मुहावरा खण्ड - 2

मुहावरा खण्ड - 2


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गरदन दबाना : कुछ करने, देने, हानि सहने आदि के लिए विवश करना।
ऐसे आदमियों से हम मिल जाते हैं और उनकी मदद से दूसरे आदमियों की गरदन दबाते हैं।
गरदन रेतना : धोखा देकर रुपया लेना, ठगना।
मालूम होता है कि आजकल कहीं कोई रकम मुफ्त हाथ आ गई है। सच कहना, किसकी गरदन रेती है?
गली-गली मारे फिरना : इधर-उधर व्यर्थ घूमना, जीविका के लिए इधर-उधर भटकना।
जब हमको मेहनताना देना ही है तो क्या यही एक वकील है? गली-गली तो मारे-मारे फिरते हैं।
गले पड़ना : किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध उसके पास किसी का रहना, उसके पीछे पड़े रहना।
गले बाँधना : इच्छा के विरुद्ध सौंपना।
गृहस्थी का सारा काम भाइयों ने मेरे गले मढ़ दिया है।
गहरा पेट : गंभीर हृदय जिसका भेद न मिले।
अच्छा तो तुम्हीं अब तक मेरे साथ यह त्रिया-चरित्र खेल रही थीं। मैं जानती तो तुम्हें यहाँ बुलाती ही नहीं। ओफ्फोह, बड़ा गहरा पेट है तुम्हारा।
गाँठ का पूरा : धनी।
आँख के अंधों और गाँठ के पूरी की तलाश आपको भी उतनी ही है जितनी मुझको।
गाँठ खोलना : समस्या का निराकरण करना, कठिनाई - अड़चन दूर करना।
गागर में सागर : थोड़े-से शब्दों में बहुत अधिक भाव-विचार व्यक्त करना, थोड़े-से शब्दों में बड़ी महत्वपूर्ण बात कहना।
मुक्तक की रचना में कवि को गागर में सागर भरना पड़ता है।
गाड़ी अटकना : चलते-चलते काम बंद होना, रुकावट आना।
गाढ़ी छनना : घनिष्ठ मित्रता, बहुत अधिक मेल-जोल होना।
गाढ़ी कमाई : कड़ी मेहनत से कमाया हुआ पैसा, धन।
गाल बजाना : डींग मारना, बढ़-चढ़कर बातें करना।
गाली खाना : दुर्वचन सुनना।
ब्याह करूँगा तो जन्म भर गालियाँ खाने को मिलेंगी।
गाली गाना : विवाह आदि के शुभ अवसर पर गाली के गीत गाना।
गिरगिट की तरह रंग बदलना : अपनी बातों को सदा बदलते रहना, अपना मत, व्यवहार, वृत्ति बदलते रहना, कभी कुछ और कभी कुछ बनना।
गुजर जाना : मर जाना। कई दिन हुए वे गुजर गए।
गुड़ गोबर कर देना : बना-बनाया काम बिगाड़ देना।
गुड़ियों का खेल : बहुत आसान काम।
गुरु घंटाल : दुष्टों का नेता, धूर्तों का सरताज। वह अंधकार का गीदड़, वह दुर्गन्धमय राक्षस, जो इन सभी दुरात्माओं का गुरु घंटाल था।
गुल करना : दीपक या चिराग बुझा देना। वह चिराग गुल करके सो गया।
गुल खिलना : कोई अजीब बात, घटना होना। अचानक कोई बखेड़ा होना, भेद खुलना।
गुलछर्रे उड़ाना : मौज करना, आमोद-प्रमोद करना।
गुस्सा उतारना : क्रोध की शांति के लिए किसी पर बिगड़ना, मारना। क्रोध एक व्यक्ति पर हो और दूसरे को डांट-फटकार कर या दण्ड देकर अपने दिल को शांत करना।
गूंगे का गुड़ : वह आनंदानुभूति, सुख का अनुभव जिसका वर्णन न किया जा सके। भक्त को भगवान के चिंतन में जो आनंद मिलता है वह कहा नहीं जा सकता। वह तो गूंगे का गुड़ ही रहेगा।
गूलर का कीड़ा : कूपमंडूक, अल्पज्ञ व्यक्ति।
गोता खाना : डूबना, धोखा खाना। उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों से मैं गोता खा गया।
घंटा दिखाना : आवेदक या याचक को कोई वस्तु न देना, उसे निराश कर देना।
घट-घट में बसना : हर एक मनुष्य के हृदय में रहना।
घड़ियाँ गिनना : बहुत उत्कंठा के साथ प्रतीक्षा करना, मरणासन्न होना।
घड़ों पानी पड़ना : दूसरों के सामने हीन सिद्ध होने पर अत्यंत लज्जित होना।
घपले में पड़ना : किसी काम का खटाई में पड़ना।
घमंड में चूर होना : अत्यधिक अभिमान होना।
घर करना : बसना, रहना, निवास करना, जमना, बैठना।
घर का न घाट का : बेकाम, निकम्मा।
घर फूंककर तमाशा देखना : घर की दौलत उड़ाकर मौज करना।
घर में भूंजी भाँग न होना : घर में कुछ धन-दौलत न होना, अकिंचन होना, अत्यंत निर्धन होना।
घाट-घाट का पानी पीना : अनेक स्थलों का अनुभव प्राप्त करना। देश-देशान्तर के लोगों की जीवनचर्या की जानकारी प्राप्त करना।
घात में रहना : किसी को हानि पहुँचाने के लिए अनुकूल अवसर ढूँढते फिरना।
घाव पर नमक छिड़कना : दुख पर दुख देना, दुखी व्यक्ति को और यंत्रणा देना।
घाव पर मरहम रखना : सांत्वना देना, तसल्ली बंधाना।
घाव हरा होना : भूला हुआ दुख फिर याद आ जाना।
घास न डालना : प्रोत्साहन न देना, सहायता न करना।
घिग्घी बँध जाना : भय, क्षोभ या अन्य किसी संवेग के कारण मुंह से बोली न निकलना, कण्ठावरोध होना।
घी का चिराग जलाना : कार्य सिद्ध होने पर आनंद मनाना, प्रसन्न होना।
घी-खिचड़ी होना : आपस में अत्यधिक मेल होना।
घुट-घुट कर मरना : पानी या हवा के न मिलने से असह्य कष्ट भोगते हुए मरना।
घुटा हुआ : बहुत चालाक, धूर्त, छंटा हुआ बदमाश।
घुन लगना : शरीर का अंदर-अंदर क्षीण होना, चिंता होना।
घुल-मिल जाना : एक हो जाना।
घूंघट का पट खोलना : अज्ञान का परदा दूर करना।
घोड़ा बेंचकर सोना : खूब निश्चिंत होकर सोना।
घोलकर पी जाना : किसी चीज का अस्तित्व न रहने देना।
चंडाल चौकड़ी : दुष्टों का समुदाय, समूह।
चंद्रमा बलवान होना : भाग्य अनुकूल होना। आजकर तुम्हारा चंद्रमा बलवान है, जो कुछ करोगे उसमें लाभ होगा।
चंपत हो जाना : चला जाना, भाग जाना। सुल्तान के बहुत-से सिपाही तो लड़ाई में मारे गए। जो बचे वे प्राण बचाकर इधर-उधर चंपत हो गए।
चकमा देना : धोखा देना। इस बदमाश ने मुझे बड़ा चकमा दिया।
चक्कर में फँसना : झंझट, कठिनाई, बखेड़े में फँसना।
चखचख मचना : लड़ाई-झगड़ा होना।
चट कर जाना : सबका सब का जाना। दूसरे की वस्तु हड़प कर जाना।
चड्ढ़ी गाँठना : सवारी करना।
चढ़ दौड़ना : आक्रमण करना।
चना-चबैना : रूखा-सूखा भोजन।
चपेट में आना : चंगुल में फँसना।
चप्पा-चप्पा छान डालना : हर जगह देख आना।
चरणों की धूल : किसी की तुलना में अत्यन्त नगण्य व्यक्ति।
चरणामृत लेना : देवमूर्ति, महात्मा आदि के चरण धोकर पीना।
चरबी चढ़ना : बहुत मोटा होना। मदांध होना।
चलता करना : हटा देना, भगा देना, निपटाना। किसी प्रकार इस मामले को चलता करो।
चलता-पुरजा : चालाक, व्यवहार-कुशल। मोहन बड़ा चलता-पुरजा आदमी है, वह तुम्हारा काम करा देगा।
चलता-फिरता नजर आना : चले जाना, खिसक जाना। यहाँ बैठिए मत, चलते-फिरते नजर आइए।
चस्का लगना : शौक होना, आदत पड़ना। कुछ दिनों से कमलाचरण को जुए का चस्का पड़ चला था।
चहल-पहल रहना : रौनक होना, बहुत-से लोगों का आना-जाना, एकत्र होना। जहाँ रात-दिन निर्जनता और नीरवता का आधिपत्य रहता था वहाँ अब हरदम चहल-पहल रहती है।
चाँद का टुकड़ा : अत्यंत सुंदर व्यक्ति/पदार्थ।
चाँद पर थूकना : किसी ऐसे महान व्यक्ति पर कलंक लगाना जिसके कारण स्वयं अपमानित होना पड़े।
चाँदी कटना : खूब लाभ होना। आजकल राशनवालों की चाँद कट रही है।
चाँदी के टुकड़े : रुपए उसने चाँदी के टुकड़ों के लिए अपना ईमान बेच दिया है।
चाक चौबंद : चौकन्ना और स्वस्थ, हर दृष्टि से होशयार-चतुर।
चादर देखकर पाँव फैलाना : आय के अनुसार व्यय करना, शक्ति के अनुसार काम करना।
चाम के दाम चलाना : अन्याय करना, अपनी जबरदस्ती के भरोसे कोई काम करना।
चार आँखें होना : देखा-देखी होना, किसी से नजरें मिलाना।
चार चाँद लगना : शोभा, सौंदर्य की अत्यधिक वृद्धि करना।
चार पैसे : थोड़ा-सा धन। उनका बस चलता तो दाननाथ चार पैसे के आदमी हो गए होते।
चार सौ बीस : बहुत बड़ा धूर्त, कपटी, छलिया।
चिकना घड़ा : निर्लज्ज, बेहया व्यक्ति। नारद का कर्म-सचेत मन इन धमकियों के लिए अब चिकने घड़े के समान हो चुका था।
चिकना देखकर फिसल पड़ना : सुन्दर रूप-रंग देखकर मुग्ध हो जाना।
चिकनी चुपड़ी बातें : मीठी बातें जो किसी को प्रसन्न करने, बहकाने या धोखा देने के लिए कही जाएँ।
चिड़िया का दूध : अप्राप्य वस्तु, ऐसी वस्तु जिसका अस्तित्व न हो।
चिड़िया फँसाना : किसी मालदार आदमी को अपने दाँव पर चढ़ाना। किसी स्त्री को अपने वश में करना।
चित्त चुराना : मन मोह लेना। शकुन्तला ने दुष्यन्त का चित्त चुरा लिया था।
चित्र-लिखा-सा जान पड़ना : बिलकुल मंत्रमुग्ध, स्थिर, चुपचाप या जड़वत् रहना। तुम्हारे राग से लोग ऐसे बेसुए हो गए हैं कि सारी रंगशाला चित्र-लिखी-सी जान पड़ती है।
चिराग तले अँधेरा होना : जहाँ विशेष विचार, न्याय, योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर कुविचार, अन्याय, अयोग्यता आदिहोना।
चिराग लेकर ढूँढना : बड़ी छानबीन, परिश्रम के साथ तलाश करना।
चीं-चपड़ करना : उज्र-इन्कार करना। किसी ने जरा भी चीं-चपड़ की तो हड्डी तोड़ दूँगा।
चीं बोलना : बहुत थक जाना, हार मान लेना। मिर्जा जी बड़ी जवांमर्दी दिखाने चले थे। पचास कदम में ही चीं बोल गए।
चींटी की चाल : बहुत मन्द गति। चींटी की पर निकलना : मृत्यु के निकट आना।
चील-झपट्टा होना : छीना-झपटी होना या झपटकर ले जाना।
चुटिया हाथ में होना : किसी के अधीन या पूर्णतः नियंत्रण में होना।
चुपड़ी और दो-दो : दोनों ओर से लाभ, दोहरा लाभ, बढ़िया भी और मात्रा में भी अधिक।
चूँ-चूँ का मुरब्बा : तरह-तरह की बेमेल चीजों का योग।
चूना लगाना : ठग लेना, नीचा दिखाना, बेवकूफ बनाना, हानि पहुँचाना। इन्होंने पहले यह बताया ही नहीं था कि चचिया ससुर को चूना लगाने के लिए बनारस चलना है।
चूर रहना : निमग्न, डूबा हुआ, मस्त रहना। माधवी कल्पित प्रेम के उल्लास में चूर रहती थी।
चूलें ढीली होना : अधिक परिश्रम के कारण बहुत थकावट होना।
चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाए। चूल्हे में जाय तू और तेरे वकील।
चेहरा उतरना : चिन्ता, लज्जा, शोक, दुख, भय, रोग आदि के कारण मुख का कान्तिहीन हो जाना। कोयरी टोले में किसी ने गाड़ी नहीं दी मैया। यह सुनते ही बिरजू की माँ का चेहरा उतर गया।
चेहरा खिल उठना : प्रसन्न होना, चेहरे से हर्ष प्रकट होना। अहाते के फाटक में फिटन के प्रवेश करते ही शेख जी का चेहरा खिल उठा।
चेहरा तमतमाना : तेज गर्मी, अत्यधिक क्रोध या तीव्र ज्वर के कारण चेहरे का लाल हो जाना।
चेहरा फ़क पड़ जाना : किसी अप्रत्याशित बात के सुनते ही चेहरा कान्तिहीन हो जाना।
चैन की नींद सोना : निश्च्िान्त रहना, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करना। लाला धनीराम और उनके सहयोगियों को मैं चैन की नींद न सोने दूंगा।
चोटी का : सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ। यह पहला अवसर था कि उन्हें चोटी के आदमियों से इतना सम्मान मिले।
चोटी हाथ में होना : किसी के वश में होना, लाचार होना। उनकी चोटी मेरे हाथ में है। अगर रुपये न दिए तो ऐसी खबर लूंगा कि याद करेंगे।
चोला छोड़ना : मरना, शरीर त्यागना। जिस दिन उमंग आई मैं हिमालय की ओर जाकर चोला छोड़ दूंगा।
चोली-दामन का साथ : घनिष्ठ सम्बन्ध, साथ-साथ चलने वाली वस्तुएँ। पन्ना रूपवती स्त्री थी और रूप तथा गर्व में चोली-दामन का नाता है।
चौकड़ी भूल जाना : घबड़ा जाना, सिटपिटा जाना।
चौक पूरना : पूजा आदि पवित्र कार्य के लिए आटे और अबीर-हल्दी से चौखटा बनाकर उसके भीतर तरह-तरह की आकृतियाँ बनाना।
चौका-बरतन करना : बरतन माँजने और रसोईघर लीपने-पोतने या धोने का काम करना।
चौखट पर माथा टेकना : अनुनय-विनय करना, विनीत प्रार्थना करना।
चौथ का चाँद : भादों शुक्ल चौथ का चाँद जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यदि कोई उसे देख ले तो कलंक लगता है।
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