पदार्थ की संरचना

पदार्थ की संरचना


परमाणू एवं अणु – पदार्थ की संरचना को ठीक प्रकार से समझने के लिये हमें पहले अणु एवं परमाणू की अवधारणा को समझना होगा। पदार्थ के सबसे छोटे कण को परमाणू कहते हैं। यदि कोई पदार्थ एक ही प्रकार के परमाणुओं से बना होता है, तो उसे तत्व कहते हैं। परमाणू कभी-कभी अकेले भी (मुक्त अवस्था में) रह सकते हैं, परंतु अक्सर वे अकेले नहीं रहते, बल्कि अन्य परमाणुओं के साथ संयोग करके परमाणुओं का एक समूह बना लेते हैं। परमाणुओं के ऐसे समूह को अणु करते हैं जो वातावरण में मुक्त अवस्था में रह सके। यदि कोई परमाणू अकेले ही मुक्त अवस्था में रह सकता है, तो उसे भी अणु ही कहते हैं। अत: किसी पदार्थ के सबसे छोटे ऐसे कण को अणु कहते हैं तो वातावरण में मुक्त अवस्था में रह सके। यदि किसी पदार्थ के अणु एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने हैं तो उसे तत्व कहते हैं, और यदि किसी पदार्थ के अणु अलग-अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने हो तो उन्हें यौगिक कहते हैं। यौगिकों में एक से अधिक तत्वों के परमाणू मिलकर यौगिक के अणु बनाते हैं। यौगिक और मिश्रण का अंतर यह है कि एक यौगिक में एक ही प्रकार के अणु होते हैं, जबकि मिश्रण में अनेक प्रकार के अणु आपस में मिले हुए होते हैं। यह अणु अलग-अलग तत्वों अथवा यौगिकों के हो सकते हैं। क्योंकि मिश्रण में यह अणु केवल आपस में मिले हुए होते हैं, परंतु एक दूसरे से क्रिया करके आपस में जुड़े हुए नहीं होते हैं, इसलिये इन्हें भौतिक तरीकों से जैसे, छानना, बीनना, चुम्बक का प्रयोग आदि से अलग किया जा सकता है। यौगिक के तत्वों को केवल रासायनिक प्रक्रिया व्दारा ही अलग किया जा सकता है।

पानी का अणु – हमने पिछले अध्याय में जल का बिजली से अपघटन करके यह देखा है कि जल एक भाग आक्सीजन और दो भाग हाईड्रोजन से मिलकर बना होता है। इससे यह सिध्द हुआ कि जल एक यौगिक है जिसके एक अणु में अक्सीजन का एक परमाणू और हाईड्रोजन के दो परमाणू होते हैं। नीचे चित्र में जल के अणु में अक्सीजन का परमाणू लाल रंग से तथा हाईड्रोजन का परमाणू सफेद रंग से दिखाया गया है –


अक्सीजन तथा ओज़ोन – एक ही तत्व के परमाणू यदि अलग-अलग संख्या में जुड़कर कोई अणु बनायें तो अलग-अलग पदार्थ बन जाते हैं। उदाहरण के लिये आक्सीजन गैस के अणु में आक्सीजन तत्व के दो परमाणू होते हैं। यदि अक्सीजन तत्व के तीन परमाणू मिलकर एक अणु बनायें तो उससे एक अलग गैस – ओज़ोन बन जाती है। हम बच्चों को एक खेल के व्दारा यह बात सिखा सकते हैं –

इसी प्रकार का खेल बच्चों को जल एवं अन्य पदार्थों के अणुओं के बारे में समझाने के लिये खेला जा सकता है। जल का अणु समझाने के लिये हाईड्रोजन एवं आक्सीजन कागज अथवा कार्ड पर लिखें और यह कागज या कार्ड बच्चों को गले में पहना दें या फिर उनकी पीठ पर टेप से चिपका दें। बच्चों को बतायें कि वे उसी तत्व के परमाणू हैं, जिसका कार्ड उन्होने पहना है। इसके बाद एक अक्सीजन बने बच्चे को हाईड्रोजन बने दो बच्चों का हाथ पकडने को कहें। इस प्रकार इन तीन बच्चों के समूह से जल का एक अणु बन गया। इसी प्रकार हम किसी भी पदार्थ का अणु बनाने का खेल दिखा सकते हैं।

यद्यपि कक्षा 7 की विज्ञान पुस्तक में परमाणू के भीतर के कणों के विषय में नहीं बताया गया है, तथापि मेरी समझ में यह समय बच्चों का परिचय इलेक्ट्रान और परमाणू के नाभिक से कराने के लिये उपयुक्त है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि इस समय इसके बारे में बताना परमाणुओं के अणुओं के रूप में एक दूसरे के साथ संयोग करने को समझाने के लिये आवश्यक भी है। हमें बच्चों को बताना होगा कि परमाणू के केंद्र में एक नाभिक होता है जो प्रोटान एवं न्यूट्रान से मिलकर बना होता है। प्रोटान में धनात्‍मक चार्ज होता है। न्यूट्रान में चार्ज नहीं होता परंतु भार होता है। परमाणू का लगभग सारा भार इस नाभिक में ही केंद्रित हेाता है। नाभिक के बाहर परमाणू में लगभग खाली स्थान होता है जिसमें ऋणात्मक चार्ज वाले इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। परमाणुओं में प्रोटानों एवं इलेक्ट्रानों की संख्या एक बराबर होती है इसलिये परमाणू में कुल चार्ज शुन्य होता है, क्योंकि प्रोटान एवं इलेक्ट्रान एक दूसरे के चार्ज को न्यूट्रालाइज कर देते हैं। इलेक्ट्रान अलग-अलग आर्बिट (कक्षा) में नाभिक के चारों ओर घूमते हैं। परमाणू को स्थिर अवस्था में रहने के लिये यह आवश्यक है कि उसके अंतिम आर्बिट में या तो 2 इलेक्ट्रान हों या फिर 8 इलेक्ट्रान हों। हाईड्रोजन गैस के परमाणू में केवल एक ही इलेक्ट्रान होता है। इसीलिये हाईड्रोजन के 2 परमाणू एक दूसरे के साथ अपने एक इलेक्ट्रान को इस प्राकर साझा कर लेते हैं कि दोनो ही परमाणू इस एक इलेक्ट्रान का उपयोग कर सकें। ऐसा करने के लिये इन 2 परमाणुओं का एक साथ रहना अवश्यक होता है। इसीलिये यह 2 परमाणू एक अणु बनाकर साथ में रहते हैं। इसीलिये हाईड्रोजन गैस के एक अणु में 2 परमाणू होते हैं। इसी प्रकार आक्सीजन के परमाणू के अंतिम आर्बिट में 6 इलेक्ट्रान होते हैं। आक्सीजन के 2 परमाणू एक दूसरे के साथ संयोग करके अपने 2 परमाणुओं को इस प्रकार साझा कर लेते हैं कि दोनो ही परमाणू अपने अंतिम आर्बिट में 8 इलेक्ट्रानों का उपयोग कर सकें। इसीलिये आक्सीजन गैस के अणु में आक्सीजन के 2 परमाणू होते हैं। जब आक्सीजन का एक परमाणू हाईड्रोजन के 2 परमाणुओं के साथ अपने 2 इलेक्ट्रान इस प्रकार साझा करता है कि आक्सीजन अपने अंतिम आर्बिट में 8 इलेक्ट्रानों का उपयोग कर सके और हाईड्रोजन अपने अंतिम आर्बिट में 2 इलेक्ट्रानों का उपयोग कर सके तो जल का एक अणु बन जाता है।





अणुओं के सूत्र – किसी तत्व को उसके संकेत अथवा चिन्ह से पहचाना जाता है। तत्वों के संकेत उसके नाम के पहले अंग्रेज़ी अक्षर के कैपिटल रूप से बनते हैं। उदाहरण के लिये हाईड्रोजन का संकेत H है एवं आक्सीजन का संकेत O है। यदि अनेक पदार्थों के नाम अंग्रजी के एक ही अक्षर से प्रारंभ होते हैं तो उसका अगला अक्षर स्माल रूप में लिया जाता है। जैसे क्रोरमियम का संकेत Cr है। कुछ तत्वों के लिये उनके लैटिन नाम का उपयोग किया जाता है। जैसे सोडियम का लैटिन नाम नेट्रम है इसलिये उसका संकेत Na है। अणुओं की संरचना को उनके परमाणुओं के संकेतो से दिखाया जाता है। किसी अणु में किसी तत्व के परमाणुओं की जितनी संख्या होती है उसे उस परमाणू से संकेत के नीचे लिख दिया जाता है। इसे उस अणु का सूत्र कहते हैं। उदाहरण के लिये इाईड्रोजन का सूत्र H2 है, आक्सीजन का सूत्र है O2 और जल का सूत्र H2O है। किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं की कुल संख्या को उसकी परमाणुकता कहते है। अत: हाईड्रोजन की परमाणुकता 2 है, आक्सीजन की परमाणुकता भी 2 है परंतु जल की परमाणुकता 3 है।

समीकरण – जब 2 या अधिक तत्व या योगिक एक दूसरे से रासायनिक क्रिया करके कोई अन्य पदार्थ बनाते हैं तो इस क्रिया को रासायनिक क्रिया कहते हें और इसे एक समीकरण व्दारा दिखाया जा सकता हे। क्योंकि रासायनिक क्रिया में पदार्थ नष्ट नहीं होता है केवल पदार्थ के अणुओं में उपस्थित परमाणुओं का पुर्रविन्यास होता है इसलिये समीकरण के दोनो ओर परमाणुओं की संख्या एक बराबर होना चाहिये। हाईड्रोजन और आक्सीजन आपस में संयोग करके जल बनाते हैं। समीकरण में हम एक ओर हाईड्रोजन और आक्सीजन के सूत्र लिखेंगे और दूसरी ओर जल का सूत्र लिखेंगे। इसे इस प्रकार लिखा जा सकता है-
H2 + O2 = H2O
अब गिनती करने पर पता लगता है कि समीकरण के बांई ओर हाईड्रोजन के 2 परमाणू हैं और आक्सीजन के भी 2 परमाणू हैं, और दांई ओर हाईड्रोजन के तो 2 परमाणू है परंतु आक्सीजन का एक ही परमाणू है। अत: समीकरण को संतुलित करके इस प्रकार लिखा जायेगा –
2 H2 + O2 = 2 H2O
इसका तात्पर्य है कि हाईड्रोजन के 2 अणु आक्सीजन के एक अणु के साथ रासायनिक क्रिया करके जल के दो अणु बनाते हैं। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि जल में एक भाग आक्सीजन एवं 2 भाग हाईड्रोजन है, जो हमने पिछले अध्याय में जल के बिजली से अपघटन के प्रयोग में देख चुके हैं।
पदार्थ की संरचना पदार्थ की संरचना Reviewed by rajyashikshasewa.blogspot.com on 9:05 PM Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.