिने चिपका सकते हैं।
- पारदर्शिता - पारदर्शिता का अर्थ है आर-पार देख सकना। हम कांच के आर-पार देख सकते हैं परंतु लोहे और कागज के आर-पार नहीं देख सकते। इसी प्रकार यह प्रयोग भी दिखाया जा सकता है कि कागज पर तेल लगा देने से उसके आर-पार कुछ-कुछ देखा जा सकता है। इसे अल्पपारदर्शी कहते हैं। इसी प्रकार हम कांच के गिलास में पानी भरकर उसके आर-पार देख सकते हैं। इससे पता लगता है कि पानी भी पारदर्शी है। बच्चों से पारदर्शी, अपारदर्शी और अल्पपारदर्शी वस्तुओं की सूची बनाने को कहें।
- ऊष्मा चालकता - एक बर्तन में पानी लेकर उसमें एक स्टील की चम्मच और लकड़ी की छड़ डाल दें। फिर पानी को गर्म करें। स्टील की चम्मच गर्म हो जाती है परंतु लकड़ी की छड़ गर्म नहीं होती। ऐसा इसलिये है कि स्टील ऊष्मा की सुचालक है और लकड़ी कुचालक। अब बच्चों से ऊष्मा की सुचालक और कुचालक वस्तुओं की सूची बनवायें।
- विद्यत (बिजली) चालकता - एक टार्च का सेल और टार्च का बल्ब लें। टार्च के बल्ब को सेल के अगले भाग से छुवाएं। सेल के पिछले भाग से एक बिजली का तार लगाकर उस तार को बल्ब पर छुवाएं - बल्ब जल उठता है। अब यही क्रिया एक धागे से करें - बल्ब नहीं जलता। इसका कारण यह है कि बिजली के तार से बिजली प्रवाहित हो रही है अर्थात् वह बिजली का सुचालक है। धागे से बिजली प्रवाहित नहीं होती अत: धागा बिजली का कुचालक है। इस प्रयोग को हम अलग-अलग वस्तुओ से भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिये हम बिजली का एक तार लेने के स्थान पर दो तार ले सकते हैं और इन तारों को किसी सुचालक या कुचालक से जोड़कर प्रयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिये यदि इन दोनो तारों के सिरे डिस्टिल्ड वाटर में डालें तो बल्ब नहीं जलेगा परंतु डिस्टिल्ड वाटर में नमक मिला देने पर बल्ब जल उठेगा। अब बिजली की सुचालक और कुचालक वस्तुओं की सूची बनावायें।
- विसरण - द्रव और गैस विसरण करते हें, अर्थात एक दूसरे में फैल जाते हैं। एक गिलास पानी लेकर उसमें स्याही की एक बूंद डालिये। स्याही का रंग धीरे-धीरे पूरे पानी में फैल जाता है। यह विसरण के कारण है। इसी प्रकार कमरे में एक कोने में एक अगरबत्ती जलायें। कुछ देर में अगरबत्ती की सुगंध पूरे कमरे में फैल जाती है। यह गैस के विसरण के कारण है।
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