इतिहास- सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन [ECONOMIC LIFE OF INDUS CIVILIZATION]

ECONOMIC LIFE OF INDUS CIVILIZATION
सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन

सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन [ECONOMIC LIFE OF INDUS CIVILIZATION]

सिन्धु सभ्यता के विभिन्न स्थलों के उत्खनन से प्राप्त किए गए अवशेषों से ज्ञात होता है कि सिन्धु सभ्यता के लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ थी।

(1) कृषि- सिन्धु सभ्यता के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहाँ कपास, मटर, तिल तथा विभिन्न प्रकार के फल उगाए जाते थे। डॉ.ए. एल.वाशम के अनुसार सिन्धुवासियों को चावल का ज्ञान नहीं था, परन्तु अब लोथल, रंगपुर आदि स्थानों पर चावल के अवशेष प्राप्त होने से यह विचार बन गया है कि सिन्धुवासी चावल की भी खेती करते थे।

(2) पशुपालन- सिंधु सभ्यता के लोग कृषि के अतिरिक्त पशुपालन भी करते थे। पुरातात्विक स्रोतों से ज्ञात होता है कि ये लोग गाय, बैल, भेड़, बकरी व कुता आदि पालते थे, ये लोग सम्भवतः अश्व से अपरिचित थे।

(3) कपड़े बुनना-  सिन्धु सभ्यता के काल में बड़े पैमाने पर सूती कपड़ा बनाया जाता था। विभिन्न स्थलों की खुदाई में सूत कातने के चरखे और तकलियाँ बड़ी मात्रा में प्राप्त हुई हैं, जिससे पता चलता है कि सिन्धु सभ्यता के
घर-घर में कताई-बुनाई का काम होता था ।

(4) उद्योग व अन्य व्यवसाय-  सभ्यता के लोग शिल्पकला में अत्यन्त दक्ष थे। ये लोग विविध उद्योग-धन्ये भी किया करते थे। सिन्धु सभ्यता में वस्त्र निर्माण, आभूषण बनाना और मिट्टी के बर्तन बनाना आदि उद्योग-धन्धे प्रचलित थे। इसके अतिरिक्त सिन्धु सभ्यता के लोग कताई-बुनाई, रंगसाजी, कुम्हारगिरी, लोहारगिरी, सुनारगिरी व बढ़ईगिरी आदि के व्यवसाय किया करते थे।

(5) व्यापार- सिन्धु सभ्यता के लोग सुमेरिया, बेबीलोन, अफगानिस्तान, बिलोचिस्तान, मिस्र आदि देशों से व्यापार करते थे। वैदेशिक व्यापार थल व जल दोनों ही मार्गों से किया जाता था। थल पर बैलगाड़ियों एवं जल में जहाजों का प्रयोग किया जाता था। इस सभ्यता के प्रमुख बन्दरगाह लोथल और सोल्काकोह थे।
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