वान डर वाल्स बल एक क्षीण स्वभाव का असंयोजी रासायनिक बंध है जिसका नाम वैज्ञानिक योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स से आता है।
वान डर वाल्स बल, संयोजी आबन्ध से नहीं आता, न ही आयनिक आबन्ध से। वान डर वाल्स बल, शून्य-बिन्दु क्षेत्र (zero-point field) के साथ क्वाण्टम अन्तःक्रिया से उत्पन्न होता है। वान डर वाल्स बल, आकर्षण हो सकता है और प्रतिकर्ष भी हो सकता है।
वान डर वाल्स बल में निम्नलिखित बल सम्मिलित हैं-
- स्थायी द्विध्रुवों के बीच लगने वाला बल (Keesom force)
- स्थायी द्विध्रुवों तथा उनसे प्रेरित द्विध्रुव के बीच के बल (Debye force)
- ताक्ष्णिक रूप से प्रेरित (उत्पन्न) द्विध्रुवों के बीच (London dispersion force)
आयनी आबंध (Ionic bonding) एक प्रकार का रासायनिक आबंध है जिसमें दो विपरीत आवेशित आयन बनते हैं और वे स्थितवैद्युत बल द्वारा एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसे विद्युत संयोजी आबंध (electrovalent bond) भी कहते हैं। यह एक शक्तिमान स्वभाव का रासायनिक बंध होता है।
- उदाहरण
- NaCl अणु का बनना
NaCl का (परमाणु क्र. 11) , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,1 है। अतः वह 1 इलेेेेक्ट्रॉन त्याग कर
- Na----e`--->Na+
- 2,8,1 2,8
योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स
जोहैनीज डिडरिक वान डर वाल्स (Johannes Diderik Van der Waals, सन् १८३७ - १९२३), डच भौतिकविज्ञानी थे।
इनका जन्म लेडन नगर में हुआ था। इन्होंने 'गैस तथा द्रव के अवस्थासातत्य' पर एक प्रबंध लिखा था, जिससे आपका नाम हुआ और डॉक्टर की उपाधि मिली।
सन् १८७७ से १९०७ तक ये ऐम्स्टर्डैम विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर रहे। आपने आयतन, ताप तथा दाब के मानों में इनके क्रांतिक मानों का भाग देकर ऐसा समीकरण प्राप्त किया जिससे सब पदार्थों से संबंधित क्रांतिक घटनाओं का स्पष्टीकरण होता है। आपने 'संगत अवस्थाओं के नियम' (Law of corresponding states) का प्रतिपादन किया, जिससे सर जेस ड्यूअर (Dewar, सन् १८४२-१९२३) का गैसों का गैसों के द्रवीकरण में सहायता मिली। आपने 'द्विअंगी मिश्रणों का नियम' (Theory of Binary Solutions) का भी आविष्कार किया।
सन् १९१० में आपको नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
वान डर वाल्स बल
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