मुहावरा खण्ड - 1

मुहावरा खण्ड - 1


अ , आ , अं , अः

अक्ल का अंधा : मूर्ख, बेवकूफ

जैसा तुम समझतो हो वह अक्ल का अँधा नहीं।
अक्ल चरने जाना : समय पर बुद्धि का काम न करना।
मगरूर लड़की ! तेरी अक्ल कहीं घास चरने तो नहीं गई।
अक्ल ठिकाने लगना : होश ठीक होना।
फिर देखो कैसे चार दिन में सबकी अक्ल ठिकाने लगती है।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना : सबसे अलग रहना।
आप लोग किसी के साथ मिलकर काम करना नहीं जानते, अपनी खिचड़ी अलग पकाते हैं।
आग-बबूला होना : गुस्सा होना।
लड़के को नकल करते देखकर गुरुजी आग बबूला हो गए।
आना - कानी करना : न करने के लिए बहाना करना।
मैं उससे जब पुस्तक माँगने लगा तो वह आना-कानी करने लगा।
आँख लगना : सो जाना।
मैं रात को पुस्तक लेकर बैठा था कि आँख लग गई।
आँख का तारा होना/ आँखों का तारा होना: बहुत प्रिय होना
सोहन अपनी माँ की आँखों का तारा है
अंक देना : आलिंगन करना।
प्रेम से वशीभूत वह बहुत देर तक अंक दिये रहा।
अंग - अंग ढीले होना : थका होना।
शाम को घर पहुंचते पहुंचते अंग-अंग ढीले हो चुके होते हैं।
अंग - अंग मुस्काना : रोम रोम से प्रसन्नता छलकना।
लक्ष्य प्राप्ति पर उसके अंग – अंग मुस्काने लगे।
अंग धरना : पहनना/धारण करना।
ऋत के अनुसार वस्त्र अंग धरने चाहिए।
अंग टूटना : शरीर में दर्द होना।
आज मेरा अंग-अंग टूट रहा है।
अंग लगना : हजम हो जाना/काम में आना।
रोज रोज के पकवान उसके अंग लग गये हैं।
अंग लगाना : लिपटना।
दिनों बाद मिले मित्र को उसने अंग लगा लिया।
अंग से अंग चुराना : संकुचित होना।
आज कल बाज़ारों में इतनी भीड़ होती है की चलते समय अंग से अंग चुराने पड़ते है।
अंगार सिर पर रखना : कष्ट सहना।
कर्महीन व्यक्ति के सिर पर अंगार रहते है।
अंगारे उगलना : कठोर बात कहना।
वह बातें क्या कर रहा था, मानो अँगारे उगल रहा था।
अंगारे बरसना : तेज धूप पड़ना।
जयेष्ठ माह में अंगारे बरसते हैं।
अंगारों पर लोटना : ईष्या से जलना।
सौतन को सामने देख वह अंगारों पर लोटने लगी।
अंगुठा चुसना : खुशामद करना / धीन होना।
स्वाभिमानी कभी किसीका अंगुठा नहीं चुसते।
अंचल पसारना : नम्रता से मांगना।
जरूरतमंद हर किसी के आगे अंचल पसारता है।
अंजर पंजर ढीले होना : पुर्जो का बिगड़ जाना/अभिमान नष्ट होना/ अंग अंग ढीले होना।
दस किलोमिटर चलते ही उसके तो अंजर पंजर ढीले हो गए।
अंटी बाज : दगाबाज।
सावधान रहना, वह अंटीबाज है।
अंटी में रखना : छिपाकर रखना।
सत्य कभी अंटी में नहीं रखा रहता।
अंधा बनना : जान-बूझकर किसी बात पर ध्यान न देना।
भाई, तुम्हारी मर्जी है, तुम जान-बूझकर अँधे बन रहे हो।

इ , ई

इज्जत बेचना : पैसा लेकर अपनी इज्जत लुटाना।
आप क्या समझते हैं कि मजदूर इस तरह अपनी इज्जत बेचते फिरते हैं?
ईंट का जवाब पत्थर से देना : दुष्ट के साथ दुष्टता का कठोर के साथ कठोरता का व्यवहार करना।
ईंट का जवाब पत्थर से देना अहिंसा सिद्धान्त के विरुद्ध है।
ईंट से ईंट बज जाना : सर्वनाश हो जाना।
आग लगे ऐसी कमाई में! आग लगे ऐसे लालच में! इन लोगों की ईंट से ईंट बज जाए।
ईद का चाँद होना : बहुत कम दिखाई देना, बहुत अरसे बाद दिखाई देना।
आप तो ईद के चाँद हो गए।
ईमान बेचना : झूठा व्यवहार करना, बेईमानी करना।
दुनिया में अनेक आदमी एक-एक कौड़ी के लिए ईमान बेचते हैं।

उ , ऊ[सम्पादन]

उगल देना : रहस्य/भेद प्रकट कर देना।
पुलिस का डंडा पड़ते ही उसने सारा भेद उगल दिया।
उठते-बैठते : हर समय, सरलता से।
उठते-बैठते मैं चार-छ: रुपये पैदा कर लेता हूँ।
उड़ती चिड़िया पकड़ना : रहस्य की बात तत्काल जानना।
मैं उड़ती चिड़िया पहचानूं, उस चींटी की क्या हस्ती है? मुझे से ही भेद छिपाती है, देखो तो कैसी मस्ती है।
उड़न-छू हो जाना : चला जाना, गायब हो जाना।
एक दिन जो भी हाथ लगा वही लेकर वह उड़न-छू हो गई।
उधेड़बुन में रहना : फिक्र में रहना, चिन्ता करना।
खाँ साहेब सदैव इसी उधेड़बुन में रहते थे कि इस शैतान को कैसे पंजे में लाऊँ।
उम्र ढलना : यौवनावस्था का उतार।
उम्र ढलने के साथ बहुत से व्यक्ति गंभीर होने लगते हैं।
उलटी-सीधी सुनाना : खरी खोटी सुनाना, डांटना-फटकारना।
लो, तुमने अब अकारण मुझे उलटी-सीधी सुनाना आरम्भ कर दिया है।
उलटे छुरे से मूड़ना : किसी को उल्लू बनाकर उससे धन ऐंठना या अपना काम निकालना।
प्रयागराज में अगर मुंडन कराना है तो संगम तक जाने की जरूरत नहीं है, स्टेशन पर ही पंडे और मुस्तण्डे पुलिस वाले गरीब गाँव वालों को उलटे उस्तरे से मूंड देते हैं।
उलटे पाँव लौटना : तुरन्त बिना ठहरे हुए लौट जाना।
टीटू की अम्मा की बात सुनकर उसका मन हुआ था कि उलटे पैरों लौट जाए।
उल्लू का पट्ठा : निपट मूर्ख।
क्या उपयोगिता है बच्चो की? बुढ़ापे का सहारा? अंधे की लकड़ी? कौन बाप ऐसा उल्लू का पट्ठा है जो यह समझकर अपने बच्चे को प्यार करता है?
उंगली उठना : निन्दा होना, बदनामी होना।
आपको कोई ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे असहाय अबला की ओर उंगली उठे।
उंगली पकड़कर पौंहचा पकड़ना : थोड़ा-सा सहारा पाकर विशेष की प्राप्ति के लिए प्रयास करना।
उंगलियों पर गिने जा सकना : संख्या में बहुत कम होना।
अब उनके नामलेवा उंगलियों पर गिने जा सकते हैं।
उंगलियों पर नचाना : इच्छानुसार काम कराना।
मैं इन दोनों को उंगलियों पर नचाऊंगा।
ऊँच-नीच समझाना : भलाई-बुराई, लाभ-हानि समझाना।
गज़नवी ने बहुत ऊँच-नीच सुझाया, लेकिन सलीम पर कोई असर नहीं हुआ।
ऊँट के मुँह में जीरा : अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान।
एक लड्डू का तो मुझे कुछ पता ही नहीं चला। अच्छा लगने की वजह से वह बिल्कुल वैसे ही लगा जैसे ऊँच के मुँह में जीरा।
ऊपर की आमदनी : इधर-उधर से फटकारी हुई नाजायज रकम।
उन्होंने परिश्रम करके कोई 250 रुपए ऊपर से कमाये थे।
ऊपरी मन से कुछ कहना : केवल दिखावे के लिए कुछ कहना। सच्चे हृदय से न कहना।
महेन्द्र कुमार ने ऊपरी मन से कहा- आपके आने की जरूरत नहीं है, मैं स्वयं भेज दूँगा।
ऊलजलूल बकना : अंट-शंट बोलना, बातें करना।
मनोहर, तुम सठिया गए हो, तभी तो ऐसी ऊल-जलूल बातें करते हो।

ए , ऐ

एक आँख न भाना : तनिक भी अच्छा न लगना।
भाभी को अपनी देवरानी का यों रानी बने बैठे रहना एक आँख न भाता था।

एक कान सुनना, दूसरे से निकालना : किसी बात पर ध्यान न देना।
विभाग के अध्यापकों ने यह सूचना एक कान से सुनी और दूसरे से निकाल दी।

एक की दो कहना : थोड़ी बात के लिए बहुत अधिक भला-बुरा कहना।
कड़ी बात तक चिन्ता नहीं, कोई एक की दो कह ले।

एकटक देखना : बिना पलक गिराए देखते रहना।
मग्गी उसे मुग्ध होकर, एकटक देखती रहती है।

एक तीर से दो शिकार करना : एक युक्ति या साधन से दो काम करना।
इस बार उसने ऐसी बुद्धिमानी से काम किया कि उसके शत्रु पराजित हो गए और उसके मित्रों तथा संबंधियों को अच्छे-अच्छे पद प्राप्त हो गए।इस प्रकार उसने एक तीर से दो शिकार कर लिए।

एक न चलना : कोई युक्ति सफल न होना।
भगवती ने बहुत तर्क-कुतर्क किया, पर प्रवीण के आगे उसकी एक न चली।

एक न चलने देना : जज ने तो पुलिस का पक्ष करना चाहा था, पर डॉक्टर इर्फान अली ने उसकी एक न चलने दी।

एक मुट्ठी अन्न को तरसना : गरीब होना।
बंगाल के अकाल में लोग एक मुट्ठी अन्न को तरस गए।

एक लाठी से हाँकना : सबके साथ समान व्यवहार करना।
आप सबको एक लाठी से हाँकना चाहते हैं। यह अनुचित है। आपको मित्र-शत्रु, योग्य-अयोग्य तथा बुद्धिमान-मूर्ख का विचार करके व्यवहार करना चाहिए।

एक ही थैली के चट्टे-बट्टे : एक ही प्रकार के लोग।
भगवती ने ज़रा व्यंग्य से कहा, सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।

एहसान उतारना : जिसने उपकार किया हो उसका प्रत्युपकार करना।
अगर हमारे उन पर कुछ एहसान थे भी, तो आज उन्होंने सब उतार दिए।

ओ , औ

औंधी खोपड़ी : उलटी बुद्धि, बुद्धिहीनता।
मिट गए पर ऐंठ है अब भी बनी, है अज़ब औंधी हमारी खोपड़ी।

औने - पौने निकालना : कम दाम पर या घाटा उठाकर बेचना।
मैंने तो यही सोचा है कि कोई गाहक लग जाय तो एक्के को औने-प ने निकाल दूँ।

कंघी - चोटी करना : श्रृंगार करना, बनाव-सिंगार करना।
आज सबेरे से मेरी ही सेवा में लगी रही। नहलाया-धुलाया, कंघी-चोटी की, कपड़े-बपड़े पहनाये, सभी उसी ने किया।

कंचन बरसना : बहुत अधिक लाभ होना।
सुजान की खेती में कई साल से कंचन बरस रहा था।

कच्चा चबाना : कठोर दण्ड देना।
नारायणी भी तो आने वाली थी, कब आएगी? उसे भी तो तेरी भाभी कच्चा ही चबा जाएगी।

कच्ची गोली खेलना : अनाड़ीपन, ऐसा काम करना जिससे विफलता हाथ लगे।
आप शायद चाहते होंगे, जब आपको राजा साहब से रुपये मिल जाते तो आप मुझे दो हजार रुपये दे देते तो मैं ऐसी कच्ची गोली नहीं खेलता।

कट जाना : बहुत लज्जित होना।
जब मैं स्त्रियों के ऊपर दया दिखाने का उत्साह पुरुषों में देखती हूँ तो जैसे कट जाती हूँ।

कठपुतली की तरह नचाना : दूसरों से अपनी इच्छा के अनुसार काम कराना।
यही लोग उन बेचारों को कठपुतली की तरह नचा रहे हैं।

कढ़ी का - सा उबाल : शीघ्र ही समाप्त हो जाने वाला जोश।
मैं उस पर विश्वास नहीं कर सकता, क्योंकि उसमें कढ़ी का-सा उबाल आता है।

कतरब्योंत से : हिसाब से, समझ-बूझकर।
वह ऐसी कतरब्योंत से चलते हैं कि थोड़ी आमदनी में अपनी प्रतिष्ठा बनाए हुए हैं।

कन्नी काटना : कतराकर, बचकर किनारे से निकल जाना।

कब्र में पाँव लटकाना : मौत के निकट आना।
अब मुझे अम्मा कब्र में पैर लटकाए दीख पड़ती थीं।

कबाब में हड्डी : सुखोपभोग में बाधक होना।
एक बार तो मेरे जी में आया कि चलो लौट चलो, क्यों खामखाह किसी के कबाब में हड्डी बन रहे हो।

करम फूटना : अभागा होना, भाग्य बिगड़ना।
मेरे तो करम फूटे हैं ही।

कमर कसना : तैयार होना।
उसने निश्चय किया कि वह कमर कसकर नए सिरे से अपना जीवन-संघर्ष आरम्भ करेगा।

कलई खुलना : रहस्य प्रकट होना, वास्तविक बात ज्ञात होना।
उन्हें सबसे विषम वेदना यही थी कि मेरे मनोभावों की कलई खुल गई।

कलेजा बैठना : घोर दु:ख या ग्लानि होना, उत्साह मंद पड़ना।
यह याद करके मेरा कलेजा बैठा जा रहा है कि अब मैं आप लोगों के लिए कुछ भी न कर सकूँगा।

कलेजे पर पत्थर रखना : जी कड़ा करना।
यह सशंकिता विधवा अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी इस प्यारी संतान को त्याग देने के लिए बाध्य हुई।

कलेजा पसीजना : दया आना।
उसका करुण क्रन्दन सुनकर सबका कलेजा पसीज गया।

कलेजे का टुकड़ा : पुत्र।
वे अपने ही कलेजे के टुकड़े हैं।

कलेजे में आग लगना : दु:ख देना।
यह शब्द उसके कलेजे में चुभ गए थे।

कसौटी पर कसना : अच्छी तरह जाँच करना, परीक्षा लेना।
निस्सन्देह कृष्ण भगवान ने मुझे प्रेम-कसौटी पर कसा और मैं खोटी निकली।

कहा-सुनी हो जाना : झगड़ा, वाद-विवाद होना।
प्राय: बच्चों के पीछे पति-पत्नी में कहा-सुनी हो जाती थी।

कहानी समाप्त होना : मृत्यु हो जाना।
जिस समय उसने जबरदस्ती मुझे अपनी विशाल भुजाओं में घेर लिया उस समय मैंने सोचा कि कहानी समाप्त हो गई।

कहीं का न रखना : किसी काम का न छोड़ना, निराश्रय कर देना।
आपने सारी जायदाद चौपट कर दी, हम लोगों को कहीं का न रखा।

काँटा निकालना : बाधा या खटका दूर करना।
यह न समझो कि मैं अपने लिए, अपने पहलू का काँटा निकालने के लिए तुमसे ये बातें कर रही हूँ।

काँटा बोना : अनिष्ट, बुराई करना।
मैं ऐसा पागल नहीं हूँ कि जो मुझे काँटे बोये, मैं उसके लिए फूल बोता फिरूँ।

काँटों में घसीटना : बहुत दुख देना।
वह हाथ में आ जाता तो काँटों में ऐसा घसीटता कि उसे होश आ जाता।

काँव-काँव करना : शोरगुल, हल्ला मचाना।
बिरादरी का झंझट जो है, सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा।

काग़ज की नाव : अस्थायी, क्षणिक, न टिकने वाली वस्तु।
हमारा शरीर काग़ज की नाव है, अतएव इस पर गर्व नहीं करना चाहिए।

काग़जी घोड़े दौड़ाना : लिखा-पढ़ी करना, केवल काग़जी कार्रवाई करना।
आप क्या करते हैं, सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाते हैं।

काटो तो खून नहीं : स्तब्ध हो जाना, सन्न हो जाना।
मुझे काटो तो खून नहीं, तब क्या बात सचमुच ही यहाँ तक बढ़ गई थी?

कान का कच्चा : बिना सोचे-बिचारे दूसरों की बातों पर विश्वास कर
लेने वाला।
पन्तजी ऐसे पहले महाकवि नहीं थे जो ऐसे मामलों में कान के कच्चे थे।

कान काटना : चालाकी, धूर्तता आदि में किसी से बढ़कर होना।
मान गया बहू जी तुम्हें, वाह, क्या हिकमत निकाली है। हम सबके कान काट लिए।

कान पर जूँ न रेंगना : बार-बार कहने पर भी बात को ध्यान में न
बच्चे लाख चीखें, रोएँ-चिल्लाएँ, उस सहिष्णु जननी के कान पर कभी जूँ नहीं रेंगती।

कान भरना : शिकायत करना।
वह मेरे विरुद्ध गुरुजी के कान भरता है।

काना-फूँसी करना : चुपके-चुपके, बहुत धीरे-धीरे बात करना
कुछ लोग आपस में काना-फूँसी कर रहे थे, माया शंकर कितना भाग्यवान लड़का है।

कानून छाँटना : व्यर्थ की दलीलें देना, निरर्थक तर्क उपस्थित करना

कानों में अंगुली डालना : किसी बात को न सुनने का प्रयास करना, सुनने की इच्छा न होना।

काफूर हो जाना : एकाएक गायब हो जाना
द्वारकादास की नैराश्य उत्पादक दशा से तारा की कठोरता काफूर हो गई।

काया पलट होना : रूप, गुण, दशा, स्थिति आदि का पूर्णतया बदल जाना, और का और हो जाना
अभी यह मेरे साथ बैठा हुआ कैसी-कैसी बातें कर रहा था। इतनी ही देर में इसकी ऐसी कायापलट हो गई कि मेरी जड़ खोदने पर तुला हुआ है।

कारूँ का खजाना : कुबेर का कोष अतुल धनराशि।

काला धन : बेईमानी और तस्करी आदि से पैदा किया हुआ धन।
मैं उनके काले धन का हिसाब रखा करता था।

काला बाजार : वह बाजार जहाँ चोरी और तस्करी आदि की चीजों का क्रय-विक्रय होता है।
आजादी के बाद आया फूट, असंगठन, विलास,व्यभिचार, लूट, डाके, खून और काले बाजार काजमाना।

कालिख पोतना : कलंकित करना।
अब मेरी जान बख्शो, क्यों मेरे मुँह में कालिख पोत रहीहो?

काले कोसों : बहुत दूर।
सुबह दस बजे इसे तरकारी लाने के वास्ते भेजा था और वह भी काले कोसों नहीं।

काले पानी भेजना : देश निकाले का दंड देना, अंडमान द्वीप मेंभेजना जहाँ पहले आजीवन कैद का दंड पाने वालेअपराधी भेजे जाते थे।

किताबी कीड़ा : जो मनुष्य केवल पुस्तक पढ़ता रहता हो,जिसके पास केवल किताबों का ज्ञान हो, बुद्धि तथा अनुभव न हो।
मेरे जैसे किताब के कीड़े को कौन औरत पसन्द करेगी?

किला फतह करना : अत्यन्त कठिना काम करना।
यह कहकर मानों उन्होंने किला फतह कर लिया।

किस मुँह से : अपनी हीनता, अयोग्यता आदि का विचारकरके, अपने को दीन-हीन समझते हुए।
बहू से अब वह कहती भी तो किस मुँह से?

किसी के आगे पानी भरना : किसी की तुलना में अति तुच्छहोना, फीका पड़ना।
उन पाँच दिनों क्या ठाट रहते हैं वोटर के, बारात कादूल्हा भी उसके आगे पानी भरे।

किसी के घर में आग लगाकर अपना हाथ सेंकना : अपने काम केलिए दूसरों को भारी हानि पहुँचाना।
डॉक्टर साहब उन लोगों में हैं जो दूसरों के घर में आग लगाकरअपना हाथ सेकते हैं।

किसी के साथ मुँह काला करना : किसी के साथ व्यभिचार करना।
सारा दोष बुढ़िया का है, अरे दिन-दहाड़े जो यह डॉक्टरनीउसके बेटे के साथ मुँह काला किए फिर रही है, उससे अच्छायह नहीं है कि इसे बहू बना ले?

किसी को न गिनना : सबको तुच्छ, नगण्य समझना।
इस सफलता से मनीराम का सिर फिर गया था, वह किसी कोन गिनता था।

किसी खूंटे से बाँधना : किसी के साथ विवाह करना।
तेरी दीदी तो ऐसी गऊ है जिसे हमें ही किसी खूंटे से बाँधना
होगा।

किसी पर बरस पड़ना : एकाएक किसी से क्रोधपूर्ण बातें करना।
उनके जाते ही वह अपनी माँ पर बरस पड़ी।

किसी पर हाथ छोड़ देना : किसी को मारना-पीटना।
कभी-कभी हरसिंह अपनी बीवी पर हाथ छोड़ देता था।

किस्मत का फेर : अभाग्य, दुर्भाग्य, जमाने का उलट-फेर।
किस्मत का फेर देखिए, जो राजा थे वे रंक हो गए और जो रंक थे वे राजा हो गए।

कीड़े काटना : बेचैनी होना, जी उकताना।
दस मिनट पढ़ने के बाद उसे कीड़े काटने लगते हैं।

कुएँ का मेढ़क : बहुत अल्पज्ञ या कम अनुभव का व्यक्ति।

कुएँ में बाँस डालना : बहुत खोज करना।
उसके लिए कुओं में बाँस डाले गए, पर उसका पता नहीं चला।

कुएँ में भाँग पड़ना : सबकी बुद्धि मारी जाना, सबका पागल, मूर्खजैसा व्यवहार करना।

कुत्ता काटना : पागल होना।
क्या हमें कुत्ते ने काटा है जो हम इतनी रात को वहाँजाएँगे?

कुप्पा होना : फूल जाना, अत्यंत प्रसन्न होना।
जिस समय वह परीक्षा में पास होने की बात सुनेगाफूलकर कुप्पा हो जाएगा।

कुरसी देना : सम्मान करना।
बड़े-बड़े हाकिम उसे कुरसी देते हैं।

कोढ़ में खाज : दुख पर दुख, संकट पर संकट।

कोर-कसर न रखना : हर संभव प्रयास करना।
वह भिन्न-भिन्न प्रकृति और संस्कृति की इन युक्तियों को संघर्ष से बचाने और प्रेम से रखने में कुछ कोर-कसर न रखती थी।

कोरा जवाब देना : साफ इन्कार करना।
अगर सोफिया को क्लर्क से प्रेम न था, तो क्या वह उन्हें कोरा जवाब न दे सकती थी?

कोल्हू का बैल : बहुत अधिक परिश्रम करना वाला व्यक्ति।
कोल्हू के बैल की तरह खटकर सारी उम्र काट दी इसके यहाँ, कभी एक पैसे की जलेबी भी लाकर दी है इसके खसम ने?

कौड़ियों के मोल बिकना : बहुत ही सस्ते या कम दाम पर बिकना।

खटाई में पड़ना : काम रुक जाना, टल जाना।
दुल्हन यदि बैलगाड़ी से जाती तो कहारों का पैसा खटाई में पड़ जाता।

खड़ी पछाड़ें खाना : खड़े हो-होकर गिर पड़ना।
पति की मृत्यु का समाचार पाते ही विमला खड़ी पछाड़ें खाने लगी।

खरी-खरी सुनाना : सच्ची बात कहना चाहे किसी को भला लगे या बुरा लगे।

खाक फाँकना : इधर-उधर मारा-मारा फिरना।
वह नौकरी की तलाश में चारों तरफ खाक फाँकता था।

खाट से लगना : इतना बीमार पड़ना कि चारपाई से उठ न सके। अत्यन्त दुर्बल हो जाना।

खीस निपोरना : दीनभाव से कृपा अथवा अनुग्रह की प्रार्थना करना।

खुदा की पनाह : ईश्वर बचाए।
बीबी की जूती पैजार से खुदा की पनाह।

खून के आँसू रुलाना : बहुत अधिक सताना।
स्वर्ग का रास्ता बन्द पाकर राजा साहब अपनी रियासत को ही खून के आँसू रुलाना चाहते थे।

खून-खच्चर होना : लड़ाई-झगड़ा, मार-पीट होना।
तुमने बहुत अच्छा किया जो उनके साथ न हुए, नहीं तो खून-खच्चर हो जाता।

खून लगाकर शहीद होना : थोड़ा-सा दिखावटी काम करके बड़े आदमियों में शामिल होने का प्रयत्न।

खेलने खाने के दिन : बचपन या जवानी का समय जब मनुष्य चिन्तामुक्त जीवन व्यतीत करता है।

खोद-खोदकर पूछना : तर्क, शंका में अनेक सवाल पूछना।
उसने खोद-खोद कर पूछने की चेष्टा तो बहुत की परन्तु उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ा।

खोपड़ी भिनभिनाना : तंग आना।
बच्चों का शोर सुनकर मेरी खोपड़ी भिनभिना उठी।

गच्चा खाना : किसी फेर में पड़ धोखा खाना।
चौधरी उसे धक्का देकर, नारी जाति पर बल का प्रयोग करके गच्चा खा चुका था।

गज भर की छाती होना : बहुत अधिक उत्साह होना।
जब राणा प्रताप ने देखा कि शक्तिसिंह उनकी सहायता को आ रहा है तब उनकी गजभर की छाती हो गई।
गंगा नहाना : कर्तव्य और दायित्व पूरा करके निश्चिंत होना, सब झंझटों से छुटकारा पाना।

गाँठ बाँधना : याद रखना।
अच्छे लड़के अपने बड़ों की शिक्षा को गाँठ बाँध लेते हैं।

दाँत खट्टे करना : हराना।
शिवाजी ने औरंगजेब के दाँत खट्टे कर दिए।

हाथ मलना : पछताना।
अवसर चूक जाने पर हाथ मलना पड़ता है।

चूड़ियाँ पहनना : कायर बनना।
यदि वीरों की तरह युद्धभूमि में नहीं लड़ सकते तो चूड़ियाँ पहनकर बैठ जाओ।

डींग मारना : अपने मुँह अपनी बड़ाई करना।
मोहन जितनी डींग मारता है उतना काम नहीं करता।

नाक रखना : मान रखना।
परीक्षा में प्रथम श्रेणी लेकर कैलाश ने स्कूल कीनाक रख ली।

सिर चढ़ाना : अधिक लाड़ लड़ाना।
सिर चढ़ाने का परिणाम यह होता है कि लड़के बिगड़ जाते हैं।

दाँत फाड़ना : हँसना।
हर समय दाँत फाड़ना उचित नहीं।

पीठ दिखाना : भाग जाना।
सच्चा वीर युद्धभूमि में अपनी पीठ नहीं दिखाता।

मुँह में पानी भर आना : खाने को जी करना।
हलवाई की दुकान पर गुलाबजामुन देख मोहन के मुँह में पानी भर आया।

पैर चूमना : खुशामद करना।
हर समय किसी के पैर चूमना ठीक नहीं।

नौ-दो-ग्यारह होना : भागना।
पुलिस को आते देख चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।

मन हारना : हिम्मत हारना।
मन हारना कायरता की निशानी है।

ऋण उतारना : कर्ज अदा करना।
यह अपने घरवाले से लड़-झगड़ कर अपना ऋण उतारने आई है। 
मुहावरा खण्ड - 1 मुहावरा खण्ड - 1 Reviewed by rajyashikshasewa.blogspot.com on 9:36 PM Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.